प्रीमेंच्योर बेबी(प्रीमी) (समय से पूर्व जन्म )शिशु के बेहतर स्वास्थ्य तथा उसे कई तरह की बीमारियों से बचाने के लिए एक ख़ास तरह की तरकीब अपनायी जाती है जिसे कंगारू मदर केयर कहा जाता है. इस विधि में माँ,नवजात शिशु को कंगारू की तरह अपनी स्क़िन से लगाकर रखती है.इस प्रक्रिया से –
1-बच्चे का वज़न बढ़ता है.
2-स्तनपान बेहतर होता है.
3-शिशु का तापमान सही रहता है और वे इन्फ़ेक्शन से भी दूर रहता है
4-बच्चे और माँ के बीच का रिश्ता मज़बूत होता है
5-हॉस्पिटल से जल्दी छुट्टी भी मिल जाती है
कौन दे सकता है KMC–
![](https://i0.wp.com/image.chitra.live/api/v1/wps/d046e67/7e683f9b-eb01-459f-b9be-4a2c8e472531/6/kangaroo-mom-1-512x254.jpg?resize=512%2C254&ssl=1)
सभी माँ अपनी जाति,धर्म,शिक्षा के भेदभाव के बिना KMC दे सकती है बशर्ते वो इस तरकीब के लिए राज़ी हो,उसे कोई ख़तरनाक बीमारी न हो,अपने आप को स्वच्छ रखे,रोज़ नहाए,रोज़ कपड़े बदले,अपने हाथों को साफ़ रखे और हाथों के नाख़ून साफ़ और छोटे रखे.
यदि माता कंगारू केयर प्रदान करने की स्थिति में न हो तो उसके अलावा परिवार का कोई और सदस्य जैसे बच्चे का पिता,उसके दादा या कोई और भी बच्चे को KMC दे सकता है
KMC की प्रक्रिया क्या होती है-इस प्रक्रिया के लिए माँ को रेक़्लाइनिंग कुर्सी पर बैठना पड़ता है,आगे से खुलने वाले कपड़े पहनने पड़ते हैं,साथ ही बच्चे को टोपी,जुराब,नैप्पी और आगे से खुलने वाले कपड़े पहनाए जाते हैं नवजात का सर माँ के स्तन के बीच मेंसीधी पोज़ीशन में रखा जाता है. और माँ के साथ आयी कौनटेक्ट ,संभव बनाने के लिए एक हाथ से बच्चे की पीठ तथा दूसरे हाथ से बच्चे के नितम्बों के नीचे रख कर उसे सहारा दिया जाता है और बच्चे को हाईपोथर्मिया से बचाने के लिए माँ के गाउन में रैंप किया जाता है .यह प्रक्रिया लेटकर और बैठकर दोनों तरीक़ों से की जा सकती है.
KMC सलाहकार,महिला को चार्ट और व्यावहारिक माध्यम से KMC प्रक्रिया को समझाते हैं.यदि सही तरीक़ों से नियमों का पालन किया जाय तो तीन दिन में ही नवजात शिशु का वज़न बढ़ना शुरू हो जाता है.KMC से नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में भी कमी आयी है.विशेषज्ञों का मानना है कि त्वचा के सम्पर्क से शिशु के विकास में सहायता मिलती है,वज़न बढ़ता है और उसे साँस लेने में आसानी होती है. यह तकनीक उन इलाक़ों में बेहद कारगर साबित हुई है जहाँ इंक्युबेटर की सुविधा मौजूद नहीं होती.
कितनी हो अवधि-शुरुआत में कम से कम एक घंटा ज़रूर होना चाहिए फिर धीरे धीरे इसकी अवधि को बढ़ाकर माँ को पूरे दिन अपने शिशु को KMC देना चाहिए केवल नैप्पी बदलने के लिए ही बीच में रुकना चाहिए.
कैसे खाना खिलाना चाहिए?-माँ अपने बच्चे को KMC पोज़ीशन में ही स्तनपान करवा सकती है और इसके साथ ही बीच बीच में माँ को भी खाना खिलाया जा सकता है.
क्या अस्पताल में माँ और बच्चे को रहना ज़रूरी है- अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद KMC घर पर भी दिया जा सकता है.
KMC कब बंद कर देनी चाहिए– जब बच्चे का जेस्टेशन पूरा हो जाय या उसका वज़न 2.5किलो तक हो जाय तो के॰एम॰सी॰ बंद कर सकते हैं.इसके अलावा जब भी माँ बच्चे को KMC देने की कोशिश करे और बच्चा रोने लगे,असुविधा महसूस करे या हाथ पाँव मारने लगे तो समझ जाना चाहिए अब KMC बंद करने का समय आ गया है. माँ यह सुनिश्चत करे कि वो ,घर पर बच्चे की अच्छे से देखभाल कर सकती है और फ़ोलो अप के लिए हर आठवें दिन डौक्टर से मिलने आएगी.
यह भी पढ़ें-