जब हम एक दूसरे के घर खाने का प्रोग्राम बनाते हैं तो हम खाने में कुछ ऐसा बना सकते हैं, जो कुछ अलग हो। जिस जगह हम रहते हैं, वहां का खाना तो हम रोज ही खाते हैं, तो क्यों न खुशियों के इस त्योहार पर कुछ ऐसा बनाएं जो कुछ अलग हो। इससे लोगों को खाने में भी मज़ा आएगा और आपको खिलाने में, क्यों सही बात है ना ! फिलहाल चाहे मैं दिल्ली में रहती हूं लेकिन मेरा बचपन ग्वालियर जैसे छोटे से शहर में बीता है। मुझे आज भी याद है, दीवाली के मौके पर वहां जब रिश्तेदारों और दोस्तों के घर से लेस वाले डिज़ाइनर कपड़े से ढककर पकवान आते थे तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहता था। हम उड़ीसा के मोदक, महाराष्ट्र की पूरणपोली या नराली भात, कोलकत्ता की मिष्ठी दोई या रौशगुल्ला और न जाने कौन से राज्य की मिठाइयां खाते, याद करके आज भी मेरे मुंह में पानी आता है। जबकि मां ड्राई फ्रूट्स से सजी खीर या सूजी हलवा वापस प्लेट में डालकर भेजती थी तो सभी खाने वाले मां के हाथ की बनी खीर या हलवे की तारीफ किए बिना नहीं रहते थे। इसके साथ दीवाली पर हमें पारम्परिक डिनर भी खाने को मिलता। आज भी वो दिन याद आते हैं, तो लगता है कि मुंह में वही स्वाद फिर आ गया है। हम बच्चे भी इस त्योहार पर बहुत कुछ करते और बहुत उत्साहित भी रहते थे, लेकिन अब तो वही पैकेट बंद मिठाई के डब्बे जैसे लड्डू, पिन्नी या पतीसा इत्यादि खरीदते हैं, या चॉकलेट या कुकीज़ खरीद लेते हैं। पर यह त्योहार क्या सिर्फ डिब्बाबंद मिठाइयों या चॉकलेट का ही रह गया है? नहीं बिल्कुल नहीं, यह मिठाइयों का त्योहार है लेकिन हम कितने लोग है जो मिठाइयों के डब्बे एक- दूसरे को पास कर देते हैं। शायद ही कोई इन लड्डू या रसगुल्लों को खाता होगा। ऐसे त्योहारों पर मैं अपना बचपन और उस उत्साह को बहुत मिस करती हूं। इस साल मैंने सोचा कि क्यों न मैं कुछ ऐसा बनाऊं ताकि अपने बचपन के मिठाइयों के स्वाद को फिर जी पाऊं।
मैंने घर पर श्रीखंड बनाया लेकिन वह काफी बुरा बना तो मैंने अपने शेफ दोस्त को आर्डर किया। श्रीखंड चाहे अच्छा न बना हो पर मैं आसानी से हार मानने वालों में से नहीं हूं। इसलिए हाल ही में मैंने तमिलनाडु का लो फैट वाला पौंगल बनाया और यह बहुत स्वादिष्ट बना। सिर्फ 300 कैलोरी/ सर्विंग वाला, चावल और मूंगदाल कार्बोहाइड्रेटस और प्रोटीन का सबसे अच्छा सेहतमंद आहार है और काजू के अच्छे फैट्स आत्मसंतुष्टि देते हैं।
मैं इसे आमतौर पर एक कप दही या छाछ के साथ लेती हूं ताकि जरूरी कैल्शियम के साथ प्रोटीन मिल सके। तो चलिए इसे बनाते हैं- 50 ग्राम चावल और 30 ग्राम हरी मूंग दाल को भून लें। इसमें 400 मिली पानी डालकर पकाएं। इसके बाद देसी घी में करी पत्ते, जीरा, काले मिर्च, अदरक और लहसुन के बाद कुछ काजू डालकर तड़का लगाएं। इसके ऊपर चावल और दाल डाल दें और धनिये के पत्ते डालकर सजाएं।
मैंने बाजरे की खिचड़ी के साथ छाछ और एक मिठाई भुट्टा की कीस बनाई। भुट्टे और दूध से बना यह हल्का नाश्ता किसी भी कोर्नफ्लेक्स से ज्यादा स्वादिष्ट होता है और यह वजन नियंत्रण और वजन कम करने में भी सहायक है। इसमें 12 ग्राम प्रोटीन और 170 कैलोरी/सर्विगं हैं। अब मैं दूसरी मिठाइयां बनाने की भी कोशिश करूंगी जो मेरी बचपन की यादों में हैं। हालांकि वो मिठाइयां बनाना थोड़ा मुश्किल है, और अब डिब्बाबंद मिठाइयां लेना बिल्कुल बंद। आप मेरा यकीन मानिये कि क्षेत्रीय व्यंजनों में आपको स्वाद के साथ सेहत दोनों मिलते हैं। तो फिर आप भी इस बार विभिन्न पकवानों से युक्त सेहतमंद दीवाली मनाने के लिए तैयार हो जाइये।
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