Traditional North Indian Bridal Jewellery
Traditional North Indian Bridal Jewellery

North Indian Bridal Jewellery: भारतीय शादियां सिर्फ रस्मों और रिवाजों का मेल नहीं होतीं, बल्कि हर रिवायत के साथ पहनावे की अपनी खास पहचान भी जुड़ी होती है। अगर आप गौर करें, तो हर राज्य की दुलहन किसी न किसी विशिष्ट आभूषण के साथ नज़र आती है—जो केवल उसके श्रृंगार को ही नहीं, बल्कि प्रेम, प्रतिबद्धता और सांस्कृतिक मूल्यों को भी दर्शाता है। भारत जैसे विविधताओं से भरपूर देश की सुंदरता इसकी शादियों में सबसे जीवंत रूप में दिखाई देती है। हर दुलहन का गहना उसकी संस्कृति, पहचान और परंपरा का अनोखा बयान होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि उत्तर भारत के 5 राज्यों की दुलहनें कौन-से पारंपरिक गहने पहनती हैं और उनका सांस्कृतिक महत्त्व क्या है।

कश्मीर-देझूर

Kashmir-Dejhoor Jewellery
Kashmir-Dejhoor

देझूर कश्मीरी पंडित दुलहन के विवाहित होने का प्रतीक है। यह कान के ऊपरी हिस्से में छेद करके पहने जाने वाला आभूषण है। अगर आपने इसके डिजाइन की तरफ ध्यान दिया है तो यह सोने की चेन के साथ षट्कोणीय लॉकेट की तरह नजर आता है। यह शादी वाले दिन पहना जाता है। मान्यता है कि देझूर यानी जो लॉकेट होता है वो दुलहन अपने घर से लाल रंग के धागे में पहनकर आती है। शादी के बाद जब वह ससुराल आती है तो सास दुलहन को सोने की चेन देती है जिसमें दुलहन देझूर पहनती है।

उत्तराखंड-नथुली

यह एक बड़े आकार की नाक की बाली है जो विवाहित पहाड़ी महिलाओं की पहचान, गरिमा और परंपरा को दर्शाती है। यह सोने और विभिन्न प्रकार के मोतियों से गढ़ी होती है। विवाहित महिलाओं द्वारा नथुनी का पहनना सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। महिलाएं इसको विवाह और अन्य शुभ अवसरों पर इसको पहनती है। पहाड़ी परिवारों में नथुनी को धरोहर की तरह पीढ़ी दर पीढ़ी संभाल कर रखा जाता है।

हिमाचल- चिरी टिक्का

Himachal - Chiri Tikka
Himachal – Chiri Tikka

माथे पर पहने जाने वाला ये आभूषण चांदी का होता है, जिसमें जगह-जगह मीनाकारी जैसा भी डिजाइन होता है। स्थानीय भाषा में ‘चिरी’ का अर्थ पक्षी होता है इसलिए इस आभूषण में जटिल पक्षी या फूल बने होते हैं। चिरी टिक्का खासकर गद्दी दुलहन के सिर पर, रस्सी या चेन की मदद से बांधा जाता है। यह सिर्फ एक गहना नहीं सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक स्थिति का प्रतीक है।

राजस्थान -बोरला

माथे के बीच में पहने जाने वाला यह गोलाकार आभूषण राजस्थान की परंपरा का खास प्रतीक है। इसको सोने, चांदी, कुंदन, मोती, मानक, पन्ना और रंग-बिरंगे पत्थर आदि से बनाया जाता है। बोरला राजस्थानी दुलहन की पारंपरिक पोशाक का अहम हिस्सा माना जाता है, जिसको धागे या चेन के सहारे माथे के बीच में पहना जाता है। इसमें दो साइड चेन भी होती हैं।

पंजाब-चूड़ा और कलीरा

Punjab - Chuda and Kalira
Punjab – Chuda and Kalira

पंजाबी शादी में दुलहन चूड़ा और कलीरे पहनती है। दुलहनका यह चूड़ा उसके मामा लाते हैं और उसको पहनाते हैं। इसमें पारंपरिक रूप से लाल और सफेद रंग की लगभग 21 चूड़ियाँ होती हैं। बात करें कलीरे कि तो पारंपरिक कलीरे सोने या मोतियों के नहीं बल्कि लाल धागे में नारियल गिरी, मखाने और मुरमुरों पिरोकर बनाये जाते थे। चूड़ा और कलीरे न केवल आभूषण हैं, बल्कि सांकेतिक और भावनात्मक अर्थ भी रखते हैं।



वर्तमान में गृहलक्ष्मी पत्रिका में सब एडिटर और एंकर पत्रकारिता में 7 वर्ष का अनुभव. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी दैनिक अखबार में इंटर्न के तौर पर की. पंजाब केसरी की न्यूज़ वेबसाइट में बतौर न्यूज़ राइटर 5 सालों तक काम किया. किताबों की शौक़ीन...