Shaligram Shivling
Shaligram and Shivling History

Shaligram Shivling: शिव को शिवलिंग का रूप माना गया है, तो वहीं भगवान विष्णु को शालिग्राम रूप में सर्वोत्तम माना जाता है। दरअसल, मनुष्य ने ईश्वरीय शक्तियों को सदैव प्राकृतिक तत्वों में खोजने का प्रयास किया है। ऐसे में शिवलिंग जहां भगवान शंकर का प्रतीक है तो शालिग्राम भगवान विष्णु का प्रतीक है। आइये जानते हैं शिव और शालिग्राम में सामान्य अंतर के बारे में :

शालिग्राम से जुड़ी मान्यताएं

नेपाल के मुक्तिनाथ, काली गण्डकी नदी के तट पर शालिग्राम पाए जाते हैं। शालिग्राम पर भगवान विष्णु के चक्र की आकृति अंकित होती है। शालिग्राम की पूजा करने वाले वैष्णव धर्म का पालन करते है। शालिग्राम के आकार के आधार पर रूपों को वर्णित किया जाता है। वैज्ञानिक तौर पर शालिग्राम एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है। अगर गोल शालिग्राम पाया गया है, तो वो भगवान विष्णु के गोपाल रूप को दर्शाता है। वहीं मीन यानि मछली के आकार के शालिग्राम को भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार समझा जाता है। अगर शालिग्राम कछुए के आकार का है तो उसे विष्णु जी का कच्छप अवतार माना जाता है। 

Shaligram Shivling
Shaligrams are found on the banks of Kali Gandaki River in Muktinath, Nepal

इस तरह लगभग 33 प्रकार के शालिग्राम होते हैं जिनमें से 24 प्रकार को विष्णु के 24 अवतारों से संबंधित माना गया है। माना जाता है कि ये सभी 24 शालिग्राम वर्ष की 24 एकादशी व्रत से संबंधित हैं। घर में अनेक शालिग्राम रखने की बजाय एक ही असली शालिग्राम रखें। शालिग्राम जी को रोजाना पंचामृत से स्नान करवाने का विधान है। इसके अलावा शालिग्राम पर चंदन लगाकर उनपर तुलसी का एक पत्ता रखना बेहद आवश्यक है।

ऐसा माना जाता है कि शालिग्राम जी की नियमित पूजा अराधना करने से सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। बहुत से विद्वान मानते हैं कि शालिग्राम का पत्थर ब्रह्मांडीय ऊर्जा का एक स्रोत है। यह एक छोटी-सी गैलेक्सी की तरह है जिसमें अपार एनर्जी होती है। इसका प्रभाव घर के आसपास तक रहता है।

शिवलिंग से जुड़ी मान्यताएं

शिवलिंग की पूजा शैव परंपरा में विश्वास करने वाले भक्त करते हैं। शिवलिंग को एंकात में स्थापित करने से बचें अन्यथा ये अशुभ फल देता है। शिवलिंग के नजदीक गणपति जी की प्रतिमा जरूर रखें। घर में सदैव छोटा शिवलिंग रखने का ही प्रयास करें। ऐसी मान्यता है कि बड़े शिवलिंग मंदिरों में ही उचित रहते हैं। शिवपुराण के अनुसार घर में एक से ज्यादा शिवलिंग नहीं रखने चाहिए।

Shaligram Shivling
The Shivling is worshiped by devotees who believe in the Shaiva tradition

ऐसा कहा जाता है कि शिवलिंग में से हर समय ऊर्जा प्रवाहित होती रहती है। ऐसे में शिवलिंग पर जल की धारा प्रवाहित करते रहें। शिवलिंग की पूजा करते समय अपना मुख दक्षिण दिशा में रखें। खास बात ये है कि जिस स्थान पर शिवलिंग स्थापित किया जाता है उससे पूर्व में मुख करके पूजा करना सही नहीं माना जाता है।

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