Dussherathali
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Summary: भारत का फ्लेवरफुल दशहरा, राज्यों के खास व्यंजन और मिठाइयां

दशहरा सिर्फ अच्छाई की जीत का पर्व नहीं, बल्कि भारत की विविधता भरी थालियों का उत्सव भी है। हर राज्य के खास व्यंजन और मिठाइयाँ इस दिन को परंपरा, स्वाद और रिश्तों की मिठास से भर देते हैं।

Dussehra Special Dishes: दशहरा की जीत का पर्व ही नहीं, बल्कि यह खास पकवानों और मिठाइयों की थाली से भी जुड़ा है। हर राज्य अपनी परंपरा के अनुसार इस दिन खास व्यंजन बनाता है, जो न सिर्फ स्वाद बल्कि संस्कृति की झलक भी देते हैं। इस दिन हर घर में कुछ ना कुछ खास पकवान बनाए जाते हैं और मिठाइयां तैयार की जाती हैं। यह सिर्फ खाने के लिए नहीं, बल्कि परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने, खुशियाँ बांटने और रिश्तों को मजबूत करने का भी समय होता है।

दशहरे की थाली में हर व्यंजन अपने आप में त्योहार की मिठास और संस्कृति का संदेश देता है। गरमागरम खाने, मीठी मिठाइयों और रंग-बिरंगे पकवानों के साथ यह दिन और भी खास बन जाता है। बच्चों से लेकर बड़े तक, हर कोई इस दिन को लेकर उत्साहित रहता है। लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ बाँटते हैं, साथ में पूजा करते हैं और त्योहार की खुशियाँ मिलकर मनाते हैं। यही वजह है कि इस दिन की थाली केवल खाने के लिए नहीं, बल्कि त्योहार के असली मज़े और संदेश का प्रतीक बन जाती है।

उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड में दशहरे की सुबह पूजा के बाद गरमा-गरम पूड़ी और आलू या कद्दू की सब्ज़ी परोसी जाती है। कई घरों में कचौरी भी खास पकवान होती है। मिठाई में बेसन के लड्डू, बूंदी के लड्डू, जलेबी और खीर जरूर बनाई जाती है। यह थाली सरल होने के साथ-साथ तृप्ति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।

बंगाल में दशहरा, दुर्गा पूजा के समापन के रूप में मनाया जाता है। यहाँ भोग प्रसाद में खिचड़ी, चने की दाल, बैंगन-फ्राई, टमाटर की मीठी चटनी और मिठाई में रसगुल्ले, संदेश और मिष्टी दही शामिल होते हैं। पूजा के बाद यही व्यंजन परिवार और समुदाय के साथ मिलकर खाने की परंपरा है।

Dussehra Special Dishes-Puranpoli
Puranpoli

महाराष्ट्र में दशहरा का पर्याय है पूरनपोली। गुड़ और चने की दाल से भरी हुई यह मीठी रोटी घी के साथ परोसी जाती है। इसके साथ श्रीखंड, बासुंदी और मोदक भी बनाए जाते हैं। यहाँ नीम की पत्तियाँ और जामुन खाने की भी परंपरा है, जिसे बुराइयों को त्यागने और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है।

गुजरात में दशहरे की सुबह फाफड़ा-जलेबी का स्वाद चखना लगभग परंपरा बन चुका है। नमकीन और मीठे का यह अद्भुत संगम हर घर और गली में दिखाई देता है। इसके अलावा ढोकला, खांडवी और थेपला भी इस दिन के लोकप्रिय व्यंजन हैं।

कर्नाटक का मैसूर दशहरा दुनिया भर में मशहूर है। यहाँ इस दिन होळीगे/ओबट्टू (गुड़-नारियल या दाल की भराई वाली मीठी रोटी) बनाई जाती है। साथ ही बिसी बेळे भात (मसालेदार चावल-दाल का मिश्रण) और विभिन्न चटनी-भाजी के साथ थाली सजाई जाती है।

payasam
payasam

दक्षिण भारत में दशहरा नवरात्रि के समापन से जुड़ा होता है। यहाँ सुंदरन (चना या मूंग को गुड़ और नारियल के साथ पकाकर बनी मिठाई) और पायसम यानी खीर अनिवार्य पकवान हैं। इसके अलावा नारियल और चावल से बने कई व्रत-विशेष व्यंजन भी थाली में शामिल किए जाते हैं।

हिमाचल और उत्तराखंड के गाँवों में दशहरे के बाद हलवा-पूरी, राजमा-चावल और मिठी रोटियाँ बनाई जाती हैं। इन पहाड़ी राज्यों में स्थानीय अनाज और दालों से बने व्यंजन विशेष महत्व रखते हैं। यहाँ का भोजन भले ही सादा हो, लेकिन इसमें अपनापन और परंपरा का स्वाद गहराई से झलकता है।

हर राज्य का दशहरा स्वाद अलग है, लेकिन संदेश एक मीठेपन और एकता का उत्सव। उत्तर भारत की खीर, बंगाल का रसगुल्ला, महाराष्ट्र की पूरनपोली, गुजरात की फाफड़ा-जलेबी या कर्नाटक का होळीगे ये व्यंजन न सिर्फ हमारी जीभ को तृप्त करते हैं, बल्कि हमें हमारी जड़ों और संस्कृति से भी जोड़ते हैं। सचमुच, दशहरे की थाली में भारत की विविधता और मिठास दोनों झलकते हैं।

राधिका शर्मा को प्रिंट मीडिया, प्रूफ रीडिंग और अनुवाद कार्यों में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छी पकड़ रखती हैं। लेखन और पेंटिंग में गहरी रुचि है। लाइफस्टाइल, हेल्थ, कुकिंग, धर्म और महिला विषयों पर काम...