इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है बहीखाता, जिसमें कम्पनी के वित्तीय लेनदेन के आंकड़ों का भंडारण, विश्लेषण और व्याख्या की प्रक्रिया शामिल हो। व्यवसाय द्वारा अर्जित आय और व्यय का पूर्ण विवरण बहीखाता से स्पष्ट होता है अर्थात् बहीखाता व्यापार में अहम भूमिका का निर्वाहन करता है इसलिए दीपावली के शुभ दिन को व्यापारी इसकी पूजा भी करते हैं।

बहीखाता का पूजन

कई व्यापारी नए बहीखातों का शुभारम्भ भी करते हैं। बहीखाता के पूजन हेतु सर्वप्रथम बहीखाता को गंगाजल के शुद्घ छींटे छिड़ककर शुद्घ कर लेना चाहिए। उसके पश्चात् बहीखाता को लाल कपड़े पर रखकर फूल और चावल द्वारा स्थापित करना होता है। बहीखाते के प्रथम पृष्ठ पर लाल कलम द्वारा ‘श्री गणेशाय नम:’ लिखें, फिर चंदन या रोली से स्वस्तिक बनाएं। उसके बाद चाहे तो अपने इष्टदेव का नाम भी लिख सकते हैं। बहीखाता का रोली, धूप-दीप, फूल द्वारा पूजन करना चाहिए, फिर पूजन के बाद ‘ऊं श्रीसरस्वत्यै नम:’ के मंत्रों का उच्चारण करना होता है। 

तराजू का पूजन

तुला अर्थात् तराजू को एक दिन पहले स्वच्छ पानी से साफ कर रात्रि में घर में बने हुए मंदिर में रख दें, फिर प्रात: पूजन के समय तराजू को स्वच्छ गंगा जल के छींटे देकर शुद्घ कर लें। उसके पश्चात् तराजू पर रोली द्वारा स्वस्तिक का चिन्ह बना कर मौली बांध दें। ‘ऊं तुलाधिष्ठातृदेवातयै नम:’ मंत्र का उच्चारण करें। तराजू को व्यवसाय स्थान पर रखने से पूर्व उस स्थान को साफ कर लें और गंगाजल व धूप आदि के द्वारा तराजू रखने वाले स्थान को पवित्र कर तराजू को रखते हुए लक्ष्मी माता का ध्यान करें।

कलम का पूजन

कलम को सर्वप्रथम गंगाजल के छींटे देकर शुद्घ कर लें। कलम पर मौली बांधकर लाल कपड़े पर फूलों और चावल के साथ लक्ष्मीजी के चरणों में स्थापित करें। मौली बांधते समय ‘लेखनीस्थायै दैव्यै नम:’ मंत्र का जप करें। ‘शास्त्राणां व्यवहाराणां विद्यानामाप्नुयाप्रत:। अतस्त्वां पूजियष्यामि मम हस्ते स्थिरा भव।’ मंत्र द्वारा हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। बहीखाता और कलम का व्यापार में प्रयोग करने से पूर्व सर्वप्रथम ‘ऊं श्रीं हीं श्रीं महालक्ष्मयै नम: या ऊं हीं श्रीं लक्ष्मीभयो नम:’ मंत्र का उच्चारण करें एवं व्यवसाय वाले पूर्ण स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करें व धूप दिखाएं ताकि व्यवसाय वाले स्थान से अशुद्घता व बाधाएं आदि दूर हो सके।  

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