Broken Idols: मंदिर की साफ-सफाई के दौरान कई बार मूर्ति खण्डित हो जाती है। यूं तो मूर्ति का खंडित होना अशुभ संकेत माना जाता है। मगर ऐसी स्थिति में चिंतित होने की बजाय सोच विचार कर काम करें। ऐसी मान्यता है कि मूर्तियों में देवताओं का वास होता है और अगर हम घर में खण्डित या आभाहीन मूर्ति रखते हैं, तो इसका प्रभाव हमारे परिवार और जीवन पर धीरे-धीरे नजर आने लगता है। अगर मूर्ति खण्डित हो जाती है, तो इसे घर में रखना उचित नहीं माना जाता है। खण्डित मूर्ति अगर आप अपने पूजा घर या कार्य स्थल पर रखते हैं, तो आपको कई परेशानियों से होकर गुजरना पड़ सकता है। आइए जानते हैं, खण्डित मूर्ति के प्रभाव और उस मूर्ति के प्रति दायित्व पूर्ति कैसे करें।
मानहानि होने का खतरा
अगर आपके कार्यस्थल पर कोई मूर्ति टूट गई है या भगवान की कोई तस्वीर फट गई है और फिर भी आपने उसे अपने कार्यक्षेत्र पर रखा हुआ है, तो इसका दुष्प्रभाव धीरे-धीरे आपके काम पर नजर आने लगता है। इससे सबसे ज्यादा मानहानि होने का खतरा मंडराता रहता है। कोशिश करें कि उस मूर्ति या तस्वीर को वहां से हटा दें। इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि वर्किंग टेबल पर अगर कोई भी मूर्ति रखी है, तो वो हमेशा आकार में छोटी होनी चाहिए, जिसे आप आसानी से खिसकाकर साफ सफाई कर सकें और आपके टेबल पर सदैव रखी रहे।
इष्टदेव नाराज हो जाते हैं

अगर आप पांव लगने या किसी अन्य कारण से मूर्ति खण्डित हो गई है, तो ध्यान रखें कि इष्टदेव से तुरंत माफी मांग लें और हनुमान चालीसा का पाठ भी करें। अन्यथा इष्टदेव रूष्ट हो जाते हैं। दरअसल, खण्डित मूर्ति की पूजा करना बहुत बड़ा अपशगुन माना जाता है।
मूर्ति खंडित हो जाये तो क्या करें

मूर्ति का यदि हाथ या कान या कोई और हिस्सा खण्डित हो जात है, तो उसे घर से बाहर या पीपल के पेड़ के नीचे न छोड़े। इसके लिए आप बाजार से नया लाल कपड़ा लाएं और मूर्ति को लाल कपड़े में लपेटकर मौली के धागे से बांधें। फिर किसी बड़ी नहर या नदी में विसर्जित कर दें। इस बात का ध्यान रखें कि किसी खास दिन जैसे पूर्णिमा, दीपावली, होली, एकादशी या ग्रहण के समय विसर्जित करने से बचें। इसके अलावा लक्ष्मी जी की प्रतिमा शुक्रवार को विसर्जित न करें, हनुमान जी की मूर्ति मंगलवार को विसर्जित न करें और शिवजी की प्रतिमा सोमवार को विसर्जित करने से बचें।
मूर्ति खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि मूर्ति मिट्टी की ही होनी चाहिए, ताकि जल में चिसर्जित करते ही पंचतत्व में विलीन हो जाए। अगर आप प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्ति को मंदिर में रखते हैं, तो वो पूर्ण रूप से विलीन नहीं हो पाती है। ऐसे में जब भी मंदिर के लिए मूर्ति खरीदें, तो ध्यान रखें की मूर्ति मिट्टी की ही होनी चाहिए।
इसके अलावा अगर आपके घर में कोई पुराने ग्रंथ या किताबें रखी है, जिन्हें आप नहीं पढ़ते हैं, तो उन्हें भी किसी लाल कपड़ें में बाधंकर रख दें और जब भी आप किसी तीर्थ पर दर्शनों के लिए जाएं, तो किसी बड़ी नदी में प्रवाहित कर दें या फिर किसी लाइब्रेरी में दान कर दें।