आजकल, जब सामाजिक परिदृश्य बड़ी तेजी से बदल रहे हैं, नया आकार ले रहे हैं, ऐसे में इन नन्हेमुन्नों पर भी काफी अधिक दबाव पड़ रहा है। आज बच्चों से जिंदगी के हर क्षेत्र में जिनमें पढ़ाई-लिखाई, खेल, पाठ्यक्रम के अलावा अन्य गतिविधियों में उनसे उच्चतम दर्जे की सर्वश्रेष्ठता और सफलता की उम्मीद की जाती है। हमारे इन सपनों के दबाव के साथ ही उनकी जिंदगी में टीवी, फिल्मों, सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया से हो रही जानकारियों की बमबारी परिस्थिति को और जटिल बना रही है। माता-पिता के तौर पर हमें अपने बच्चे को बहादुर, आत्मविश्वास से भरा हुआ और सफल बनाना है ताकि वे जिंदगी में चुनौतियों का सामना कर सकें। इसलिए बच्चों में शारीरिक और शैक्षणिक के साथ मानसिक और सामाजिक विकास पर समान ध्यान देना आवश्यक है। मैं बच्चों में एक सम्पूर्ण विकास को बढ़ावा देने के लिए कुछ सुझाव पाठकों के साथ साझा करना चाहूंगा।
 
1. घरेलू माहौल का महत्व
माता-पिता एक बच्चे के पहले शिक्षक होते हैं। बच्चे को प्यार और पोषक पर्यावरण से उनमें आत्मविश्वास के बीज और समझ विकसित होगी। यह सफलता निस्वार्थ प्यार प्रदान करके प्राप्त की जा सकती है, जो उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों या अन्य उपलब्धियों पर निर्भर नहीं है। आप बच्चे के सामने बहस या अन्य पारिवारिक बातों के बारे में चर्चा न करके अपने बच्चे की भावनात्मक भलाई में योगदान दे सकते हैं। कुछ माता-पिता अपने बच्चों को बहस में खींच लेते हैं ओर चाहते हैं कि वे उनका पक्ष लें। संयुक्त परिवार व्यवस्था में अक्सर मातापिता और दादा-दादी के बीच बच्चे के पालन को लेकर असहमति होती है। किसी भी तरह की समस्या अगर सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाई न जाए तो बच्चे के भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। ऐसे में बच्चों की समस्याएं बढऩे लगती हैं और वे किसी की भी बात को मानने से इंकार करने लगते हैं और वे चीजों को अपने अंदाज में आगे लेकर जाने का प्रयास करते हैं और ऐसे में उनके ड्रग्स या अपराध में शामिल होने का जोखिम बढ़ता है।
 
2. देखो, कि बच्चा क्या करता है
एक बच्चे में स्वस्थ दिमाग की संभावना कम ही रहती है अगर वह ज्यादातर समय टीवी के सामने ही बैठा रहता है। माता-पिता व्यस्त हैं और एकल परिवार की व्यवस्था में टीवी काफी प्रमुखता पा चुके हैं और स्मार्ट फोन भी बच्चों को व्यस्त रखने के आसान माध्यम हो गए हैं। ये अब काफी आम है कि व्यस्त माता-पिता बच्चों को गैजेट्स का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें अकेला छोड़ देते हैं। आखिर में बच्चे या तो इंटरनेट पर गलत वेबसाइट्स देखते हैं या फिर सोशल मीडिया की लत का शिकार हो जाते हैं। इस प्रकार के व्यवहार से बहुत दुष्प्रभाव सामने आते हैं जैसे खराब खानपान की आदतें, खराब पाचन, वजन घटने, ध्यान केन्द्रित ना रहना और पढ़ाई में अरुचि आदि। उनमें दूसरों के साथ सहानुभूति, लोगों से मेलजोल, उनके दुख-दर्द को समझने की भावना भी पैदा करना जरूरी है।
 
3. संवाद और संचार- गुणवत्तापूर्ण समय
संवाद एवं संचार, बच्चे के भावनात्मक विकास को प्रोत्साहित करने के सबसे महत्वपूर्ण तरीके है। अपने बच्चों के साथ संवाद सिर्फ उन्हें अच्छी सलाह देने के लिए सीमित नहीं होना चाहिए। संचार में बात करना और उनकी बात सुनना भी शामिल है। बच्चों के साथ खुलकर बातचीत से उनकी भावनात्मक शब्दावली को बढ़ा सकते हैं और उन्हें दिखा सकते हैं कि वे अभिव्यक्ति के माध्यम से मतभेदों को हल कर सकते हैं। अगर आप किसी बातचीत के दौरान अपने बच्चे का ध्यान बनाए रखने में मुश्किल पाते हैं तो उनके साथ पढऩे या कोई बोर्ड खेल खेलने की कोशिश कर सकते हैं। अपने बच्चे के साथ पढऩा एक आदत है जो उनके मानसिक विकास के लिए चमत्कार कर सकती है। आप उन लोगों के साथ कहानियां पढ़ सकते हैं जो आपके बच्चे को ऐच्छिक सबक सिखाने में आपकी सहायता करे, बच्चे को ये भी महसूस नहीं होगा कि आप उसे भाषण पिला रहे हैं।स्वस्थ दिमाग विकसित करने में स्पर्श भी काफी महत्व रखता है। एक अध्ययन में सामने आया है कि जो माता पिता अपने बच्चों के साथ बातचीत के समय उन्हें गले लगाते हैं और कोमल स्पर्श करते हैं, उनमें हार्मोनल विकास बेहतर होता है।
 
4. मेहनत का सम्मान करना
ऐसे माता-पिता की संख्या कम नही है जो मानते हैं कि बच्चों को पैसे देने से उनकी सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। बच्चों के साथ अच्छा समय बिताने की बजाए उन्हें सभी लग्जरी सुविधाएं प्रदान करते हैं और मानते हैं कि इससे वे बच्चों को अपनी बात मानने के लिए तैयार कर लेंगे। कई माता-पिता मानते हैं कि अपने बचपन में वे जो नहीं कर पाए, उनके बच्चों को उन चीजों का जरूर आनंद लेना चाहिए। युवाओं को अपने दोस्तों के साथ छुट्टियों पर जाने या घर पर शराब पीने के लिए प्रोत्साहित करना भी ऐसे ही उदाहरण है। मेहनत का महत्व और काम का सम्मान उनमें कुछ उपयोगी काम करने की भावना से संबंधित है जो कि उनमें स्थापित करना जरूरी है।
 
5. अपने बच्चों का आदर्श बनें
अध्ययन से पता चला है कि बच्चे अक्सर उन लोगों का अनुसरण करते हैं, जो उनके आसपास होते हैं, विशेषकर उनका, जिनको वे पसंद करते हैं। इसलिए अपने बच्चों के लिए अच्छे उदाहरण बनें। उदाहरण के लिए यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा कम टीवी देखे या फोन का कम इस्तेमाल करे, तो आपको खुद पहल करनी होगी। इसके अलावा बच्चों में अच्छे मूल्य और नैतिकता अपने माता-पिता से ही आती है। अपने बच्चों का सम्मान हासिल करने के लिए आपको पहले उनको दिखाना होगा कि आप परिवार में अपने बुजुर्गों का कितना सम्मान करते हैं। जरूरत है कि आप अपने परिवार के बीच धूम्रपान कर आप युवाओं को अपना अनुसरण करने के लिए उकसा रहे हैं।
 
6. पालन पोषण को लेकर असहमति
कुछ माता-पिता अपने बच्चों को बहस में खींच लेते हैं ओर चाहते हैं कि वे उनका पक्ष लें। संयुक्त परिवार व्यवस्था में अक्सर माता-पिता और दादा-दादी के बीच बच्चे के पालन को लेकर असहमति होती है। किसी भी तरह की समस्या अगर सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाई न जाए तो बच्चे के भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।  
 
7. स्वस्थ मन-स्वस्थ शरीर
अगर आप अपने बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं या आपको लग रहा है कि कोई बड़ी समस्या पेश आ रही है तो आप मदद ले सकते हैं या मानसिक स्वास्थ्य प्रोफेशनल या स्कूल काउंसलर्स से भी बात कर सकते हैं। प्रारंभिक पहचान और उपचार बच्चों को अपने तनावों से निपटने में मदद कर सकता है और इससे जिंदगी में आगे किसी गंभीर समस्या का सामना करने से भी सुरक्षा मिलेगी। एक स्वस्थ मन महत्वपूर्ण है, ऐसे में किसी शारीरिक समस्या से भी निपटा जा सकता है पर, समस्या ये है कि एक मानसिक समस्या के संकेत अक्सर शुरुआत में आसानी से पकड़ में नहीं आते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने आपको मानसिक स्वास्थ्य के लिए शिक्षित करें और इससे जुड़े भ्रमों को दूर करें। बच्चों के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य से बेहतर और जरूरी कुछ नहीं है
 (लेखक मोहाली के फोर्टिस हॉस्पिटलमें कंसल्टेंट मनोचिकित्सक हैं)
 
 
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