एक समय की बात है, ग्रीस में एक कोढ़ी राजा था। उसका नाम युवान था। उसके पूरे शरीर पर सफेद दाग थे। उसने कई इलाज किए, पर कोई लाभ न हुआ। बड़े-से-बड़े हकीम भी कुछ न कर सके।
एक दिन दरबार में एक संदेशवाहक आया। वह बोला, “महाराज ! एक युवक आपसे मिलना चाहता है। वह कहता है कि उसके पास आपके रोग का इलाज है । “
“ उसे दरबार में लाओ।” राजा ने कहा ।
संदेशवाहक हकीम को दरबार में ले आया।
‘तुम कौन हो ?” राजा ने पूछा।
“मैं दोबान हूं महाराज! मुझे आपके रोग के बारे में पता चल गया है । ” दोबान ने जवाब दिया ।
राजा इलाज करा कर तंग आ गया था। उसे हकीम की बातों पर विश्वास नहीं हुआ, “इतने बड़े – बड़े हकीम हार गये तो तुम क्या कर लोगे? “
दोबान ने कहा, “महाराज ! मैंने चमड़ी के रोगों के बारे में फारसी, अरबी व हिब्रू की किताबें पढ़ी हैं। मैं निश्चित तौर पर आपका इलाज कर सकता हूं।’
राजा युवान ने मायूसी से कहा, “ठीक है, मैं तुम पर भरोसा करता हूँ, पर शर्त एक ही है । “


“जी, कहिए महाराज ! ” दोबान ने कहा ।
राजा ने कहा, “यदि तुम असफल रहे तो तुम्हारा सिर काट दिया जाएगा।’
हकीम मान गया। उसने अपने झोले से एक छड़ी व गेंद निकाली। वह छड़ी एक सिरे से पतली थी व दूसरे सिरे से गोल थी । उसका हैंडल भी पिसी दवाइयों से बना था। उसने कहा, “महाराज! आपको इस छडी से गेंद को तब तक ठोकरें मारनी हैं, जब तक पूरा शरीर पसीने से न भीग जाए। ऐसा तीन माह तक रोज करें, फिर महल में जाकर नहाएं व शरीर को अच्छी तरह झांवे से रगड़ें।
राजा हंस पड़ा। उसे लगा कि हकीम मजाक कर रहा था, पर उसने दोबान की बात मानने का फैसला कर लिया, “तीन महीने बाद सिर कटवाने के लिए तैयार रहना । ” उसने दोबान से कहा ।
महाराज! यदि आप ठीक हो गए तो?” हकीम ने कहा राजा ने कहा, “ तो तुम मेरे शाही हकीम कहलाओगे। तुम्हें रहने को खास जगह व बहुत ज्यादा धन-दौलत भी दूंगा।
हकीम सुनकर खुश हो गया ।
राजा युवान ने तीन माह तक ऐसा ही किया । व्यायाम से उसे पसीना आता व हैंडल की दवा उसकी चमड़ी में चली जाती। वह तीन महीने में ठीक हो गया।

एक दिन राजा दरबार में दरबारियों के साथ बैठा था। अचानक वजीर ने महाराज से कहा, “आप अल्लाह की मेहरबानी से अच्छे हो गए। हकीम आता ही होगा।
” हूं…! ” राजा ने कहा ।
वजीर ने कहा, “महाराज ! मुझे डर है कि जल्दी ही चारों ओर भी खबर फैल जाएगी कि आपको कोढ़ था । “
मुझे क्या करना चाहिए ? ” राजा ने कहा
हकीम की मौत ही इसका हल है। मेरे पास एक योजना है । ” वजीर ने कहा ।

हकीम दोबान को कुछ फालतू छड़ियों के साथ बुलाया गया। जब वह आ गया तो वजीर ने कहा, “इन करिश्माई छड़ियों को राजा के पैरों के पास रख दो। ‘
जैसे ही हकीम छड़ियां रखने लगा तो उसे पीछे से एक धक्का लगा और छड़ियाँ उसके हाथ से छूट गईं। एक छड़ी राजा के पांव पर जा लगी।
राजा चिल्लाया, “अल्लाह, अल्लाह ! मुझे इस हकीम की बुरी मंशा से बचा ।” उसने झट से हकीम का सिर कलम करने का हुक्म दे दिया।


दोबान समझ गया कि उससे चाल चली गई है। उसने कहा, महाराज ! मेरी एक आखिरी इच्छा है। ग्रीस में मरने वाले की आखिरी इच्छा पूरी की जाती है । “
ठीक है, कहो।” राजा ने कहा दोबान बोला, “मेरे पास यह छोटी-सी किताब है। मैं तो मरने जा रहा हूं। मैं चाहता हूं कि ये सारे गुप्त नुस्खे किसी को दे दूं। आप अपने थूक से उंगली गीली करें व सोलह तक पन्ने पलटें |
राजा ने ऐसा ही किया, पर जैसे ही उसने सोलह तक पन्ने पलटे, उसके पूरे शरीर में खुजली होने लगी। पूरा शरीर लाल-लाल धब्बों से भर गया।
ओह! दोबान, ये तुमने क्या किया ? “
हकीम खड़ा मुस्कराता रहा। राजा जान गया कि वह अपने किए की सजा पा रहा था। वह जोर से रो पड़ा, “मेरा इलाज करो। मैं अपने किए की माफी चाहता हूं। मैं अपना वादा निभाऊंगा। दोबान ! मेरा इलाज करो। “
दोबान ने झोले से एक कटोरा निकाला। उसमें थोड़ी-सी दवा छिड़ककर पानी मिलाया व राजा को पिला दिया। राजा ठीक हो गया। उसने दोबान को काफी धन-दौलत दी और दोबान ने कई साल तक राजा की सेवा की।

