बात उस समय की है जब मैं 10वीं और मेरा भाई 12वीं का छात्र था। बारिश का समय था मैं और भइया दोनों घर पर थे। मम्मी को बाजार जाना था सो मम्मी ने भाई से ले चलने को कहा पर भइया ने मना कर दिया। मम्मी अपनी स्कूटी उठाकर चली गईं। अभी मम्मी को गए 5 मिनट ही हुए थे कि मम्मी रुआंसी सी घर आ गईं। हम दोनों मम्मी को देखकर घबरा गए। मम्मी ने बताया कि उनकी गाड़ी स्लिप हो गई और वे गिर गईं। मम्मी के पैर में काफी चोट लगी थी और वे रो रही थीं। मम्मी को रोता देखकर मैं अपने भाई पर चिल्लाई, ‘तुम छोडऩे नहीं जा सकते थे। भाई भी चिल्लाया और बड़े होने का लाभ उठाते हुए उसने एक चांटा मेरे गाल पर रसीद कर दिया। और इसके बाद तो मम्मी की चोट को भूलकर हम दोनों आपस में झगडऩे लगे। मैं जोर-जोर से रोने लगी। हम दोनों को लड़ते देख मम्मी जोर से चिल्लाईं, ‘मुझे दर्द हो रहा है और तुम दोनों लड़े जा रहे हो। अब हमें होश आया और हम मम्मी की ओर लपके। फटाफट उनकी मरहम पट्टी करके पेन किलर दी। आज हम दोनों की अपनी अपनी गृहस्थी है पर जब भी मिलते हैं उस घटना को याद करके हंसे बिना नहीं रह पाते।
मम्मी की चोट भूलकर झगडऩे लगे
