‘‘मैं जानती हूं कि मुझे अपनी गर्भावस्था में प्रसन्न रहना चाहिए और मैं कभी-कभी रहती भी हूं, लेकिन कभी-कभी मैं काफी उदास हो जाती हूं और रोने का मन करता है।”
उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते हैं। गर्भावस्था में तो यह मूड इस कदर बनता बिगड़ता है कि क्या करें! एक पल में आप चांद पर होती हैं और दूसरे ही पल बीमे की राशि के लिए रो रही होती हैं। क्या हार्मोन को इसके लिए दोषी ठहरा सकते हैं? पहली तिमाही में जब हार्मोन अपना असली रंग दिखाते हैं, तब तो यह समस्या पूरे जोरों पर होती है। आमतौर पर जो महिलाएं अपने पीएम एस के दौरान भी मूड के उतार-चढ़ाव से गुजरती हैं। उनके लिए गर्भावस्था में भी यह आम बात होती है। कोई भी शारीरिक,भावनात्मक या मानसिक बदलाव आपके मूड में बदलाव ला सकता है।
हालांकि पहली तिमाही के बाद यह सब कुछ काफी हद तक शांत हो जाता है। आप गर्भावस्था के उन बदलावों की आदी भी हो जाती हैं। हालांकि हम इस चीज़ से पूरा बचाव नहीं कर सकते लेकिन बचाव के उपाय तो कर ही सकते हैं।
- अपनी ब्लड शुगर का स्तर ऊंचा रखें। इसका मूड से क्या लेना-देना है? बहुत! जब ब्लड शुगर घटती है तो मूड बिगड़ने लगता है। अपने तीन समय के भारी भोजन को सिक्स मील सोल्यूशन में बदलें और उसमें कॉम्पलैक्स कार्ब व प्रोटीन को शामिल करें। ब्लड शुगर का स्तर ऊंचा रहेगा तो मूड भी ठीक रहेगा।
- चीनी व कैफीन की मात्रा घटाएं। इन्हें खाने से ब्लड शुगर का स्तर जितनी तेजी से बढ़ता है। उतनी ही तेजी से घट भी जाता है। इन दोनों का सीमित मात्रा में सेवन करें।
- अपनी गर्भावस्था आहार योजना का सही तरीके से पालन करें। आहार में ओमेगा 3 फैटी एसिड शामिल करें (अखरोट, मछली व अंडे आदि) इससे मूड में सुधार के साथ-साथ शिशु के मस्तिष्क का भी विकास होगा।

- व्यायाम से एंडोरफिन का स्राव होता है और आप पहले से बेहतर महसूस करती हैं। अपने डॉक्टर की राय से रोज़मर्रा के रूटीन में व्यायाम को शामिल करें।
- थोड़ा रोमांटिक हो जाएं। सेक्स न भी हो लेकिन एक-दूसरे का हाथ थामकर सोफे पर बैठना, बीती बातें दोहराना,आलिंगन व चुंबन आदि भी मूड सुधार सकता है। आप दोनों ही उस समय नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आत्मीयता दोनों को और निकट लाएगी और मूड भी बन जाएगा।
- अपनी जिंदगी में रोशनी लाएं। सर्वे से पता चला है कि सूरज की रोशनी से भी मूड संवरता है लेकिन इसके साथ ही सनस्क्रीन लगाना न भूलें।
- चिंता, तनाव, परेशानी, असुरक्षा!गर्भावस्था में ऐसे मिश्रित विचारों का आना स्वाभाविक है। जब भी इनसे घिर जाएं तो किसी से बात करें। अपने साथी, दोस्त या किसी गर्भवती सहेली से मन की बात कहें। आपका मूड संभल जाएगा।
- आराम करें। थकान से मूड काउतार-चढ़ाव काफी बढ़ जाता है। पूरी नींद लें। जरूरत से ज्यादा नहीं। वरनाथकान और भावनात्मक असुरक्षा बढ़सकती है। आराम करना सीखें। तनाव आपको बुरी तरह थका देता है। इसे हटाने के कुछ उपाय करें।
- आपके जीवन में, एक व्यक्ति ऐसा है,जो आपके इस बर्ताव से आहत होगा,आपका जीवन साथी, उसे यह समझना होगा कि आप इस तरह से पेश क्यों आ रही हैं। इस तरह उसे यह भी समझ आ जाएगा कि वह आपकी किस तरह मदद कर सकता है। उसे बताएं कि आप क्या चाहती हैं। या क्या नहीं चाहतीं। किस बात से आपको बुरा लगता है या किस बात से आप बेहतर महसूस करती हैं। अपनी बात साफ शब्दों में कहें ताकि किसी गलतफहमी की गुंजाइश न रहे।
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