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मानसिक मजबूती आपको परिस्थितियों का सामना करने की ताकत भी देती है तो उसका हल खोजने की क्षमता भी। ऐसे में हर पेरेंट की यह जिम्मेदारी है कि वह बचपन से ही अपने बच्चों को मेंटली भी स्ट्रांग बनाएं।
Mentally Strong Kid: जिंदगी में सफल होने के लिए आपको फिजिकली ही नहीं मेंटली भी स्ट्रांग होने की जरूरत है। जब आप मानसिक रूप से मजबूत होते हैं तो बड़ी से बड़ी परेशानी में भी आप निडर रहते हैं और अपने विवेक से सही फैसला ले पाते हैं। मानसिक मजबूती आपको परिस्थितियों का सामना करने की ताकत भी देती है तो उसका हल खोजने की क्षमता भी। ऐसे में हर पेरेंट की यह जिम्मेदारी है कि वह बचपन से ही अपने बच्चों को मेंटली भी स्ट्रांग बनाएं। कम्पीटीशन के इस दौर में बच्चों के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह हर स्थिति का सामना करने को रेडी रहें। कुछ आसान तरीके बच्चों की जिंदगी संवार सकते हैं।
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डिसिप्लिन है जरूरी

डिसिप्लिन सफलता की गारंटी है। इसलिए जिंदगी में डिसिप्लिन होना बहुत जरूरी है। बच्चों को बचपन से ही अनुशासन का पाठ जरूर पढ़ाएं। जब उन्हें हर काम समय पर और अनुशासन में रहकर करना आएगा, तब ही वे अपनी लाइफ के सभी गोल्स को अचीव कर पाएंगे। हालांकि एक बात का जरूर ध्यान रखें कि बच्चे वही करते हैं, जो वे अपने पेरेंट्स को करते हुए देखते हैं। इसलिए आपको खुद भी डिसिप्लिन का पालन करना होगा, जिससे आप बच्चों के रोल मॉडल बन सकें।
आजादी भी दें
बच्चों के लिए अनुशासन जितना जरूरी है, आजादी भी उतनी ही आवश्यक है। यह उन्हें आत्मनिर्भर बनाएगी। उन्हें अपने छोटे-छोटे निर्णय खुद लेने की स्वतंत्रता दें। इससे उनमें कॉन्फिडेंस आएगा। साथ ही गलती पर उन्हें सीख भी मिलेगी। जब आप बच्चों को कुछ फैसले लेने की आजादी देते हैं तो उन्हें महसूस होता है कि पेरेंट्स उन पर विश्वास करते हैं। वे हमेशा इस विश्वास को बरकरार रखने की कोशिश भी करते हैं।
सिखाएं इमोशनल इंटेलिजेंस
आज के समय में बच्चों की पेरेंटिंग में यह सबसे जरूरी स्टेप है। अपने बच्चों को इमोशनल इंटेलिजेंस जरूर सिखाएं, जिससे कोई भी उन्हें इमोशनल फूल न बना पाए। जब बच्चों की भावनाओं से खेला जाता है तो उनका आत्मविश्वास अंदर से टूट जाता है। बच्चे इमोशनल स्ट्रांग होंगे तो वे हर परिस्थिति का भी सामना करने को तैयार रहेंगे।
बनें बच्चों के दोस्त

बच्चे सबसे ज्यादा अपने पेरेंट्स पर विश्वास करते हैं। ऐसे में यही विश्वास पेरेंट्स को भी बच्चों के प्रति दिखाना चाहिए। अपने बच्चों का दोस्त बनने की कोशिश करें। एक ऐसा दोस्त जिससे वे अपनी सारी बातें बिना डरे बोल सके। उसे डांट, गुस्से या फिर जज होने का डर न लगे। जब आप बच्चे का यह विश्वास जीत लेंगे तो तय मानिए कि आप पेरेंटिंग के टेस्ट में पास हो गए हैं। हालांकि दोस्ती का यह मतलब बिलकुल नहीं है कि बच्चा आपका सम्मान करना ही छोड़ दें। इसलिए इसकी लिमिट भी तय करें।
गलतियां स्वीकारना सिखाएं
बच्चों को हमेशा अपनी गलतियां मानना सिखाएं। उन्हें मानसिक रूप से इतना मजबूत बनाएं कि वह गलती स्वीकार कर लें। यह उनकी स्ट्रांगनेस को दिखाता है। हर गलती से बच्चा कुछ सीखेगा, उसे एक सबक मिलेगा। जब बच्चा अपनी गलती मान जाए तो उसे शांति से अपना पक्ष बताएं। ऐसा करने से वह आगे के लिए तैयार होगा।
