Overview:सेहतमंद बच्चा ही बनेगा होशियार: पढ़ाई में न्यूट्रिशन की अहम भूमिका
यह स्पष्ट है कि बच्चों की शिक्षा में सुधार की शुरुआत उनके अच्छे स्वास्थ्य और पोषण से होती है। माता-पिता, स्कूल और समाज—तीनों को मिलकर बच्चों के लिए ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए जहाँ उन्हें संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और शारीरिक गतिविधियों के अवसर मिलें। जब शरीर और मन स्वस्थ होते हैं, तभी बच्चे अपनी पूरी क्षमता के साथ सीखते हैं और जीवन में आगे बढ़ते हैं।
Nutrition and Learning Connection-बच्चों की अकादमिक सफलता सिर्फ मेहनत या ट्यूशन पर निर्भर नहीं करती, बल्कि उनकी सेहत और खान-पान की आदतों पर भी गहराई से जुड़ी होती है। अगर बच्चा ठीक से खा नहीं रहा, नींद पूरी नहीं ले रहा या बार-बार बीमार पड़ रहा है, तो उसका ध्यान, याददाश्त और ऊर्जा स्तर प्रभावित होता है। इसलिए, स्वस्थ शरीर और संतुलित आहार ही बच्चों की पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन की नींव रखता है।
सेहत और पोषण का सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर

डॉ. पूनम सिदाना के अनुसार, अस्थमा, एलर्जी या न्यूट्रिशन की कमी जैसे कारणों से बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं, जिससे उनकी स्कूल अटेंडेंस और पढ़ाई दोनों प्रभावित होती हैं। जंक फूड और प्रोसेस्ड चीज़ों की अधिकता से मोटापा, थकान और ध्यान की कमी जैसी समस्याएँ बढ़ती हैं। वहीं, रंग-बिरंगे फल-सब्ज़ियाँ, प्रोटीन और हेल्दी फैट से भरपूर डाइट दिमाग की ग्रोथ, याददाश्त और एकाग्रता बढ़ाती है।
सही खान-पान से बढ़ती है सीखने की क्षमता
न्यूट्रिशनिस्ट शिवानी बिष्ट बताती हैं कि संतुलित आहार बच्चों की मानसिक और भावनात्मक सेहत दोनों के लिए ज़रूरी है। आयरन, विटामिन D और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्वों की कमी से बच्चे सुस्त, चिड़चिड़े या कम ध्यान देने वाले हो सकते हैं। सुबह का नाश्ता छोड़ना भी एक बड़ी गलती है, क्योंकि इससे दिमाग को ज़रूरी ऊर्जा नहीं मिलती। नियमित हेल्थ चेकअप, नींद और एक्सरसाइज़ को दिनचर्या का हिस्सा बनाना ज़रूरी है।
Inputs by -डॉ. पूनम सिदाना, डायरेक्टर – नियोनेटोलॉजी और पीडियाट्रिक्स, सीके बिड़ला हॉस्पिटल®, दिल्ली
Inputs by- शिवानी बिष्ट, न्यूट्रीशनिस्ट, मधुकर रेनबो चिल्ड्रन हॉस्पिटल ,दिल्ली
