हर पैरेंट अपने बच्चे के लिए सब कुछ करना चाहते हैं। इस सफर में केवल बच्चा ही जि़ंदगी में चीज़ों को नहीं सीखता है, बल्कि पेरेंट्स भी बहुत सी चीज़ों को सीखते हैं। हम कभी भी पेरेंटिंग की महत्ता की कोई कीमत नहीं लगा सकते, क्योंकि इसका बच्चे के आने वाले जीवन पर बहुत अधिक असर होता है। हर पैरेंट के लिए यह बहुत ज़रूरी होता है कि वह कुछ ऐसे तरीकों और सुझावों को जानें, ताकि बच्चों और पेरेंट्स के बीच के रिश्ते में कोई तनाव ना आए और बच्चे का भविष्य भी सुंदर बन सके।

श्रोता भी बनें

बच्चों से जब भी बात करें तो अभिभावक को चाहिए कि वो उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनें, खास कर तब, जब वे आपको कुछ बताना चाहता हो। यह बहुत ज़रूरी होता है कि आप अपने बच्चों को बढऩे के लिए एक खुला, खुशहाल वातावरण देने के साथ-साथ अच्छे श्रोता बनें।

‘हेलीकॉप्टेरिंग’ ना करें

आज के समय में ‘हेलीकॉप्टर पेरेंट’ बहुत प्रचलित टर्म है, जिसका अर्थ होता है कि पेरेंट्स अपने बच्चे को लेकर अतिसुरक्षित हो जाते हैं और उनके जीवन में बहुत ज़्यादा दखलंदाज़ी करने लगते हैं। यह इतना खतरनाक होता है, जिसके कारण पेरेंट्स और बच्चों के रिश्ते में तनाव आने लगते हैं। ऐसा ना हो, इसके लिए आप अपने बच्चों और अपने बीच एक खुला, सच्चा और नॉन जजमेंटल बातचीत का सिस्टम बनाएं, ताकि वे आपसे खुलकर बात कर सके और आपको सब कुछ बता सकें।

 सहारा बनें

यह बहुत आम बात है कि बच्चे अपने जीवन की हर छोटी-छोटी चीज़ पेरेंट्स को नहीं बताते। ऐसे में यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपने बच्चों पर शक करने की जगह उन्हें इस बात का एहसास दिलाएं कि आप हमेशा उनके साथ हैं और आप उनकी हर बात को समझने की कोशिश करेंगे।

उदाहरण बनें

बच्चे अपने आस-पास जो भी देखते हैं या सुनते हैं, उससे वे बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। अगर पेरेंट खुद जि़ंदगी की उलझनों से लड़ नहीं पाएंगे तो बच्चे भी अपनी लड़ाइयां खुद लडऩी नहीं सीखेंगे। चाहे यह अपने साथी के साथ हो, किसी बूढ़े व्यक्ति के साथ या अपने किसी साथी कर्मचारी के साथ हो, पेरेंट को सभी के साथ ऐसा बर्ताव रखना चाहिए, जिससे बच्चा भी प्रभावित हो।

अपनी लड़ाइयां खुद लड़ें

हर पेरेंट को यह याद रखना चाहिए कि कभी-कभी उन्हें भी अपनी हार माननी चाहिए। बच्चों को यह पता होना चाहिए कि जि़ंदगी में हर चीज़ उनकी इच्छा के अनुसार नहीं होती और कभी-कभी उन्हें समझौता भी करना पड़ता है, लेकिन आपको इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि आप बहुत गंभीर फैसलों पर हार ना मानें। इससे पेरेंट्स बड़ी-बड़ी चीज़ों का डटकर सामना कर पाएंगे।

बातों की जड़ तक जाएं

हर बार यह जरूरी नहीं होता कि अगर आप किसी समस्या के पीछे का कारण बता रहे हैं तो उसे जिद या बहस कहा जाए। खुद को सही साबित करने या खुद का बचाव करने से बेहतर है कि आप केवल निर्देश या आदेश ना दें, बल्कि हर बात के पीछे के कारण को भी समझने की कोशिश करें।

 बच्चों के साथ स्थिरता रखें

पेरेंट्स को खुद के कुछ लक्ष्य तय करने चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि पेरेंट्स के बीच में भी कोई तनाव ना हो और वे हर स्थिति का समझदारी से सामना कर सके। पेरेंट्स के बीच इस तरह की स्थिरता बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि बच्चे का भविष्य सुखद बन सके।

बच्चों के कामों में भागीदारी बनें

जब आप अपने बच्चों को उनके जीवन के कुछ फैसले लेने की जि़म्मेदारी देंगे और न केवल उन्हें यह महसूस करवाएंगे कि उनके ऊपर कोई जि़म्मेदारी है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगे कि वे अपने फैसले पर खरे उतर रहे हैं या नहीं, तभी यह पहुंच सफल हो पाएगी।

 

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