hindi novel
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उन्होंने एक नजर सभा में बैठे लोगों पर डाली। फिर अपने को तनिक सँभालकर बोले—

“हाँ, तो भाइयो, अच्छी तरह देख लो।…हिरनापुर गाँव के तालाब के किनारे सामने वाला बरगद का पेड़ वही है, जिसके नीचे मोहना इकतारा बजाकर बच्चों को किस्से-कहानियाँ सुनाया करता था। सरकार ने पहले तो धमकी दी कि बंद करो यह शहीद मेला, वरना यह बरगद भी कटवा दिया जाएगा। पर गाँव की स्त्रियों और बच्चों ने कहा, ‘हम इसी बरगद से चिपककर खड़े हो जाएँगे। फिर देखेंगे, कैसे कटवाएँगे यह पेड़!…’

“अंग्रेज सरकार लोगों की और नाराजगी मोल लेना नहीं चाहती थी।…कहीं अंदर ही अंदर अंग्रेजी हुक्मरानों को लग रहा था कि अब भारत में अंग्रेजी शासन की चूलें हिल गई हैं, और आज नहीं तो कल, उन्हें यहाँ से जाना ही पड़ेगा।…हमारा बहादुर मोहना तो उस लड़ाई में काम आया, पर मोहना जैसे देश के सच्चे सपूतों ने अंग्रेजी सल्तनत के पाँव उखाड़ दिए।…सो अंग्रेजी सरकार की नाराजगी के बावजूद हिरनापुर में शहीद मेला बराबर लगता रहा। और यह बरगद आज भी वही है, वैसा ही है, और आप यकीन करें या नहीं, मुझे तो मोहना के इकतारे का संगीत यहाँ आज भी सुनाई देता है।…”

बूढ़े हरखू दादा की बात पूरी होते-होते अँधेरा छा गया था।

मंच पर बस एक टिमटिमाती लालटेन। पर किसी को कोई हड़बड़ी नहीं। अँधेरे में भी लोग हरखू दादा की आवाज ऐसे सुन रहे थे, जैसे उस खरखराती आवाज में लोगों को मोहना की तसवीर नजर आ रही हो।

हरखू दादा की कहानी पूरी होते ही ‘मोहना की जय…! हिरनापुर के अमर शहीद मोहना की जय…!’ के नारों से आसमान गूँजने लगा। और इसी के साथ ही शहीद मेला का समापन। अब सब लोग अपने-अपने गाँव लौटने की तैयारी में लग गए।

ये उपन्यास ‘बच्चों के 7 रोचक उपन्यास’ किताब से ली गई है, इसकी और उपन्यास पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंBachchon Ke Saat Rochak Upanyaas (बच्चों के 7 रोचक उपन्यास)