ambassador baba maha kumbh mela
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महाकुंभ में एक अनोखी शख्सियत ने अपनी उपस्थिति से सभी का ध्यान खींचा है। यह शख्सियत हैं मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के राजगिरी बाबा, जिन्हें 'एम्बेसडर बाबा' के नाम से जाना जाता है। अपनी 35 साल पुरानी एम्बेसडर कार के साथ बाबा ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है।

Mahakumbh Ambassador Baba: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हो रहा महाकुंभ 2025 मेला आस्था का एक विशाल समुद्र है। यहां आने वाले हर एक तीर्थयात्री, संत, सन्यासी, बाबा की अपनी कहानी और अपनी आस्था है। यह मेला सिर्फ आध्या​त्म से ही नहीं जुड़ा बल्कि यह हमारी धार्मिक आस्था और संस्कृति का उदाहरण है। वैसे तो लाखों करोड़ों श्रद्धालु इस साल त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान के लिए आ रहे हैं। लेकिन महाकुंभ में एक अनोखी शख्सियत ने अपनी उपस्थिति से सभी का ध्यान खींचा है। यह शख्सियत हैं मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के राजगिरी बाबा, जिन्हें ‘एम्बेसडर बाबा’ के नाम से जाना जाता है। अपनी 35 साल पुरानी एम्बेसडर कार के साथ बाबा ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। क्या है बाबा और उनकी सालों पुरानी एम्बेसडर का रिश्ता, आइए जानते हैं।

हर धार्मिक यात्रा की साथी बनी कार

राजगिरी बाबा और उनकी एम्बेसडर कार करीब 35 साल पुराना रिश्ता है। यह साल 1973 से उनके साथ है। भगवा रंग में रंगी यह कार बाबा की धार्मिक यात्रा की साथी है। आज भी यह अच्छी स्थिति में। यही कारण है कि यह कार बाबा के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। जहां एक ओर इस कार को एक साधारण वाहन समझा जा सकता है। वहीं बाबा के लिए यह आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक और उनके व्यक्तित्व का हिस्सा है। वे जहां भी जाते हैं, अपनी कार को स्वयं चलाते हैं और इस तरह यह कार उनके साथ हर धार्मिक यात्रा में साथ रहती है। बाबा इस कार को मां का दर्जा देते हैं। उनका कहना है कि जिस तरह एक मां अपने बच्चे का ध्यान रखती है ठीक वैसे ही यह कार उनके लिए है। वह इसी में खाते पीते हैं, सोते हैं, आराम करते हैं। खास बात ये है कि यह गाड़ी बहुत ही कम खराब होती है।

अपने अनुसार ढाला कार को

बाबा ने अपनी कार को पूरी तरह से अपनी जरूरतों के हिसाब से बदल रखा है। कार में गर्मी से बचने के लिए उन्होंने छत पर एक एग्जॉस्ट फैन लगाया है। इतना ही नहीं इसमें बैटरी से चलने वाले सेटअप के साथ बर्फ के टुकड़ों का उपयोग कर इससे एयर कंडीशनर का भी काम लेते हैं। बाबा को अपने कौशल पर गर्व है और वे आत्मविश्वास से कहते हैं, अगर कार खराब हो जाती है तो मैं खुद ही उसकी मरम्मत करता हूं।

सात साल की उम्र से शुरू की आध्यात्मिक यात्रा

राजगिरी बाबा की आध्यात्मिक यात्रा सात साल की उम्र से शुरू हुई थी। मात्र 15 साल की उम्र में उन्होंने अपने गुरु के मार्गदर्शन में ध्यान और तपस्या का मार्ग अपनाया और खुद को पूरी तरह से आत्म-अनुशासन के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने सांसारिक बंधनों को त्यागते हुए कठोर तपस्या की। प्राचीन तपस्वियों की परंपरा के अनुसार, वे पूरे साल बिना कपड़ों के ध्यान करते हैं, भले ही मौसम कैसा भी हो। उन्हें न गर्मी विचलित करती है और न ही सर्दी।

इसलिए होते हैं बाबा परेशान

एम्बेसडर बाबा का कहना है कि महाकुंभ का हिस्सा बनना और अमृत स्नान करना, उनके लिए ईश्वर के आशीर्वाद जैसा है। क्योंकि गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के पवित्र संगम में स्नान करना महत्वपूर्ण आध्यात्मिक घटना है। महाकुंभ के बाद बाबा अपने ध्यान और तपस्या को जारी रखने के लिए जंगलों और गुफाओं में वापस जाने की योजना बना रहे हैं। वे मानते हैं कि महाकुंभ उनका एक आवश्यक आध्यात्मिक मील का पत्थर है, जो उनके तपस्वी जीवन के लिए बहुत जरूरी है। बाबा ने कहा, अगर कोई मेरी तपस्या के बारे में पूछता है, तो मुझे खुशी होगी कि मैं उसे समझाऊंगा। लेकिन व्यर्थ के सवाल मुझे परेशान करते हैं।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...