घर क्या होता है? घर वो है जो आपको सुकून के कुछ पल दे सके। जो आपसे बात करता हो। आपकी खुशी में खुश और आपके दुख में दुखी हो जाए। जहां आपकी आत्मा बसती हो। जहां रहकर आप सब कुछ भूलकर अपने में खो सकते हैं। जहां पहुंचकर आपका सारे दिन का तनाव और थकान दूर हो जाए। अगर ऐसा न हो तो घर घर नहीं मकान हो जाता है जहां हों सिर्फ चारदीवारें जो चुपचाप बस यूं ही खड़ी रहती हों। घर में भावनाएं भरी जा सकती हैं, उसको अपना मानकर, पालपोस कर, सजा- संवार कर। कोई भी महिला जब शादी के बाद अपने ससुराल आती है तो उसे वह घर कुछ समय तो पराया सा लगता है लेकिन जब वह उसे सलीके से संवारती है, सजाती है तो वह उसे अपना सा लगने लगता है। वह उसको सुंदर और सुरुचिपूर्ण बनाती है। तन-मन-धन लगाकर पालती पोसती है। तब कहीं जाकर वह घर- घर कहलाता है।
मेरे बंगले का नाम निलया है जो प्रकृति के बहुत करीब है। मेरे घर के अंदर देखें या बाहर, वहां चारों तरफ हरियाली दिखाई देती है। मुझे प्रकृति से बहुत ह्रश्वयार है। अगर मेरे घर में यदि आप शांत बैठें तो कुछ ही पलों में आपको पक्षियों के गाने की आवाज सुनाई देगी। मैं हमेशा से यही चाहती थी कि जब भी सुबह-सुबह अपनी आंखें खोलूं तो खिड़की खोलते ही हरियाली नजर आए और मैं फूलों को देख सकूं, प्रकृति से नजदीकी महसूस करूं। अपने इस अहसास को मैंने अपने घर में मूर्त रूप दिया है।
मुझे केरल में बने घर बेहद पसंद हैं और वहीं से प्रेरणा लेकर मैंने अपना घर डिजाइन किया। मैंने घर के आउटडोर में काले, लाल और ग्रे पत्थरों का इस्तेमाल किया है। अपने लिविंग रूम को गोल्ड और रेड जैसे बोल्ड शेड्स से सजाया है ताकि फर्नीचर और होम डेकोर में खासा मूवमेंट नजर आए। घर की ऊंची खिड़कियां अधिक रोशनी को अंदर आने में मदद करती हैं जिससे घर पूरे दिन रोशन और चमकदार बना रहता है। मेरे घर में एक छोटा सा, सुंदर सा मंदिर भी है, जिसमें बैठकर सारे परिवार के लोग पूजा-अर्चना करते हैं और यही मेरी फेवरेट जगह भी है। इसे बनवाते वक्त मैंने वास्तु का पूरा ध्यान रखा है। मंदिर को मैंने इस तरह बनवाया है कि वहां सुबह से शाम तक सूरज की रोशनी आए।
घर की एंट्रेंस के पास रखी गणेश जी की कलात्मक कृति आपका ध्यान आकर्षित कर लेगी। मुझे लगता है कि घर से अपनी सुरुचि और आर्टिस्टिक सोच की झलक दिखनी चाहिए। अपने घर का इंटीरियर करते वक्त मेरे दिमाग में केवल एक ही बात थी कि मैं उसे आज के स्टाइल में इस तरह सजाऊं कि मेरा पूरा व्यक्तित्व मेरे घर में नजर आए। मैंने सोचा कि मुझे अपने बंगले में फ्यूजन चाहिए। इसके लिए मैंने अपने घर में नई और पुरानी वस्तुओं का पूरा उपयोग कर मॉडर्न और कंटेम्परेरी का फ्यूजन क्रिएट किया। वैसे भी पुरानी चीजों को नया ट्विस्ट देना मेरा शौक और मेरी खासियत भी है। मुझे लगता है कि पारंपरिक चीजें घर को बेहद सुंदर लुक देती हैं।
फिल्मों में घरों को उसी थीम के अनुरूप सजाया-संवारा जाता है जैसा फिल्म का और अभिनेता-अभिनेत्री का मूड होता है। जैसे यदि फिल्म में खुशी का माहौल दिखाया जाना है तो उस वक्त घर का इंटीरियर या पीछे के एलीमेंट्स
चीयरफुल रंगों से सजे होंगे। अगर माहौल में कुछ गम दिखाया जाना है तो घर का प्रमुख इंटीरियर तो वही होगा लेकिन कुछ एलीमेंट्स हल्के या सफेद रंग के रखे जाएंगे जो माहौल में शांति को प्रदर्शित करें। होम इंटीरियर में रंग और टेक्सचर हमारे अपने व्यक्तित्व को पूरी तरह से बयान करते हैं, यह हमारी पर्सनल और प्रोफेशनल जिंदगी और मानसिकता को भी प्रदर्शित करते हैं। साथ ही हमारी प्रेरणा का बखान कर दूसरों के लिए प्रेरक बनते हैं।
घर का रंगरूप हमारी यादों और पुराने अनुभवों को भी दर्शाता है। अगर फिल्में लोगों की असल जिंदगी से प्रेरणा लेकर बनाई जाती हैं तो हम क्यों नहीं? आप भी रीललाइफ को अपने जीवन में उतारें और फिल्मों से प्रेरणा लेकर अपने घर की सजावट करें। खूब फिल्में देखिये और अपने आरामतलब जीवन से बाहर निकल कर खुद अपने हाथों से कुछ नये एक्सपेरिमेंट कीजिए।
