Hindi Motivational Story: कमला जी के घर में उनके पति, दो बेटे, दो बहुएँ और एक बिटिया अदिति थी। अदिति कॉलेज में पढ़ती थी। कमला जी रोज़ सुबह मंदिर जाती थी। वहाँ का पुजारी रोज़ दो सेब या दो केले प्रसाद उन्हें देता। कमला जी घर पहुँच कर दो फलों में से एक बड़ी बहू को और एक छोटी बहू को दे देती थी। बेटी अदिति के माँगने पर उसे झिड़क देती। ‘दोनों बहुएँ तो मेरी सेवा करेगी, मेरी बुढ़ापे का सहारा बनेंगी। तेरी तो शादी हो जाएगी, तू अपने ससुराल चली जाएगी। तेरी सास तुझे प्रसाद देगी।’ अदिति रोहांसी होकर अपने कमरे में चली जाती। दोनों बहुएँ बड़ी ख़ुश होती कि सासु माँ उन्हें अपनी सगी बेटी से भी ज्यादा प्यार करती हैं।
एक दिन बड़ी बहू को लगा कि सासू माँ अदिति के साथ ठीक नहीं करती। कुछ दिनों बाद उसकी शादी हो जाएगी, फिर कौन उनसे प्रसाद माँगेगा? उसका दिल अपनी ननद के प्रति प्यार से भर गया। अगले दिन कमला जी ने रोज़ की तरह प्रसाद का एक फल बड़ी बहू को और एक छोटी को दिया। दोनों बहुएँ प्रसाद लेकर अपने-अपने कमरे में चली गई। थोड़ी देर बाद बड़ी बहू ने अदिति को अपने कमरे में बुलाया और बोली, ‘प्रसाद पर तुम्हारा भी बराबर का अधिकार है। इस फल का आधा तुम ले लो।’ अदिति मना करते हुए बोली, “माँ को मालूम चल गया तो बहुत गुस्सा होंगी।” ‘बड़ी भाभी ने समझाया उन्हें और छोटी भाभी को मत बताना’। अदिति ने आधा फल लेकर खा लिया।
इसी तरह एक दिन छोटी बहू के मन में भी यही विचार आया। दूसरे दिन उसने भी अदिति को अपने कमरे में बुलाकर प्यार से बैठाया और कहा, ‘प्रसाद का आधा भाग आज से तुम ले लिया करना, मगर बड़ी भाभी और माँ को मत बताना।’ और हँसते हुए प्रसाद के फल का आधा हिस्सा अदिति को दे दिया। आख़िकार अदिति के हिस्से में प्रसाद का एक पूरा फल आ गया। यह सिलसिला अदिति के विवाह तक चलता रहा और यही कमला जी चाहती थी।
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