Hindi Motivational Story: बात बहुत पुरानी है। एक महान संत के पास एक युवक आया और बोला, ‘मुझे आपका शिष्य बनना है महाराज। संत बोले, ‘तुझे शिष्य क्यों बनना है।’ युवक ने कहा, मुझे परमात्मा से प्रेम करना है। संत ने कहा, ‘पहले मुझे ये बताओ क्या तुम्हें अपने घर के किसी व्यक्ति से प्रेम है?’ युवक बोला, ‘नहीं मुझे किसी से भी प्रेम नहीं है।
संत ने पूछा ‘तुझे तेरे माता-पिता या भाई-बहन किस पर ज्यादा स्नेह आता है?’ युवक ने नकारते हुए कहा, ‘मुझे किसी से भी तनिक मात्र स्नेह नहीं है। पूरी दुनिया स्वार्थ परायण हैं, ये सब मिथ्या मायाजाल हैं इसीलिए तो मैं आपकी शरण में आया हूँ। तब संत ने कहा, ‘बेटा मेरा और तेरा कोई मेल नही। तुझे जो चाहिए वह मैं नहीं दे सकता। युवक यह सुन स्तब्ध रह गया। संत बोले, ‘यदि तुझे तेरे परिवार से प्रेम होता, जि़न्दगी में तूने तेरे निकट के लोगों में से किसी से भी स्नेह किया होता तो मैं उसे विशाल स्वरुप दे सकता था। थोड़ा भी प्रेमभाव होता, तो मैं उसे ही विशाल बना के परमात्मा के चरणों तक पहुँचा सकता था। छोटे से बीज में से वट वृक्ष बनता है, परन्तु जो पत्थर जैसा कठोर हो उसमें से प्रेम का झरना कैसे बहा सकता हूँ। परमात्मा को पाने की पहली शर्त ही कोमल हृदयी और प्रेमी होना है।
ये कहानी ‘नए दौर की प्रेरक कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Naye Dore ki Prerak Kahaniyan(नए दौर की प्रेरक कहानियाँ)
