‘‘कभी-कभी मेरा शिशु सारा दिन लातें चलाता रहता है और कभी-कभी पूरा दिन शांत रहता है। क्या यह सामान्य है?”
वे भी इंसान हैं, कभी-कभी उसका मन करता है कि वह जी-भरकर उछल-कूद मचाए,कभी-कभी दिल करता है कि बस चुपचाप पड़ा रहे। उसकी हलचल आपकी गतिविधियों पर भी निर्भर करती है। अगर आप सारा दिन गतिशील रहेंगी तो वह आपकी ताल पर हिलता रहेगा और बहुत कम हलचल करेगा। आप व्यस्तता की वजह से उस हलचल को भी महसूस नहीं कर पाएँगी। जब आप शांत होकर बैठेंगी तो उसकी हलचल बढ़ जाएगी। तभी अक्सर रात को सोते समय या दिन में आराम करते समय ही उसकी हलचल ज्यादा महसूस होती है। आपकी घबराहट या उत्तेजना के समय भी उसकी गतिविधि बढ़ जाती है।

शिशु आमतौर पर 24 से 28 सप्ताह में सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं। उस समय वे ज्यादा उछल-कूद या कलाबाजियाँ तो नहीं खा सकते इसलिए व्यस्त मां उनकी थोड़ी-बहुत हलचल का अंदाजा नहीं लगा पाती। 28 से 32 सप्ताह में भ्रूण की हलचल कहीं साफ, तेज और संगठित हो जाती है। यदि एंटीरियर प्लेसेंटा की स्थिति हो तो शिशु की हलचल महसूस होने में और भी ज्यादा वक्त लग सकता है। अपने शिशु की हलचल का दूसरे गर्भस्थ शिशु को हलचल से मुकाबला न करें। हर शिशु की हलचल व विकास का ढांचा अलग-अलग होता है। कुछ शिशु हमेशा सक्रिय रहते हैं तो कुछ शांत रहना पसंद करते हैं। कुछ इतने नियमित होते हैं कि मांए उनकी हलचलों से घड़ी मिलाती हैं और कुछ शिशु को अपने तरीके से चलना पसंद करते हैं। 28वें सप्ताह तक शिशु की हलचल का रिकॉर्ड रखना जरूरी नहीं है।
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