20+ कुरुक्षेत्र के ये हैं घूमने के लिए बेहतरीन स्थान और प्रमुख दर्शनीय स्थल
Famous Places in Kurukshetra in Hindi : हरियाणा में स्थित कुरुक्षेत्र धार्मिक और ऐतिहासित महत्व रखता है। यहां कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां आप अपने बच्चों के साथ जा सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे इलाकों के बारे में-
Kurukshetra Mein Ghumne ki Best Jagah: कुरुक्षेत्र का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे दिमाग में महाभारत की छवि बनती हैं। यह वही क्षेत्र है, जहां महाभारत लड़ी गई थी। हिंदू पौराणिक कथाओं में डूबा हुआ, कुरुक्षेत्र सबसे पुराने शहरों में से एक है। यहां के लिए हजारों कहानियां सुनने को मिलेंगी। यहां धार्मिक मोक्ष प्राप्त करने के लिए कई तीर्थस्थल हैं। अगर आप कुरुक्षेत्र जाने का ट्रिप प्लान कर रह हैं, तो कुछ खूबसूरत जगहों पर जा सकते हैं। आइए जानते हैं कुरुक्षेत्र के 20 से भी अधिक ऐसे खूबसूरत धार्मिक और ऐतिहासित स्थल के बारे में-
कुरुक्षेत्र में घूमने के लिए 20 खूबसूरत जगह – Famous Places in Kurukshetra in Hindi
| जगह | किलोमीटर (शहर से दूरी) |
| राजा कर्ण का किला (Raja Karna Ka Kila) | 8 किलोमीटर |
| शेख चिल्ली का मकबरा (Sheikh Chilli’s Tomb) | 9 किलोमीटर |
| पैनोरमा और विज्ञान केंद्र (Kurukshetra Panorama & Science Centre) | 9 किलोमीटर |
| ब्रह्म सरोवर (Brahma Sarovar) | 9 किलोमीटर |
| भीष्म कुंड (Bhishma Kund) | 9 किलोमीटर |
| कृ्ष्णा म्यूजियम (Krishna Museum) | 9 किलोमीटर |
| सन्निहित सरोवर (Sannihit Sarovar) | 9 किलोमीटर |
| ज्योतिसर (Jyotisar)- | 5 किलोमीटर |
| स्थानेश्वर महादेव मंदिर (Sthaneshwar Mahadev Temple) | 9 किलोमीटर |
| भद्राकाली मंदिर (Bhadrakali Temple) | 8 किलोमीटर |
| कल्पना चावला मेमोरियल तारामंडल (Kalpana Chawla Memorial Planetarium) | 6 किलोमीटर |
| लक्ष्मी नारायल मंदिर (Lakshmi Narayana Temple) | 9 किलोमीटर |
| धरोहर म्यूजियम (Dharohar Museum) | 8 किलोमीटर |
| राजा हर्ष का टीला (raja Harsh Ka Tila) | 8 किलोमीटर |
| फल्गु तीर्थ (Phalgu Tirtha) | 24 किलोमीटर |
| निष्ठा फिश म्यूजियम (Nishtha Fish Museum) | 6.5 किलोमीटर |
| रन्तुक यक्ष तीर्थ (Rantuka Yaksh Tirth) | 13 किलोमीटर |
| ओपी जिंदल पार्क एंड म्यूजिकल फाउंटेन (Op Jindal Park and Musical Fountain) | 8 किलोमीटर |
| पिपली जू (Pipli Zoo) | 14 किलोमीटर |
| भोर सेदान क्रोकोडाइल फार्म (Bhor Saidan Crocodile Farm) | 7 किलोमीटर |
राजा कर्ण का किला (Raja Karna Ka Kila)
राजा कर्ण का किला इस क्षेत्र में चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक के तीन सांस्कृतिक कालखंडों से जुड़ा एक खास स्थल है। इसका पहली बार सर्वेक्षण और उत्खनन 1921 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया गया था। यहां आपको कई तरह की कलाकृति देखने का मौका मिलेगा। मुख्य रूप से बरामद कलाकृतियों में टेराकोटा मुहरें, कपड़े, टेराकोटा मोती, मुद्रांकित मिट्टी के बर्तन, ईंटें, मिट्टी की कलाकृतियां और मुहरें इत्यादि शामिल हैं।

प्रवेश शुल्क
इस किला में प्रवेश के लिए आपको प्रत्येक व्यक्ति 20 रुपये शुल्क के रूप में देना होगा। आप यहां सुबह 5.30 बजे से रात के 8 बजे तक जा सकते हैं।
शेख चिल्ली का मकबरा (Sheikh Chilli’s Tomb)
शेख चिल्ली का मकबरा, राजकुमार दारा शिकोह के सूफी गुरु की याद में बनाया गया था। आपको यहां आकर्षण सुंदर पुष्प डिजाइन्स के साथ फ़ारसी वास्तुकला का एक आश्चर्यजनक चित्रण देखने को मिलेगा। इस परिसर में शेख चिल्ली और उनकी पत्नी की कब्र, लाल बलुआ पत्थर से बनी एक मस्जिद, मदरसा, खूबसूरती से बनाए गए लॉन और एक पुरातत्व संग्रहालय है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

प्रवेश शुल्क
यहां जाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शुल्क के रूप में 5 रुपये देना होता है। वहीं, आप यहां सुबह 10 से शाम के 5 बजे तक जा सकते हैं।
पैनोरमा और विज्ञान केंद्र (Kurukshetra Panorama & Science Centre)
पारंपरिक भारतीय धर्म में विज्ञान की भूमिका को समझाने के लिए कुरुक्षेत्र पैनोरमा और विज्ञान केंद्र की स्थापना की गई थी। केंद्र में संस्कृति के साथ प्रौद्योगिकी के विलय के इंटरैक्टिव और कार्यात्मक प्रदर्शन प्रदर्शित किए गए हैं।

प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शुल्क के रूप में करीब 35 रुपये देने होते हैं। वहीं, आप यहां सुबह 9.30 बजे से शाम के 6 बजे तक प्रवेश कर सकते हैं।
ब्रह्म सरोवर (Brahma Sarovar)
ब्रह्म सरोवर एक पवित्र सरोवर है। ऐसा कहा जाता है कि इस सरोवर के पानी में डुबकी लगाने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वर्तमान में इसका नवीनीकरण किया गया है और यह आधुनिक अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। ब्रह्म सरोवर कुरूक्षेत्र का सबसे उत्तम और मनमोहक स्थल है। पर्यटक यहां सूर्यास्त देखने के लिए घंटों अपना समय बिता सकते हैं। यह स्थान रंगीन है और पूरे समय जीवंत रहता है जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।

प्रवेश शुल्क
इस सरोवर के पास जाने के लिए आपको किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप किसी भी समय जा सकते हैं।
भीष्म कुंड (Bhishma Kund)
भीष्म कुंड, महाभारत की प्रसिद्ध कथा से जुड़ा कुंड है। ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है, जहां भीष्म पितामह को युद्ध देखने के लिए अर्जुन द्वारा बनाई गई तीरों की शय्या पर लिटाया गया था। इस दौरान जब उन्हें प्यास लगी और उन्होंने पानी मांगा, तो अर्जुन ने भीष्म की प्यास बुझाने के लिए जमीन में तीर चलाकर पानी का झरना छोड़ दिया। यह जलाशय अब भीष्म कुंड के नाम से जाना जाता है।

प्रवेश शुल्क
इस कुंड को देखने के लिए आपको किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां किसी भी समय जा सकते हैं।
कृष्णा म्यूजियम (Krishna Museum)
इस म्यूजियम की स्थापना 1987 में की गई थी, जिसमें पहली शताब्दी ईस्वी से 11वीं शताब्दी ईस्वी तक भगवान कृष्ण और कृष्ण के अवतारों की विभिन्न कलाकृतियां शामिल की गई हैं। छह दीर्घाओं वाले संग्रहालय में भागवत पुराण और महाभारत में वर्णित रूपों में भी मूर्तियां प्रदर्शित हैं। अगर आप कुरुक्षेत्र जाएं, तो इस म्यूजियम को देखना मिस न करें।

प्रवेश शुल्क
बच्चों के लिए प्रवेश शुल्क 10 रुपये और वयस्कों के लिए प्रवेश शुल्क 30 रुपये है। आप यहां सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक जा सकते हैं।
सन्निहित सरोवर (Sannihit Sarovar)
इस सरोवर को भगवान विष्णु का घर माना जाता है। यह सरोवर 550 फीट चौड़ा और 1500 फीट ऊंचा हैं। यह सरस्वती नदी की सात सहायक नदियों का मीटिंग प्वाइंट है। ऐसा माना जाता है कि यहां अमावस्या या ग्रहण के दिन स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है। सरोवर परिसर में ध्रुव नारायण, श्री हनुमान, भगवान विष्णु, ध्रुव भगत, लक्ष्मी नारायण और देवी दुर्गा के मंदिर भी हैं।

प्रवेश शुल्क
इस सरोवर में प्रवेश के लिए आपको किसी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां किसी भी समय प्रवेश कर सकते हैं।
ज्योतिसर (Jyotisar)
ज्योतिसर महाभारत की कथा से जुड़ा हुआ क्षेत्र है, जो कुरुक्षेत्र में एक पवित्र स्थल है। ऐसा माना जाता है कि यहीं पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भीष्म और करण के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए तैयार करने के लिए बरगद के पेड़ के नीचे भगवद गीता सुनाई थी। माना जाता इस कस्बे में आज भी वह पेड़ मौजूद है।

प्रवेश शुल्क
ज्योतिसर में प्रवेश के लिए आपको किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां कभी भी प्रवेश कर सकते हैं।
स्थानेश्वर महादेव मंदिर (Sthaneshwar Mahadev Temple)
ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने स्थानेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त किया था। मान्यता है कि इस मंदिर के परिसर में मौजूद तालाब के पानी में औषधीय गुण मौजूद है। इससे ही बाणासुर के कुष्ठ रोग को भी ठीक किया था।

प्रवेश शुल्क
मंदिर में प्रवेश के लिए आपको कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां सुबह 4 बजे से शाम के 9 बजे तक प्रवेश कर सकते हैं।
भद्राकाली मंदिर (Bhadrakali Temple)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भद्रकाली मंदिर वह स्थान है, जहां पांडवों ने कौरवों के खिलाफ अंतिम युद्ध से पहले प्रार्थना और अनुष्ठान किए थे। यह शक्तिपीठों में से एक, यह मंदिर देवी काली और उनके अवतारों का घर है।

प्रवेश शुल्क
भद्रकाली मंदिर में प्रवेश के लिए आपको किसी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां सुबह 6 से रात के 8 बजे तक प्रवेश कर सकते हैं।
कल्पना चावला मेमोरियल तारामंडल (Kalpana Chawla Memorial Planetarium)
कल्पना चावला मेमोरियल तारामंडल की स्थापना कल्पना चावला की स्मृति में की गई है। यह खगोलीय विज्ञान और प्रागैतिहासिक काल से भारतीय सभ्यता के अध्ययन पर आधारित तारामंडल है। इस तारामंडल में काफी दिलचस्प प्रदर्शनियां और लघु फिल्में हैं, जो पर्यटकों और छात्रों के मन में विषय के बारे में अधिक रुचि पैदा करने में मदद कर सकती है।

प्रवेश शुल्क
इस तारामंडल में जाने के लिए आपको प्रत्येक व्यक्ति 30 रुपये शुल्क के रूप में देना होता है। आप यहां सुबह 10 बजे से शाम के 4.30 बजे तक जा सकते हैं।
लक्ष्मी नारायण मंदिर (Lakshmi Narayan Temple)
लक्ष्मी नारायण मंदिर 18वीं शताब्दी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो भगवान नारायण और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इस मंदिर को चोल राजवंश के शासनकाल में बनाया गया था। मंदिर का बहुत धार्मिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर में आने वाले भक्त अगर इस मंदिर के चारों ओर सात परिक्रमा पूरी करते हैं, तो उन्हें चार धाम यात्रा करने की जरूरत नहीं जाना पड़ेगी।

प्रवेश शुल्क
इस मंदिर में प्रवेश के लिए आपको किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां सुबह 6.30 से रात के 10 बजे तक दर्शन के लिए जा सकते हैं।
धरोहर म्यूजियम (Dharohar Museum)
धरोहर म्यूजियम राज्य की समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, पुरातात्विक और स्थापत्य विरासत को प्रदर्शित करता है। इसकी स्थापना कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष के दौरान की गई थी। संग्रहालय में 23 से अधिक दीर्घाएं हैं, जो चित्रों, तस्वीरों, कलाकृतियों और पांडुलिपियों के माध्यम से क्षेत्र की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करती हैं। संग्रहालय परिसर में एक खुली हवा वाला एम्फीथिएटर भी है, जहां अक्सर लोक प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं।

प्रवेश शुल्क
इस म्यूजियम में प्रवेश के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शुल्क के रूप में 5 रुपये देना होता है। वहीं, आप यहां सुबह 10 बजे से शाम के 4 बजे तक जा सकते हैं।
राजा हर्ष का टीला (Raja Harsh Ka Tila)
राजा हर्ष का टीला पुरातात्विक रूप से एक महत्वपूर्ण स्थल है। इस टीले के उत्खनन से लगभग 1 वर्ग किलोमीटर तक फैली एक प्राचीन बस्ती का पता चला है। रिसर्च से पता चला है कि ये बस्तियां पहली शताब्दी से लेकर 19वीं शताब्दी ईस्वी तक के छह से अधिक सांस्कृतिक कालखंडों की हैं, जिनमें गुप्त, कुषाण, वर्धमान, गुप्तोत्तर और मुगल काल शामिल हैं।

प्रवेश शुल्क
राजा हर्ष के टीले में प्रवेश के लिए आपको प्रत्येक व्यक्ति शुल्क के रूप में 5 रुपये देना होता है। आप यहां सुबह 6 बजे से शाम के 5 बजे तक प्रवेश कर सकते हैं।
फल्गु तीर्थ (Phalgu Tirtha)
फल्गु तीर्थ का देश में धार्मिक रूप से काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है, यह एक पवित्र तीर्थस्थल है। मुख्य रूप से पितृ पक्ष के दौरान इस स्थान का काफी महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि यहां मृत पूर्वजों के नाम पर पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

प्रवेश शुल्क
यहां जाने के लिए आपको किसी तरह का कोई प्रवेश शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां कभी भी जा सकते हैं।
निष्ठा फिश म्यूजियम (Nishtha Fish Museum)
निष्ठा फिश म्यूजियम एक छोटा सा मछली संग्रहालय है, जहां आप कई रंगीन जलीय प्रजातियों की मछलियों को देख सकते हैं। यह मुख्य रूप से बच्चों के लिए बेहद ही आकर्षण स्थल है। यहां आप अपने बच्चों के साथ एक दिन की पिकनिक का आनंद लेने सकते हैं।

प्रवेश शुल्क
निष्ठा फिश म्यूजियम में प्रवेश के लिए आपको प्रत्येक व्यक्ति 30 रुपये शुल्क के रूप में देना होता है। आप यहां सुबह 10 बजे से रात के 8 बजे तक जा सकते हैं।
रन्तुक यक्ष तीर्थ (Rantuka Yaksh Tirth)
इस तीर्थ स्थल का नाम ऋषि जमदग्नि की पत्नी रेणुका के नाम पर रखा गया है। यह कुरुक्षेत्र का प्रवेश बिंदु है और इस क्षेत्र में मौजूद चार यक्षों में से एक है। यह शांत और पवित्र तीर्थ स्थल है, जो सरस्वती नदी के तट पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यात्रा शुरू करने से पहले यहां डुबकी लगाना शुभ होता है।

प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए आपको किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां सुबह 4 बजे से शाम के 7 बजे तक जा सकते हैं।
ओपी जिंदल पार्क एंड म्यूजिकल फाउंटेन (Op Jindal Park and Musical Fountain)
ओपी जिंदल पार्क और म्यूजिकल फाउंटेन राज्य के ऊर्जा मंत्री ओपी जिंदल की याद में बनाया गया था। यह आकर्षण पार्क लगभग 14 एकड़ भूमि में फैला हुआ है, जिसमें फव्वारों के साथ हरे-भरे लॉन, एक जॉगिंग पार्क, बच्चों के खेलने का एरिया, एक शांत मेडिटेशन सेंटर और एक सुगंधित गुलाब का बगीचा है।

प्रवेश शुल्क
इस पार्क में प्रवेश के लिए आपको किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां सुबह 8 बजे से रात के 9 बजे तक जा सकते हैं।
पिपली जू (Pipli Zoo)
सन् 1982 में स्थापित, पिपली चिड़ियाघर करीब 25 एकड़ की भूमि में फैला हुआ जू है। यहां आपको जानवरों की विभिन्न प्रजातियां देखने को मिलेंगी। चिड़ियाघर में एक काला हिरण प्रजनन केंद्र भी है और यह पशु प्रेमियों के लिए एक प्रसिद्ध पिकनिक स्थल है।

प्रवेश शुल्क
इस जू में प्रवेश के लिए आपको प्रत्येक व्यक्ति 10 रुपये शुल्क के रूप में देना होता है। आप यहां सुबह 7 बजे से शाम के 4.30 बजे तक प्रवेश कर सकते हैं।
भोर सेदान क्रोकोडाइल फार्म (Bhor Saidan Crocodile Farm)
भोर सेदान क्रोकोडाइल फार्म मगरमच्छों से भरे एक टैंक के आसपास के क्षेत्र में स्थापित किया गया था। 1982 में फार्म को वन विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया और इसके आसपास के क्षेत्रों पर बाड़ लगा दी गई। विभाग ने पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करने में मदद के लिए मद्रास के मगरमच्छ बैंक से मगरमच्छों के चार जोड़े लाए। फार्म की वर्तमान आबादी 25 है।

प्रवेश शुल्क
यह सुबह 8 बजे से शाम के 6 बजे तक खुला रहता है।
कुरुक्षेत्र घूमने का सबसे सही समय कौन सा है?
कुरुक्षेत्र जाने से पहले यहां जाने का सबसे सही समय पता होना बहुत ही जरूरी होता है, ताकि आपको वातावरण को लेकर किसी तरह की परेशानी का अनुभव न हो। यहां जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी के बीच का माह होता है। क्योंकि इस समय सर्दी का मौसम होता है, जो काफी सुहावना माना जाता है।
कुरुक्षेत्र कैसे पहुंचे?
फ्लाइट द्वारा : कुरुक्षेत्र में फिलहाल कोई हवाई अड्डा नहीं है। ऐसे में आप डायरेक्ट कुरुक्षेत्र के लिए एयर टिकट नहीं ले सकते हैं। आप यहां के नजदीकी हवाई अड्डा जैसे- दिल्ली या चंढ़ीगड़ के लिए फ्लाइट की टिकट बुक करा सकते हैं। यहां से आप कैब बुक करके कुरुक्षेत्र की यात्रा शुरु कर सकते हैं।
ट्रेन द्वारा : वर्तमान में देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से कुरुक्षेत्र के लिए ट्रेन की टिकट उपलब्ध है। आप कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन के लिए टिकट ले सकते हैं। स्टेशन पर पहुंचक आप कैब या फिर पब्लिक गाड़ी से कुरुक्षेत्र की यात्रा को शुरू कर सकते हैं।
सड़क या बस द्वारा : वर्तमान समय में कुरुक्षेत्र देश के लगभग सभी राज्यों के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय मार्ग से जुड़ा हुआ है। ऐसे में आप बस या फिर अपनी गाड़ी की मदद से सड़क द्वारा कुरुक्षेत्र पहुंच सकते हैं।
कुरुक्षेत्र में ठहरने के लिए होटल
होटल तिरुपति
रेलवे रोड, मुख्य रेलवे स्टेशन के पास, न्यू कॉलोनी, कुरूक्षेत्र
होटल पटियाला
फ्लाई ओवर, पटियाला, बैंक कॉलोनी, ब्रह्मा चौक के पास, सुंदरपुर, कुरुक्षेत्र
होटल पर्ल मार्क
रिपब्लिक, रेलवे रोड, कुरुक्षेत्र, हरियाणा
FAQ | क्या आप जानते हैं
कुरुक्षेत्र में अगर आप घूमने का प्लान कर रहे हैं, तो दो से 3 दिनों के अंदर आपका लगभ 9 से 10 हजार रुपये का खर्चा हो सकता है। हालांकि, होटल की बुकिंग के आधार पर खर्चा ज्यादा या कम हो सकता है।
कुरुक्षेत्र घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी के बीच का महीना माना जाता है।
कुरुक्षेत्र के आसपास कई तरह के होटल है, जहां आप रुक सकते हैं।
रात के समय आप कुरुक्षेत्र में ज्योतिसर, फल्गु तीर्थ, राजा कर्ण का किला, भद्रकाली मंदिर जैसी जगहों पर जा सकते हैं।
रात में आप कुरुक्षेत्र में मंदिरों के दर्शन, शॉपिंग इत्यादि कर सकते हैं।
