Tips for good sleep : मनुष्य ने अपने जीवन को आरामदायक, सुखपूर्वक बनाने के लिए कई अविष्कार किए है। किन्तु आज का मनुष्य अपने किए आविष्कारों में खुद ही जकड़ा जा चुका है। जिस कारण उसे पर्याप्त नींद भी नहीं मिल पा रही। ऐसे में कैसे पाएं गहरी नींद? आइए जानते हैं लेख से।
1940 की तुलना में आधुनिक व्यक्ति एक घंटा कम सोता है। सभ्यता के विकास के संग, खासकर टी.वी. इंटरनेट और मोबाइल आने के पश्चात नींद की कमी, अनेक शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की जड़ बनती जा रही है। अनिद्रा के फलस्वरूप पैदा हुई चिड़चिड़ी प्रकृति की वजह से संबंधों में भी कठिनाईयां उत्पन्न होती हैं। विगत कुछ वर्षों में न्यूरोसाइंस ने काफी प्रगति की है और न्यूरोट्रांसमिटर्स संबंधी नई समझ विकसित हुई है। हमारे मस्तिष्क का जागना और सोना आंतरिक रसायनों द्वारा संचालित होता है।
गहरी विश्रामपूर्ण निद्रा के लिए कुछ बातें सहयोगी सिद्ध हुई हैं- (Tips for good sleep)
शारीरिक परिश्रम
सम्यक शारीरिक परिश्रम करने पर सम्यक निद्रा की क्षमता अर्जित होती है। मेहनत करने से अच्छी नींद की कमाई होती है, क्योंकि दर्द निवारक रसायन एंडोर्फिन निर्मित होता है। प्रगाढ़ नींद लेने के पश्चात अगले दिन ज्यादा श्रम के लिए शरीर में ऊर्जा आ जाती है। नई स्फूर्ति और शक्ति प्राप्त होती है। इस प्रकार श्रम और विश्राम दोनों परस्पर निर्भर हैं। एक-दूसरे को बढ़ाते हैं।
नियमितता
अनियमित क्रिया-कलापों की वजह से नींद का समय बाधित होता है। दिनचर्या में नियमितता यानी रेगुलेरिटी अत्यंत जरूरी है। निश्चित समय पर सोना और निश्चित समय पर उठना बहुत आवश्यक है। शरीर की बायोलॉजिकल क्लॅाक को रिसेट करने हेतु एक बार निर्णय कर लें कि कितने बजे जागना है, कितने बजे सोना है। फिर उस नियम का प्रतिदिन पालन करें। शायद शुरू में 3-4 दिन कठिनाई महसूस हो किंतु शीघ्र ही देह और दिमाग इस पैटर्न के आदी हो जाते हैं। तब ठीक वक्त पर अपने आप नींद आने लगती और खुलने भी लगती है। भीतरी अलार्म घड़ी काम करने लगती है।
मेलाटोनिन का निर्माण
पिछली एक सदी से हमारा समाज क्रमश: अंधकार से वंचित होता जा रहा है। अंधेरे की जरूरत है मेलाटोनिन नामक रसायन को बनाने के लिए, जिससे नींद आती है। सोने के समय से एक घंटे पूर्व, घर में तेज लाइट न जलाएं। शाम के बाद मेाबाइल और लेपटॅाप स्क्रीन से दूर रहें। एल ई डी स्क्रीन से निकली नीली प्रकाश किरणें जब आंखों पर पड़ती हैं तो ब्रेन को सूचना मिलती है कि अभी दिन का वक्त है। बेचारा मस्तिष्क दिग्भ्रमित हो जाता है। इस कन्फ्यूजन में वह मेलाटोनिन का निर्माण नहीं कर पाता।
टेम्परेचर सामान्य रखें
रात को अपना कमरा सामान्य से ज्यादा ठंडा रखें। यदि दिन के वक्त आप 21-22 डिग्री तापमान पर सक्रिय रहते हैं तो अच्छी नींद की खातिर टेम्परेचर 2-3 डिग्री कम होना चाहिए। 18-19-20 डिग्री सेल्सियस पर हमारा ब्रेन आसानी से सो सकता है तथा बॅाडी भी सरलता से निष्क्रिय हो पाती है। 25-26 डिग्री पर नींद की क्वालिटी में कमी पड़ जाती है। गर्मी एक प्रकार की ऊर्जा है जो सक्रियता व बेचैनी उत्पन्न करती है, शिथिल नहीं होने देती। गर्म पानी से स्नान करने के बाद या 15 मिनिट पैदल चलकर ऊष्मा पैदा करने के बाद, जैसे ही ठंडे कमरे में आने पर तापमान घटना आरंभ होता है, गहरी नींद आने लगती है।
शराब का सेवन बंद करें
शराब और कैफीन के असर से नींद डिस्टर्ब होती है। याद रखिए कि एल्कोहल सेडेटिव नहीं है। शराबी की नींद कई खंडों में टूटती है, विश्राम की गहराई घट जाती है। चाहे कोई व्यक्ति कहे कि मुझे डिनर के बाद कॉफी पीने से नींद में कोई बाधा नहीं पड़ती। किंतु अध्ययन से पता चलता है कि उसकी नींद उथली रहती है, शांतिपूर्ण नहीं होती। नींद तो आती है मगर सुबह वैसी ताजगी और स्फूर्ति प्राप्त नहीं होती, जैसी होनी चाहिए।
तेज संगीत न सुनें
बिस्तर में 20 मिनिट से अधिक जागे हुए न रहें। बिस्तर और निद्रा का एसोसिएशन होना चाहिए। यदि किसी रात 20 मिनिट तक नींद नहीं लगी तो दूसरे कमरे में चले जाएं। वहां मद्धिम रोशनी जलाएं। आपकी साहित्यिक रुचि है तो कुछ पढ़ लें। अथवा शांतिदायी मधुर संगीत का आनंद लें। जब नींद घेरने लगे तब अपने शयन कक्ष में वापस लौटें। सावधान- रात को कभी उत्तेजक संगीत न सुनें। विवादास्पद विषयों पर चर्चा न करें। चिंता करते हुए न सोएं।
ध्यान करें
ध्यान करना सीखें। अपने नर्वस सिस्टम को रिलैक्स होने का प्रशिक्षण दें। सुबह जागरुकता बढ़ाने वाले ध्यान प्रयोग करना चाहिए जैसे सक्रिय ध्यान (डायनैमिक मेडिटेशन), विपस्सना आदि। रात में योग निद्रा का प्रयोग उपयोगी है। इसके लिए मन ही मन स्वयं को सुझाव देकर सम्मोहित करना सीखें। सेल्फ हिप्नोसिस की अवस्था में डूबकर सो जाएं। योग निद्रा के सुझावों को संगीतबद्ध किया गया है जो कि ज्यादा प्रभावी हैं। कम वाल्यूम पर इन्हें सुनते-सुनते गहरी नींद में डूब जाएं। यह म्युजिक ट्रेक 24 मिनिट का है।
खाना खाएं
हम सब जानते हैं कि भूखे पेट नींद नहीं आती। अधिक भोजन लेने पर उबासियां आने लगती हैं। चूंकि खाना पचाने के लिए आंतों में रक्त संचार बढ़ जाता है अत: परिणामस्वरूप दिमाग में जाने वाले खून की मात्रा कम हो जाती है। सोने के ठीक पूर्व थोड़ा सा भोजन ग्रहण करने से गहरी नींद आसानी से आती है। इसके लिए अनिवार्य है कि डिनर के वक्त कुछ कम भोजन लिया जाए। ताकि कुल मिलाकर कैलोरी का हिसाब-किताब संतुलित रहे।
होशपूर्वक जिएं
श्रम और विश्राम के पारस्परिक संबंध की तरह ही ध्यान और नींद भी जुड़े हुए हैं। नींद यानी बेहोशी, ध्यान यानी होश। जो व्यक्ति दिन भर जितना होशपूर्वक जिएगा वह रात में उतनी ही गहरी नींद उपलब्ध करने का अधिकारी बन जाता है। रात में जो प्रगाढ़ निद्रा में डूबता है वह दिन में उतनी ही सजगता साधने का हकदार हो जाता है। जिसकी नींद गहरी नहीं लगी, वह ध्यान साधना भी ठीक से नहीं कर सकता।
निद्रा के स्तर
ई.ई.जी. में रिकार्ड हुई तरंगों के मुताबिक नींद के तीन स्तर होते हैं। सर्वाधिक गहरी शांतिपूर्ण नींद में डेल्टा वेब्ज बनती हैं। केवल क्वांटिटी यानी घंटे ही नहीं; नींद की क्वालिटी, गहराई भी महत्त्वपूर्ण है। मनोवैज्ञानिकों ने डेल्टा वेब्ज की लय पर, समान फ्रिक्वेंसी पर ‘डीप स्लीप स्टुमिलेटिंग साउन्ड वाला संगीत तैयार किया है, जो समुद्र की लहरों की आवाज जैसा सुनाई पड़ता है।
रात भर इसे कम वाल्यूम पर बजने दिया जाए तो उसी लय की डेल्टा वेब्ज मस्तिष्क में आसानी से उत्पन्न हो जाती हैं। सुबह याद भी नहीं आता कि रात्रि में कोई संगीत बजता रहा। नींद की गोली खाने की तुलना में यह गैर-रासायनिक विधि ज्यादा उपयोगी है।
निवेदन है कि ध्यान-साधना में सम्यक निद्रा के महत्त्व के संबंध में विस्तार से समझने के लिए सदगुरु ओशो की प्रवचनमाला ‘अंतर्यात्रा अवश्य पढ़िए अथवा सुनिए।
