एक मध्यमवर्गीय परिवार का बजट गड़बड़ा जाता है और दीपावली, दीवाला निकाल देती है। कई बार तो दीपावली के खर्चों को पूरा करने के लिए दूसरों से कर्ज भी लेना पड़ता है, लेकिन यदि व्यक्ति समझदारी से काम ले और फिजूलखर्ची से बचे, तो दीपावली मनाने का आनंद दोगुना हो सकता है।बढ़ती महंगाई दीपावली का त्योहार खुशियों के साथ ही ले आता है, ढेर सारे खर्चे। बढ़ती महंगाई के बीच कैसे मनाएं दीवाली कि यह जेब पर भी भारी न पड़े, आइए जानते हैं।
-रंगाई-पुताई दीवाली पर ना कराके एक माह पूर्व या बाद में कराने से एक बड़ा खर्चा दीपावली के महीने में टल जाएगा।
-बात घर की सफाई की है। घर के जाले, धूल और गंदगी झाड़ लें, तो घर चमकने लगेगा। दीपावली पर पूरे घर-परिवार के सदस्यों के लिए कपड़े न खरीद कर आवश्यकतानुसार खरीददारी करें या फिर बच्चों के लिए दो-तीन माह पूर्व खरीदे वस्त्रों को दीपावली के अवसर पर पहनने के लिए रख दें। नए कपड़ों का शौक भी पूरा होगा और आप पर भार भी नहीं पड़ेगा।
-बाजार की मिलावटी और महंगी मिठाइयों की सुविधा त्यागकर घर में बनी अच्छी व सस्ती मिठाइयोंऔर पकवानों का प्रयोग करें।
-दीपावली पर सोने-चांदी के जेवर या गहने बनवाने का रिवाज़ है, किंतु यह रिवाज़ गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए मुसीबत है। इसलिए स्वर्ण या रजत के आभूषणों का मोह त्यागें। यदि आपको सोना या चांदी खरीदना जरूरी हो तो चांदी के एक छोटे से सिक्के को खरीदकर भी तसल्ली की जा सकती है। धनतेरस पर बर्तन बाजार में खरीददारों की लंबी लाइन देखी जा सकती है।
-परंपरा को निभाने के लिए प्रतीकात्मक रूप से एक-दो बर्तन खरीद लेना तो ठीक है परंतु गैर जरूरी तौर पर बर्तनों का ढेर इक करने की फिजूलखर्ची से बचें। दुकानदार भी ऐसे समय आपको हल्का या घटिया माल टिका देता है।
-पटाखे दस-बीस रुपये के भी छोड़े जा सकते हैं और दस-बीस हजार रुपये के भी। अत: अपनी आॢथक स्थिति के अनुसार पटाखे खरीदें।
-महंगे मूंगफली के तेल से दीयों को जलाने के स्थान पर सोयाबीन व सरसों या अन्य खाद्य तेलों का इस्तेमाल करें।
-सैकड़ों दीये जलाने के बजाए, थोड़े में काम चलाएं। मोमबत्ती भी सस्ती नहीं पड़ती है। यदि लगाना ही हो तो सीमित मात्रा में जलाएं।
-यदि आप विद्युत झालरों से अपने घर, मकान या दुकान को सजाना चाहते हैं तो बिजली के भारी भरकम बिल के लिए तैयार रहें। बेहतर होगा कि दीये, मोमबत्ती या बिजली की झालर तब लगाएं, जब अंधेरा होने वाला हो तथा रात दस-ग्यारह बजे बंद कर दें। दूसरे क्या खरीदते हैं या किस पर खर्च करते हैं,इससे आपको कोई सरोकार नहीं होना चाहिए। आपको उनकी नहीं, अपनी जरूरत देखकर चलना है।
-आपका बजट गड़बड़ाए नहीं, इसके लिए जरूरीहै कि जब भी आप घर से बाहर खरीददारी करने निकलें, तब एक सूची बनाकर ले जाएं कि क्या-क्या चीजें लेनी है और क्या नहीं।
आपका बजट गड़बड़ाए नहीं, इसके लिए जरूरी है कि जब भी आप घर से बाहर खरीददारी करने निकलें, तब एक सूची बनाकर ले जाएं कि क्या-क्या चीजें लेनी है और क्या नहीं. इन हिदायतों पर अमल करें और सावधान रहें तो वाकई दीपावली आपकी जेब पर भारी नहीं पड़ेगी।
