मेरी बेटी 8 वर्ष की है। मैं चाहती हूं कि उसे इस तरह तैयार करूं कि वो किसी भी प्रकार के यौन दुर्व्यवहार के खिलाफ आवाज़ उठा सके। इस बारे में आपकी क्या सलाह होगी?
— प्रीति, लखनऊ
अपने बच्चों को हम जितनी जल्दी दुर्व्यवहार के खिलाफ खड़े होना सिखाएं, उतना अच्छा है। आपको पारिवारिक वातावरण में भी कुछ बदलाव लाने होंगे। हमारी सोच और बातचीत में कई ऐसी बातें होती हैं जो अनजाने में बलात्कार की मानसिकता को बढ़ावा देती हैं। आप अपनी बेटी को किसी भी परिजन या परिचित को गले लगाने या चूमने के लिए मजबूर न करें। हम सभी अक्सर बच्चों से इस तरह की बात कह देते हैं कि, “बेटा चाचा कितनी दूर से आपसे मिलने आये हैं, उन्हें प्यार कर दो।” ऐसी बात बच्चों को सिखाती है कि उनका शारीरिक स्नेह कुछ परिस्थितियों में अनिवार्य हो जाता है। और इसमें उनकी इच्छा की कोई भूमिका नहीं है।
एक अन्य समस्यात्मक व्यवहार है, जब हम अपने बच्चों को उनपर हुए अत्याचार का दोषी ठहरा देते हैं। मसलन, यदि क्लास में किसी ने आपके बच्चे को मारा हो। उसके पश्चात उससे ये कहना कि, “तुमने ही ज़रूर कुछ गलत किया होगा। ” ऐसी मानसिकता बच्चों को ये सिखाती है कि शारीरिक दुर्व्यवहार किन्ही परिस्थितियों में न्यायोचित भी हो सकता है।
इसके अलावा बच्चों की एकान्तता का सम्मान न करना, उनके रूप रंग पर ताने कसना या हर बात में उनकी कमी निकालने से बच्चों में हीन भावना उत्पन्न हो जाती है। ये हीन भावना उन्हें किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने से रोकती है क्योंकि वह खुद को इस दुर्व्यवहार के योग्य समझने लगते हैं।
हम सभी के घरों में अक्सर माता पिता बच्चों के गुप्तांग को कुछ और नामों से सम्बोधित करते हैं। ऐसा करना भी बच्चों को ये सिखाता है कि गुप्तांगों का नाम लेना एक शर्मनाक बात है। ऐसे में वो खुल कर कभी अपने साथ होने वाले दुर्व्यवहार के बारे में नहीं बता पाएंगे। टीवी पर आने वाले विज्ञापन या फिल्मों के किसी भी सीन से शर्मिंदा होकर चैनल चेंज करने के बजाय, उस बारे में बच्चे की उम्र को देखते हुए जितना भी समझा पाएं समझा दें. नहीं तो बस यही कह दें कि बड़े होगे तो इस बारे में बताया जाएगा. यौन सम्बन्धी बातों या दृश्यों में हमारी घबराहट बच्चे भी देखते हैं और बिना जाने उसका अनुसरण करने लगते हैं. यदि वो इन बातों से डरेंगे या घबराएंगे तो कभी उनके खिलाफ आवाज़ नहीं उठा पाएंगे। इसलिए हमें अपने डर को भी खत्म करना होगा।
अपनी सोच और व्यवहार में ये बदलाव लाना बेहद आवश्यक है. इसके बाद आप अपनी बेटी को अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श के भीतर का अंतर समझाएं। उसे बताएं कि बुरे स्पर्श से हमें अटपटा या गन्दा महसूस होता है, जबकि अच्छा स्पर्श ख़ुशी देता है। उसे समझाएं कि शरीर के कुछ अंग हमारे गोपनीय अंग होते हैं और इन्हें कोई भी बिना इजाज़त नहीं छू सकता। एक गुड़िया की मदद से आप गोपनीय अंग सिखा सकती हैं। आप भी अपनी बेटी के कपडे बदलते वक़्त या अन्य समय उससे आज्ञा लेने की आदत डाल लें। उसे ये भी बताएं कि कोई कितना भी बड़ा हो या रिश्ते में कुछ भी लगता हो यदि वो आपको बुरा स्पर्श करे अथवा गोपनीय अंगों को हाथ लगाए तो ज़ोर से चीखना चाहिए। उसे मना करना चाहिए और तुरंत मम्मी पापा को आकर ये बात बतानी चाहिए। उसे भरोसा दिलाइये कि मम्मी- पापा हमेशा उसकी सहायता करेंगे और उसे प्यार करेंगे।
ऐसा करने से अवश्य आपकी बेटी मज़बूती से किसी भी दुर्व्यवहार का जवाब दे पाएगी।
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