अकेले बच्चे की परवरिश बन जायेगी आसान, डालें बच्चे में ये गुण
सब कुछ बच्चे की परवरिश पर निर्भर करता है की उसका स्वभाव कैसा होगा, बचपन से लेकर बड़े होने तक एक बच्चे के स्वभाव में काफी बदलाव आता है।
Parenting Tips: अक्सर माना जाता है की अकेला बच्चा स्वभाव से चिड़चिड़ा और जिद्दी हो जाता है, उसे किसी के साथ कुछ शेयर करना या खलेना तक पसंद नहीं आता है वो अपने बनाये दायरे में सीमित हो जाता है। अकेला बच्चा भाई बहिन की कमी महसूस करेगा या समाज के साथ कदम मिला कर नहीं चल पायेगा इस तरह की धारणा रखना गलत है। ये सब कुछ बच्चे की परवरिश पर निर्भर करता है की उसका स्वभाव कैसा होगा, बचपन से लेकर बड़े होने तक एक बच्चे के स्वभाव में काफी बदलाव आता है।
माता पिता सकारात्मक सोच और और अपने आस पास के माहौल का ख्याल रखते हुए बच्चे पर ध्यान देंगे तो बच्चा सामाजिक बनेगा।
समय का सदुपयोग

माता पिता दोनों ही कामकाजी हो तब भी किसी न किसी तरीके से वो अपने बच्चे के साथ रिश्ता मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास करते रहें। कोशिश करें कोई एक जल्दी घर आ जाये और बच्चे को सरप्राइज दे। कभी कभी ऐसे प्लान करें की दोनों साथ में आ जाये और बच्चे को कही बाहर घुमाने ले जाएँ। जरुरी नहीं की किसी होटल आदि में जाएँ, बच्चे को एक लॉन्ग ड्राइव पर ले जाएँ। अपने घर के आस पास बने पार्क आदि में ले जाने पर बच्चा और दूसरे बच्चों के साथ घुलना मिलना सीखेगा।
सामाजिक दायरा बढ़ाएं

किसी भी ख़ास उत्सव जैसे जन्मदिन , शादी की सालगिरह या किसी त्यौहार पर किसी होटल में जाने से अच्छा आस पास के बच्चों और उनके माता पिता को घर पर बुलाएं और साथ मिल कर ख़ास उत्सवों पर अलग अलग तरह के व्यंजन बनाएं। तरह तरह के रोचक खेल खेलें जिनमे बच्चे भी शामिल हों और एक दूसरे से बातें करें उनकी पसंद ना पसंद पूछें। इस तरह बच्चे खुलने लगेंगे और उनके स्वभाव में काफी खुलापन आने लगेगा।
बच्चों को सुनें

अक्सर बच्चे ऐसे सवाल पूछ बैठते है जिनका हमारे पास कोई जवाब नहीं होता। इस स्तिथि में हम बच्चों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। ये गलती अब ना दोहराएं, जब भी बच्चा अपने खेल में व्यस्त हों या आपके आस पास ना भी हों तो आप खुद से उसके पास जाएँ और प्यार से उनसे कुछ बातें करें उनकी दिनचर्या के बारे में पूछें और अपनी दिनचर्या भी बताएं। जब भी बच्चा कोई सवाल करे उसके सवाल को ध्यान से सुने और उतने ही अच्छे से उसके सवाल का ऐसा जवाब दें जो उसके समझ में आये। इस तरह बच्चा आपसे जुड़ाव महसूस करने लगेगा। उसे भाई बहिन की कमी नहीं खलेगी।
अपना बचपन साझा करें

बच्चों के मन में ये उत्सुकता रहती है की उनके माता पिता का बचपन कैसा रहा होगा। बच्चे के साथ अपने बचपन की मीठी यादें जरूर साझा करें और साथ ही उन्हें अपने खेलों के बारे में भी बताएं, उनसे लहें की चलो हम आपको अपने बचपन के खेल सिखाते हैं और आप हमें अपने खेल के नियम सिखाओ। इस तरह बच्चा बहुत खुश हों जाएगा और वो आपको अपना दोस्त समझने लगेगा, इसका एक फायदा ये भी होगा की आपकी ये दोस्ती बच्चे के बचपन से लेकर बड़े होने तक भी यूँ ही मजबूत बनी रहेगी।