Varuthini Ekadashi 2025 date
Varuthini Ekadashi 2025 date

Varuthini Ekadashi 2025 Date: सभी एकादशी तिथि की तरह ही सनातन धर्म में वरूथिनी एकादशी का भी विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। चैत्र माह की समाप्ति के बाद वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को वरूथिनी एकादशी मनाई जाती है। इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा करने और व्रत आदि रखने का महत्व है। मान्यता है कि वरूथिनी एकादशी का व्रत रखने वाले जातकों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन में सभी तरह की शुख-सुविधाओं का आनंद लेकर मृत्यु के बाद बैकुंठ लोक में स्थान प्राप्त करता है। आइए जानते हैं कब रखा जाएगा वरूथिनी एकादशी का व्रत और साथ ही जानें इस एकादशी की पूजा विधि, नियम और पारण से जुड़ी सारी जानकारी।

वरूथिनी एकादशी 2025 कब है

Varuthini Ekadashi 2025 Date
Varuthini Ekadashi 2025

वरूथिनी एकादशी का व्रत पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को होती है जोकि इस बार 24 अप्रैल 2025 को है। एकादशी तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल शाम 04:45 से होगी और अगले दिन 24 अप्रैल को दोपहर 02:30 पर एकादशी तिथि समाप्त हो जाएगी। हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और व्रत आदि उदयातिथि के अनुसार किए जाते हैं। ऐसे में वरूथिनी एकादशी का व्रत भी 24 अप्रैल को ही रखा जाएगा। पारण के लिए अगले दिन 25 अप्रैल सुबह 05:40 से 08:23 तक का समय शुभ रहेगा। वहीं द्वादशी तिथि इस दिन 11:54 पर 44 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

ज्योतिषियों की माने तो वरूथिनी एकादशी पर इस वर्ष ब्रह्म और इंद्र योग का संयोग भी बन रहा है। साथ ही इस दिन शिववास भी रहेगा। शतभिषा और पूर्व भाद्रपद नक्षत्र का भी संयोग रहेगा। इन शुभ योगों के संयोग में किए पूजा-व्रत से वरूथिनी एकादशी पर लक्ष्मी नारायण की कृपा प्राप्त होगी।

वरूथिनी एकादशी पूजा विधि और नियम

Varuthini Ekadashi 2025 Puja rules
Varuthini Ekadashi 2025 Puja rules
  1. सुबह उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा की तैयारी करें। घर के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित कर गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद चंदन, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान की पूजा करें। भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करें। पूजा के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, व्रत कथा पढ़ें और आखिर में आरती करें।
  2. वरूथिनी एकादशी के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। आप अपनी क्षमतानुसार फलाहार या जलाहार कर सकते हैं। संभव हो तो रात में जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
  3. व्रत वाले दिन किसी पर गुस्सा करने, अपशब्द कहने आदि से बचना चाहिए। ऐसा करने से व्रत सफल नहीं होता। व्रतधारी को एकादशी के दिन काले रंग के वस्त्र भी नहीं पहनने चाहिए।
  4. एकादशी के दिन घर पर चावल, बैंगन और मांसाहार भोजन नहीं पकाना चाहिए। जो लोग व्रत नहीं भी रखते हैं, उन्हें भी इस दिन इन चीजों के सेवन से बचना चाहिए। इससे दोष लगता है।
  5. व्रत खोलने से पहले पारण वाले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। इसके बाद व्रत का पारण करें।

मेरा नाम पलक सिंह है। मैं एक महिला पत्रकार हूं। मैं पिछले पांच सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैं लाइव इंडिया और सिर्फ न्यूज जैसे संस्थानों में लेखन का काम कर चुकी हूं और वर्तमान में गृहलक्ष्मी से जुड़ी हुई हूं। मुझे...