Hybrid Mutual Funds 
Hybrid Mutual Funds Meaning  

Summary: म्यूचुअल फंड्स जल्दी बेचने के नुकसान: निवेश में जल्दबाज़ी क्यों पड़ सकती है भारी

म्यूचुअल फंड्स में जल्दबाज़ी में निकासी करने से लॉन्ग टर्म रिटर्न, टैक्स लाभ और कम्पाउंडिंग का असर खत्म हो सकता है। समझदारी से फैसले लें, घबराकर नहीं।

Mutual Fund Investment Mistakes: म्यूचुअल फंड्स लंबी अवधि के निवेश साधन माने जाते हैं। सुरक्षित भविष्य के लिए आजकल अधिकांश लोग इनमें निवेश करते हैं। लेकिन अक्सर निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव या किसी व्यक्तिगत परिस्थिति के चलते जल्दबाज़ी में इन्हें बेच देते हैं। ऐसा करना कई बार नुकसानदायक साबित हो सकता है। जानते हैं म्यूचुअल फंड्स को समय से पहले बेचने के क्या नुकसान हो सकते हैं और इस नुक़सान से बचने के लिए क्या करना चाहिये।

लॉन्ग टर्म निवेश का फायदा नहीं मिल पाता

म्यूचुअल फंड्स में निवेश का असली लाभ लंबी अवधि में मिलता है। जैसे-जैसे समय बढ़ता है, कम्पाउंडिंग का प्रभाव मजबूत होता है। लेकिन यदि आपने 2-3 साल में ही फंड बेच दिया तो कम्पाउंडिंग का पूरा लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही बाजार की अस्थायी गिरावट से नुकसान झेलना पड़ेगा।

एक्ज़िट लोड और टैक्स देना पड़ सकता है

अधिकतर म्यूचुअल फंड्स में एक्ज़िट लोड होता है, खासकर अगर आप निवेश एक साल से पहले बेचते हैं। यह आमतौर पर 1% तक हो सकता है। साथ ही, आपको कैपिटल गेन टैक्स भी देना पड़ता है। एक साल के भीतर इक्विटी फंड बेचने पर 15%  शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स लगता है। एक साल से ज्यादा बाद बेचने पर ₹1 लाख से ऊपर के लाभ पर 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स लगता है। मतलब, जल्दबाज़ी में बेचने से आपको कर का बोझ भी झेलना पड़ सकता है।

बाजार गिरते ही घबराना नहीं चाहिए

म्यूचुअल फंड्स, खासकर इक्विटी फंड्स, बाजार से सीधे जुड़े होते हैं। जब बाजार में गिरावट आती है तो NAV (नेट एसेट वैल्यू) भी घटती है। ऐसे में कई निवेशक घबरा कर अपने यूनिट्स बेच देते हैं। लेकिन यह समझना जरूरी है कि बाजार हमेशा स्थायी रूप से नीचे नहीं रहता। गिरावट के बाद अक्सर तेजी भी आती है। जल्दबाज़ी में बेचकर आप कम कीमत पर अपनी यूनिट्स बेच देते हैं और नुकसान सहते हैं, जबकि अगर धैर्य रखते तो कीमत बढ़ने पर मुनाफा भी हो सकता था।

पोर्टफोलियो को समय दें, नियमित रिव्यू करें

म्यूचुअल फंड्स में निवेश एक स्ट्रेटेजिक गेम है, शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग नहीं। निवेश करने के बाद जरूरी है कि आप:

  • साल में 1-2 बार अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें
  • यदि कोई फंड लगातार कमजोर प्रदर्शन कर रहा है, तभी बदलाव करें
  • अपने वित्तीय लक्ष्य, उम्र और जोखिम क्षमता के अनुसार ही निर्णय लें

बेचने की जगह लोन लें

जल्दबाज़ी में फंड्स बेचने की जगह आप लोन ले सकते हैं। अगर आपके पास ₹2 लाख के म्यूचुअल फंड्स हैं। ऐसे में बैंक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन आपको इन फंड्स के बदले लगभग 60% से 70% तक लोन दे सकते हैं। यानी आप करीब ₹1.2 लाख से ₹1.4 लाख तक का लोन प्राप्त कर सकते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि आपका निवेश बरकरार रहता है, और आप अपनी जरूरतों के लिए तुरंत फंड भी प्राप्त कर लेते हैं।

कब बेचें म्यूचुअल फंड्स

हालांकि हर स्थिति में न बेचने की सलाह नहीं है। कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं जब फंड बेचना उचित होता है:

  • आपका वित्तीय लक्ष्य पूरा हो चुका है
  • फंड लगातार 2-3 साल से खराब प्रदर्शन कर रहा है
  • फंड मैनेजर या स्कीम की रणनीति में बड़ा बदलाव आया हो
  • कोई आपातकालीन जरूरत हो

याद रखें जल्दबाज़ी में म्यूचुअल फंड्स बेचना आपकी निवेश यात्रा को नुकसान पहुंचा सकता है।

अभिलाषा सक्सेना चक्रवर्ती पिछले 15 वर्षों से प्रिंट और डिजिटल मीडिया में सक्रिय हैं। हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में दक्षता रखने वाली अभिलाषा ने करियर की शुरुआत हिंदुस्तान टाइम्स, भोपाल से की थी। डीएनए, नईदुनिया, फर्स्ट इंडिया,...