ईश्वर ने भाई-बहन का रिश्ता ऐसा बनाया है जिसमें अटूट प्यार-अपनत्व जरूर होता है। बचपन से जो एक-दूसरे का हाथ थामकर बड़े होते हैं तो सालों-साल यह पकड़ ना छूट पाती हैं ना ही व्यस्त जिंदगी में तमाम जिम्मेदारियों के बीच भी लगाव-प्रेम की आस्था कम होती है। किन्तु आज इस रिश्ते में भी तकरार, द्वेष की बातें देखी-सुनाई देने लगी हैं। कई बार तो छोटी-छोटी झड़प आपसी मन-मुटाव इतना हो जाता हैं कि यहां तक कहना-सुनना हो जाता हैं कैसा भाई-कैसी बहन ना कोई नाता ना कोई रिश्ता। लेकिन क्या सिर्फ कहने-सुनने से इतनी आसानी से यह रिश्ता बिखर सकता हैं मन में थोड़ी बहुत खटास तो आ सकती है पर क्या दूरियां दिलों में दरार ला सकती हैं मन की चाहत को दूर कर सकती है, कदापि नहीं। बचपन में भी भाई-बहन के बीच लड़ाई-झगड़े होते थे, तब अधिक देर तक टिक नहीं पाते थे। बड़े होकर तो और भी समझदारी होनी चाहिए, बेवजह बात को ज्यादा तूल ना देते हुए बढ़ने से रोकना चाहिए। आपके जीवन में ये रिश्ता अत्यन्त अहम् है इसलिए एक-दूसरे के प्रति त्याग और समर्पण का दृष्टिकोण रखते हुए इस रिश्ते को जीवंत तथा स्नेहपूर्ण रखा जा सकता है।
 
1. बच्चे नहीं बड़े हैं आप : बचपन की बात और हुआ करती है जब भाई-बहन झगड़ते हैं और कुछ ही देर बाद सब भुलाकर सुलह भी कर लेते हैं। बड़े होने के बाद शादी या जॉब की वजह से अलग होना पड़ता है, जाने-अनजाने मन को आहत करने वाला वाकया हो भी जाए तो बड़प्पन का परिचय देते हुए बढऩे से रोकना चाहिए, क्योंकि दूर होने की वजह से आपकी कही बात का अर्थ ही बदल जाता है। अत: बात का बतंगड़ नहीं बनने देना चाहिए।
 
2. हम साथ-साथ हैं : यदि इस एक वाक्य, हम साथ-साथ हैं को ताउम्र याद रखा जाए तो अपनेपन में आने वाली कमी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। कुछ भी हो हमारा यही फर्ज व जिम्मेदारी बनती है सम्बंधों को बिगडऩे से आपसी बंधन कमजोर पडऩे से रोकना है और आपसी प्रेम-प्यार को कम नहीं होने देकर स्नेहमयी रिश्ते को निभाना है।
 
3. साथ बिताए अच्छे पल याद रखें : कितने ही ऐसे यादगार सुखद पल होते हैं जो पारिवारिक सदस्यों के साथ मिलकर भाईबहन बिताते हैं कितनी ही ऐसी मधुर स्मृतियां होती हैं जो कि सदैव ही मन मस्तिष्क में यादों के रूप में संजोई रहती है भूले नहीं भूलतीं। जब भी कभी कुछ दूरी महसूस हो तो बातों को स्पष्ट कर दें, किसी भी तरह का संशय ना रखें।
 
4. आपके अपने ही हैं सब : कई बार भाईबहन के बीच का विवाद थोड़े बहुत मतभेद के बाद सुलझ जाता है, किन्तु भाई या बहन से संबंधित और रिश्तों के बीच यदि तनातनी हो जाए तो लम्बी बहस छिड़ जाती है। मसलन-कई बार भाभी-ननद के बीच तू-तू मैं-मैं होती रहती है। छोटी-छोटी बातें सुलझ नहीं पातीं और रिश्ते बिखरने लगते हैं। मन में लगाव-प्रेम ना होकर सम्बंधों में दूरियां और खिंचाव आ जाता हैं, ऐसी स्थिति में अपने-पराये का नहीं सोचना चाहिए।
 
5. जल्द ही समाधान हो : किसी मुद्दे पर बहस या विचारविमर्श करते हुए भाई-बहन के बीच वैचारिक मतभेद हो भी जाए तो जल्द ही हल खोज तनाव की स्थिति से बचना चाहिए। अपने क्रोध पर नियंत्रण रखते हुए रिश्ते की मर्यादा का उल्लंघन ना करें जो भाई और बहन के बीच स्नेह की डोर अप्रिय तथा विपरीत परिस्थितियों में भी टूटने न दें। भाई-बहन का जन्म से ही अत्यन्त गहरा नाता-रिश्ता है आपसी लगाव व प्रेम को याद रखते हुये बंधन को दिन-प्रतिदिन मजबूत और स्थिर बनायें। 
 
 
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