सभी मांओं के लिए एक कारगर तकनीक-वैक्यूम असिस्टेड ब्रेस्ट बायोस्पी: Vacuum Assisted
Vacuum Assisted

Vacuum Assisted: कैंसर दुनिया में सबसे कॉमन कैंसर है। 2020 में केवल इस कैंसर के 2.3 मिलियन केस देखने को मिले थे। डॉक्टर रोहन खंडेलवाल, जो कि सीके बिरला अस्पताल में ब्रेस्ट कैंसर स्पेशलिस्ट हैं ने ब्रेस्ट कैंसर के मैनेजमेंट और डायग्नोसिस से जुड़ी कुछ टिप्स शेयर की हैं।

महिलाओं को कैसे पता लगता है कि उन्हें ब्रेस्ट से जुड़ी बीमारी है?

Vacuum Assisted
Breast Cancer Test

महिलाओं को पूरी उम्र शरीर से जुड़े बदलाव देखने को मिलते हैं। इसलिए ब्रेस्ट से जुड़ी किसी छोटी मोटी परेशानी का पता लगाना काफी मुश्किल हो सकता है। इसलिए आपको कुछ असामान्यताओं के बारे में जानना चाहिए जैसे ब्रेस्ट या फिर बगल में गांठ होना, निप्पल से डिस्चार्ज निकलना, शेप में बदलाव होना, ब्रेस्ट के साइज या फिर अपीयरेंस में बदलाव दिखना।

रेगुलर स्क्रीनिंग का क्या महत्त्व है और महिलाओं को इन्हें कब कब करवाना चाहिए?

अगर पहली स्टेज में पता चल जाए तो ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करना काफी आसान हो जाता है। इसलिए महिलाओं को समय समय पर स्क्रीनिंग करवाने की सलाह दी जाती है ताकि इलाज होने में देरी न हो। 29 से 39 वर्ष की महिलाओं को हर तीन साल में ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करवाना चाहिए। 40 साल से ऊपर वाली महिलाओं को मैमोग्राफी और क्लिनिकल एग्जामिनेशन साल में एक बार जरूर करवाना चाहिए। अगर आपको ब्रेस्ट कैंसर की फैमिली हिस्ट्री है तो आपको कम उम्र में स्क्रीनिंग शुरू करवा देनी चाहिए।

भारत में ब्रेस्ट कैंसर कितनी आम है?

भारत में हर चार मिनट में एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर पाई जाती है। आपको इसे समय से ही पहचाने जाने के लिए कई तरह की सावधानी बरतनी चाहिए। आज के समय में कैंसर के डायग्नोसिस के लिए काफी सुरक्षित और आसान तरीके उपलब्ध हैं जैसे वैक्यूम असिस्टेड ब्रेस्ट बायोस्पी।

VABB क्या है और इसके बारे में वर्णन करें?

यह एक तरह की नॉवेल टिश्यू सैंपलिंग तकनीक है। यह ब्रेस्ट कैंसर के डायग्नोसिस में एक काफी प्रभावी टूल है। यह एक काफी कम इनवेसिव प्रक्रिया है। असामान्यताओं को पहचानने के लिए ब्रेस्ट टिश्यू के छोटे छोटे सैंपल लिए जाते हैं। इस तरीके से वह छोटी से छोटी गांठ भी पकड़ में आ जाती हैं जो ट्रेडिशनल बायोस्पी तरीकों से नहीं पहचान में आ पाती हैं। इसका इलाज प्रभावी रूप से तब ही संभव है जब इसको शुरुआती स्टेज में पकड़ लिया जाए।

VABB जैसी तकनीकों से कैंसर का पहले ही पकड़ में आना सम्भव हो गया है और इस टूल की सफलता भी काफी देखने को मिल रही है। यह एमआरआई, मैमोग्राम या फिर अल्ट्रासाउंड की गाइडेंस में किया जा सकता है। इसके काफी सारे लाभ होते हैं जैसे इसमें एक ही समय पर और एक ही नीडल के साथ काफी सारे सैंपल ले लिए जाते हैं जिससे प्रक्रिया ज्यादा लंबी नहीं होती है।

क्या सभी तरह के ब्रेस्ट लंप कैंसर और जानलेवा होते हैं?

Breast Cancer Myths
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नहीं, कुछ मरीजों में ऐसी गांठे भी पाई जाती हैं जो कैंसर की नहीं होती हैं। ऐसा 15 से 35 उम्र की जवान महिलाओं में काफी देखने को मिलता है। एक अन्य बीमारी जिसका नाम, फाइब्रोसेस्टिक ब्रेस्ट डिजीज है, के कारण भी ब्रेस्ट में गांठ हो सकती हैं और इसे सर्जरी के द्वारा निकाला जाता है। आज के समय में हमारे पास VABB जैसी सुरक्षित और कम इनवेशन वाली तकनीकें उपलब्ध हैं जिनमें आपके शरीर पर खरोच तक नहीं आती है।

VABB में ब्रेस्ट से लंप निकालने के लिए क्या समाधान है?

VABB से बिना किसी निशान के आप शरीर से गांठ निकलवा सकती हैं। यह कॉस्मेटिक फ्रेंडली प्रक्रिया है। यह सिंगल इंसीजन प्रक्रिया है जो मरीज को अगले दिन ही काम करने में सक्षम बना देती है।

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CK बिरला अस्पताल में ब्रेस्ट सेंटर इकलौता ऐसा सेंटर है जो ब्रेस्ट से जुड़ी सुविधाएं प्रदान करने के लिए अलग सेंटर है। इस यूनिट में आपको स्क्रीनिंग, गैनोमिक्स, ब्रेस्ट सर्जरी, ब्रेस्ट कैंसर ट्रीटमेंट जैसी सेवाएं प्राप्त होंगी।