Hundred Dates
Hundred Dates

Hindi Love Story: “बहुत थकी-थकी सी लग लग रही हो आज।” उसकी गली से मैंने उसे लेते हुए कहा। साइड मिरर से उसकी मंद चाल देखी थी मैंने।

“हाँ यार। घर में आफ़त आ रही है। एक घंटे में वापस भी आना है।”

“क्या हुआ?”

“कल बताया तो था, सब भूल जाते हो। जीजाजी आ रहे हैं, आज शाम को।”

“अरे हाँ! ध्यान से निकल गया था।” मैं समझ गया, आज का मिलना बस नाम भर का है। थोड़ा रुक कर मैंने कहा- “इतनी क्या तैयारी करनी होती है, जो दिन भर बिज़ी?”

“दिन भर नहीं यार, कल भी। कल रात में थोड़ा चैन मिलेगा और कल तक बात और चैट पर आने का भी ऐसा ही है, वेट मत करना।”

“तुम्हें क्या करना है इतना टाइम? भाभी, दीदी और मम्मी भी तो हैं।”

“इतना ज़्यादा काम होता है। अलग-अलग टाइम का मेन्यू, इतने आइटम्स और फिर वो बोर ना हों इसका ध्यान। बावले हो जाते हैं सब। दीदी तो मेंहदी, पैंकिंग और पार्लर वाली में लग जाएगी। मम्मी-भाभी सारा-सारा दिन सफाई और छप्पन भोग के साथ बच्चों में ही लगी रहेंगी।”

“कितना खायेगा यार एक इन्सान, जो इतने लोग उसके पीछे परेशान हैं?”

“परेशान क्या, पूछो ही मत। एक तो थका हुआ इंसान ऊपर से हमेशा एनरजेटिक रहो, बेकार में हँसी-मज़ाक करते रहो।”

“ये सब तो चलता ही है हर घर में।”

“क्या चलता है यार? जैसे साली होने से मैं उनके एंटरटेनमेंट का सामान हूँ और उनके आगे-पीछे नाचती फिरूँ। पापा और भाई भी छुट्टी लेकर घर में ही रुकने वाले हैं। मूवी या घूमने-फिरने का प्रोग्राम बना तो और आफ़त।” मुझे ख़ुशी होती है, जब वह कम से कम मेरे सामने तो नकली शालीनता ओढ़े नहीं फिरती।

“आजकल इतना कौन परेशान करता है यार?”

“परेशान वो नहीं करते, हम होते हैं। ज़्यादा पैसे वाले हैं ना, इसलिए ज़रूरत से ज़्यादा ख़्याल भी रखा जाता है; ऊपर से दीदी और गाइड करती रहेगी कि, उन्हें क्या पसंद है और क्या नहीं।”

“क्या बकवास है यार।”

“इतना ही थोड़ी ना, पैसे वाले ज़्यादा समझदार भी तो कहलाते हैं। पास के और भी नाते रिश्तेदार मिलने और सलाहें लेने, अपनापा बताने भी तो आ जाते हैं। सर दर्द।”

“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी…” कहा ही क्या जा सकता था।

“हाथों में है प्याज, चाकू और आँखों में पानी…” हम दोनों ने ठहाके लगाए। हँसी समेटने की कोशिश करते हुए उसने सिगरेट सुलगाई और मेरी पसंद का ढ़ेर सारा धुआँ मेरे चेहरे पर छोड़ दिया