ऐज स्पाट्स
उम्र बढ़ने के साथ त्वचा पर पीले-भूरे, गहरे भूरे या काले धब्बे पड़ना आम बात है। ज़्यादा उम्र के लोगों, गोरे लोगों और धूप में अधिक समय बिताने वालों में बढ़ती उम्र के निशान दिखने की संभावना अधिक होती है। इन धब्बों में किसी प्रकार की खुजली, जलन या अन्य किसी प्रकार की तकलीफ विकसित नहीं होती है। इनमें त्वचा की संरचना में कोई बदलाव भी नहीं होता है और न ही इनमें सूजन व लालिमा विकसित होती है। आप क्या करें-
मक्खन का इस्तेमाल करें
पुराने समय में महंगी केमिकल युक्त क्रीम का चलन नहीं था। उस समय हर घर में उपलब्ध मक्खन को इसका उपचार माना जाता था तो आप भी अपनी त्वचा की देखभाल के लिए महंगी क्रीम की जगह मक्खन का इस्तेमाल करें। यह आपकी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। असल में इसमें लैक्टिक एसिड होता है, जो हमारी बढ़ती उम्र के साथ होने वाले दाग-धब्बों को कम करता है। इसको रुई से अपनी त्वचा पर लगाएं और 15-20 मिनट बाद धो लें।
एलर्जी
दूसरी सबसे आम परेशानी है- एलर्जी, जो न मौसम देखती है और न समय, कभी भी हो सकती है लेकिन इसकी संभावना गर्मी और चिपचिपे मौसम में ज्यादा रहती है। एलर्जी किसी खाने की चीज, पालतू जानवर, मौसम में बदलाव, कोई फूल-फल-सब्जी के सेवन, खुशबू, धूल, धुआं, दवा आदि किसी भी चीज से हो सकती है। यानी कोई एक कारक नहीं है। इस स्थिति में हमारा इम्यून सिस्टम कुछ खास चीजों को स्वीकार नहीं कर पाता और नतीजा ऐसे रिएक्शन के रूप में दिखता है। दूसरी बात आंख, नाक, कान, गला, त्वचा किसी भी जगह यह हो सकती है। पर ऐसे में क्या करें-
विटामिन सी का इस्तेमाल करें
इससे पहले और बहुत ही साधारण सा उपाय है कि आप भोजन में विटामिन सी युक्त भोज्य पदार्थों की मात्रा बढ़ा दें। यह एक प्राकृतिक एंटीहिस्टामिन है। यह हमारी कोशिकाओं को नुकसान होने से बचाता है। यह आपको होने वाली एलर्जी से भी बचाता है। इसमें शक्तिशाली एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो हमारे शरीर को होने वाली बीमारियों से बचाते हैं। दूसरी सबसे जरूरी बात है कि हाइजीन का ध्यान रखा जाए और धूल, प्रदूषण, खुले खाने से बचाव व स्वच्छता का ध्यान रखा जाए। पौधों या जानवरों से एलर्जी है, तो उनसे दूर रहा जाए।
फफोले (ब्लिस्टर)
फफोला यानी त्वचा पर छाले। ये फफोले उभार लिए हुए, पस (मवाद), खून या खून में मौजूद एक स्पष्ट पदार्थ (सीरम) से भरे हुए होते हैं। कोई खास एक आकार नहीं होता। फफोलों का बड़ा या छोटा आकार संक्रमण पर निर्भर करता है। इनका सबसे आम कारण है रगड़ लगना, त्वचा का ठंड से जमना, त्वचा का जलना, संक्रमण और केमिकल रिएक्शन। यह किसी बीमारी का लक्षण भी हो सकते है। कारण के आधार पर फफोले में खुजली हो सकती है या कम/ज़्यादा दर्द भी हो सकता है। क्या है उपाय-
पेट्रोलियम जैली
हमें बहुत पीड़ा और जलन होती है। जो कई बार तो हमसे सहन भी नही होती। ऐसी स्थिति में आप फफोले को साबुन से अच्छे से साफ करके उस पर पेट्रोलियम जैली लगाएं। इससे आपको आराम मिलेगा। चिकित्सक की सलाह लें। किसी भी प्रकार की रगड़ से बचने के लिए पैरों में जूते मोजे, हाथों में दस्ताने या अगर कसे हुए कपड़ों की वजह से रगड़ लगती है तो थोड़े ढीले कपड़े पहनें। अधिकांश फफोले अपने आप सही हो जाते हैं, उनसे छेड़छाड़ न करें वरना संक्रमण हो जाएगा।
बग बाइट
यह तो आप सब जानते ही होंगे इन दिनों में सबसे ज्यादा बग बाइट (कीड़े के काटने पर) होता है।
ओटमील
बग बाइट की वजह से होने वाली खुजली से चैन मिलता है तब हम और अधिक तेजी से खुजाते हैं। लेकिन खुजलाने से वहां की त्वचा छिल जाती है और उसमें जलन होने लगती है। कई बार ज्यादा खुजलाने पर खून भी छलक जाता है, दूसरी बात नाखूनों के द्वारा संक्रमण भी फैलता है। ऐसे में क्या करें-
कीड़े के काटने पर हमें जो खाज-खुजली हो जाती है, उसमें ओटमील बहुत ही लाभदायक होता है। यह खुजली को खत्म करने के लिए बहुत प्रभावी होता है। आप ओटमील में पानी मिलाकर उस मिश्रण को खुजली की जगह पर लगाएं और 15-20 मिनट बाद धो लें।
जलने पर एलोय
एलोय हमारी त्वचा की देखभाल के लिए बहुत ही लाभदायक है। जब हमारी त्वचा जल जाती है और हमें जलन होती है तो हमें एलोय का इस्तेमाल करना चाहिए। यह हमें आराम देता है।
कॉलस और कॉर्न्स
जिंगली तेल
यह तिल के तेल से प्राप्त किया जाता है। इसकी मालिश हमारे लिए बहुत लाभदायक होती है। इसका इस्तेमाल करने के लिए इसको टिश्यू पेपर से रगड़ें और इसका इस्तेमाल कम से कम एक महीने तक करें।
नासूर
मिल्क ऑफ मग्नेशिया
मुंह में जो अल्सर होते हैं, उनको नासूर बोलते हैं और वे किसी चोट लगने की वजह से हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में मिल्क ऑफ मैग्नेशिया को उन घावों पर दिन में 4-5 बार लगाएं।
कब्ज
जमीन अलसी
हमारे पेट मे गैस होने के कारण हमें कब्ज हो जाती है और कब्ज में जमीन अलसी का इस्तेमाल बहुत लाभदायक होता है। यह घुलनशील और अघुलनशील दोनों रेशों का अच्छा स्त्रोत है, जो हमारे मल में वृद्धि करते हैं और अच्छे बैक्टरिया का विकास करते हैं। इसमें फैटी एसिड होता है, जो हमारे मल को नरम करके हमें कब्ज से राहत देता है।
खांसी
थाइम चाय
यह हमारे लिए खांसी में बहुत लाभदायक होती है। थाइम चाय प्राकृतिक होती है। यह हमारे सांस के मार्ग को साफ करती है। इसको अजवाइन के फूल के साथ मिलाकर लेने से खांसी में आराम मिलता है। इसकी चाय बनाने के लिए एक कप पानी मे 2 चम्मच थाइम डालें।
डिप्रेशन
इलायची
यह खाने में सुगन्धित और स्वादिष्ट होती है। यह अवसादों का विरोध करती है। यह हमारे डिप्रेशन को दूर करती है। इसका इस्तेमाल हम चाय में डाल कर भी कर सकते हैं और इसके चूर्ण को पानी के साथ भी ले सकते हैं। यह हमारे लिए बहुत लाभदायक होती है।
पेचिश
कच्चा केला
कच्चा केला हमें पेचिश के रोग में बहुत लाभ देता है कच्चे केले में पैक्टिन होता है, जो हमारे अंदर के अतिरिक्त पानी को सोख लेता है और हमारे अंदर जरूरी बैक्टरिया का विकास करता है और हमारे पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है।
आंखों पर जोर
खीरा हमारी आंखों के लिए बहुत लाभदायक होता है। इसके दो टुकड़े लेकर दोनों आंखों पर रखें, इस से आंखों की सूजन और जलन में आराम मिलता है। और हमारी आंखों को तरो-ताजा महसूस होता है।
बुखार
सोआ के बीज
सोआ के बीज हमारे लिए बुखार में बहुत लाभदायक होते हैं, इनको दो पेपरकॉर्न और एक चम्मच ब्लैक जीरा के साथ मिलाकर 150 ग्राम पानी मे उबाल लें और इसको किसी कपड़े से छानकर ठंडा करके पिएं। यह आराम देता है। बुखार को ठीक करने के लिए हम 20 तुलसी के पत्ते और 2 लौंग 1 लीटर पानी में डालें और हर 2 घंटे में थोड़ा-थोड़ा पिएं।
पैर की गंध
लैवेंडर ऑयल
लैवेंडर के तेल में अच्छी खुशबू के साथ-साथ एन्टी बैक्टीरियल गुण भी होते हैं। इससे हमारे पैरों की गंध के साथ-साथ कीटाणु भी खत्म हो जाते हैं। बिस्तर पर सोने से पहले लैवेंडर के तेल की अच्छे से मालिश करें।
सीने में जलन
गुडूची चाय
गैस के कारण पेट में पाचक डिसऑर्डर हो जाता है और पेट में एसिड बन जाता है, यह तभी होता है। इसमें आराम के लिए गुडूची के पत्तों से हर्बल चाय बनाएं। यह आयुर्वेद में बहुत प्रभावशाली जड़ी-बूटी मानी जाती है। यह हमारे पेट के रोगों और हृदय की जलन में लाभदायक है।
गाउट
कोकिलक्ष
गाउट गठिया का एक प्रकार है। इसके कारण हमारे जोड़ों में दर्द हो जाता है। यह हमारे दर्द को खत्म करता है। इसमें दर्दनाशक गुण होते हैं।
सिरदर्द
पेपरमिंट ऑयल
पेपरमिंट ऑयल हमारे स्किन में होने वाली पीड़ा को शांत करता है और यह हमारे तनाव को कम कर देता है, जिससे हमारा सिरदर्द ठीक हो जाता है। त्वचा की जलन को ठीक करने के लिए ऑलिव के तेल में 2-3 बूंद डालकर कनपटी और माथे पर मालिश करें।
हिचकी
शुगर
दानेदार चीनी को खाने से हमारी हिचकी बंद हो जाती है। यह हमें सामान्य करने में मदद करती है। यह हमारे लिए लाभदायक होती है।
उच्च केलोस्ट्रॉल
नियासिन
उचित मात्रा में नियासिन लेने से केलोस्ट्रॉल कम हो जाता है। इसे ज्यादा मात्रा में लेने से हमारे लीवर को भी हानि हो सकती है, जिससे गैस जैसी और भी बीमारियां हो सकती हैं।
अपच
फनल
सौंफ हमारे लिए बहुत लाभदायक होती है। यह हमारी पाचन क्रिया को भी ठीक करती है और पेट की गैस को भी खत्म करती है। इसलिए खाना खाने के बाद एक चुटकी सौंफ चबानी चाहिए।
इंसोम्निया
अश्वगन्धा
यह हमारे भारत की प्राचीन औषधि में से एक है। इसका सेवन करने से हमें नींद भी अच्छी आती है और यह हमारी थकान और तनाव दोनों को दूर करता है। यह हमारी बहुत सी बीमारियों में लाभदायक होता है।
जोड़ों का दर्द
ग्रीन चाय
इसमें भरपूर मात्रा में एन्टी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो हमारे लिए बहुत फायदेमंद होते हैं, जो हमारे जोड़ों का दर्द भी ठीक करते हैं। इसका इस्तेमाल हमें दिन में 2 से 3 बार करना चाहिए।
किडनी की पथरी
नींबू का रस
जिनसे हमें पथरी होती है, वे ऑक्सालेट पालक, फ्रेंच फ्राइज इनमें पाए जाते हैं और नींबू के रस से हमें ऑक्सालेट के क्रिस्टलीकरण को रोकने में मदद मिलती हैं। यह हमारी किडनी की पथरी में लाभदायक होता है। रोजाना 100 से 120 बूंद नींबू का रस पीना चाहिए।
होंठों का फटना
जैतून का तेल
होंठों के फटने पर हमें जैतून के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। इसको अपने फटे हुए होंठों पर लगाना चाहिए। यह हमारे होंठों को मुलायम और नरम करता है।
मेमोरी लपसेस
ऋषि पत्ता
यह हमारे लिए बहुत लाभदायक होता है। इसका सेवन करने से हमारी मेमोरी तेज होती है।
मेनोपौसल के लक्षण
तेज पत्ता
एक लीटर पानी में भुने हुए 3 पत्ते डाल दे और और दिन में 2 से 3 बार इसे पिएं। लौंग, हल्दी, जीरा, काली मिर्च, तील के बीज, करी पत्ता इनको मिक्स करके एक मिश्रण बना लें और
खाना खाने के बाद रोजाना 2 से 3
चम्मच लें।
जी मिचलाना
अदरक
कमजोरी के कारण या अन्य किसी कारण से हमारा जी मिचलाता है तो अदरक हमारे लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह हमारी जी मिचलाने वाली बीमारी को कम कर देता है। इस से एन्जाइम निकलते हैं, जो भोजन के टुकड़ों को तोड़ने में हमारी मदद करते हैं। अदरक को हम चाय में डालकर भी पी सकते हैं या चबा भी सकते हैं।
गर्दन का दर्द
दबाव
अपने अंगूठे या उंगलियों के पोरों से अपनी गर्दन को दबाएं। इस से मांसपेशियों को आराम मिलता है और गर्दन का दर्द ठीक हो जाता है।
ऑस्टियोपोरोसिस
सोया
यह हमारी हड्डियों के लिए बहुत लाभदायक होती है। यह हमारी हड्डियों को मजबूत करती है और उनको टूटने से बचाती है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है।
पसोरिसेस
कैप्साइसिन
यह हमें खुजली में बहुत फायदा देता है। इसकी क्रीम लगाने से हमें खुजली में बहुत लाभ मिलता है।
फीवर
तुलसी, हल्दी, सौंठ का काढ़ा
बुखार एक बीमारी है जो बैक्टीरिया कोक्सीला बर्नेटी के कारण होती है। वैसे तो इसमें डॉक्टर्स एंटीबायोटिक का कोर्स करवाते हैं ।इसलिए अच्छा होगा यदि इस समस्या का डॉक्टर से कंसल्ट किया जाए वैसे तुलसी ,हल्दी ,सौंठ का काढ़ा या चाय का सेवन या फिर धनिए की चाय का सेवन फायदेमंद है।
दाद
जोजोबा तेल और लेवेंडर तेल का प्रयोग रिंगवर्म में दिलाये आराम
जोजोबा और लेवेंडर तेल अपने औषधीय यह गुणों के लिए जाने जाते हैं। का प्रयोग सौंदर्य उत्पादों में काफी किया जाता है यदि रिंगवॉर्म की समस्या है तो इनका प्रयोग काफी फायदेमंद है।आप बराबर मात्रा में दोनों तेल को मिलाएं और रुई की मदद से अफेक्टेड त्वचा पर लगाएं। आराम मिलेगा।
साइनोसाइटिस
नीलगिरी का तेल
नीलगिरी के तेल की कुछ बूंदे पानी में डाल कर उबाल लें। उबलने के बाद अपने सिर और कंधों पर तौलिया डालकर अपने मुंह को उस गर्म पानी के बर्तन के ऊपर कर लें और उससे निकली हुई भांप को अंदर लें। इस से साइनोसाइटिस ठीक हो जाता है।
गले में खराश
मुलहठी
यह हमारे गले में होने वाली समस्या को दूर करती है, जैसे गले में खराश, जुकाम का फ्लू इनको ठीक किया जा सकता है। यह प्रभावी जड़ी-बूटी के रूप में काम करती है।
दांत और मसूड़ों में दर्द
लौंग का तेल
लौंग का तेल हमारे दांतों और मसूड़ों के लिए बहुत लाभदायक होता है। यह हमारे मसूड़ों की सूजन को ठीक करता है और जैतून के तेल में 2-3 बूंद मिलाकर लगाने से दांतों के दर्द और जलन को भी ठीक करता है।
मूत्र नली में संक्रमण
क्रैनबेरी जूस
क्रैनबेरी जूस हमारे लिए बहुत लाभदायक है। यह हमारी मूत्र नली में होने वाली सभी समस्याओं को दूर करता है। अगर हम रोजाना एक गिलास क्रैनबेरी जूस पीते हैं तो यह मूत्र नली में होने वाली सभी बीमारियों को दूर करता है। यह हमारी यूरीन ट्रक्ट की दीवारों को चिपकने से रोकता है।
वेरिकोस वेइन्स
गोटू कोला
यह हमारी भारतीय आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। यह हमारी नसों को मजबूत करती है और हमारे रक्त के संचार को बेहतर बनाने
में मदद करती है। इसका सेवन करने के
लिए एक चम्मच गोटू कोला की पत्तियों को पानी में उबाल लें और इसे पी लें।
दृष्टि की समस्याएं
कॉड लीवर तेल
इसमें विटामिन ए और विटामिन डी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं और इसका इस्तेमाल करने से यह हमारे रक्तचाप को कम करता है और आंखों के रक्तप्रवाह को बढ़ाता है और हमारी आंखों की सूजन को कम करता है। कॉड लीवर तेल एक चम्मच रोजाना लें।
घाव
शहद
पुराने समय में लोग शहद का इस्तेमाल घावों को ठीक करने के लिए करते थे। शुद्ध शहद में ग्लूकोस ऑक्सीडेज नाम का एन्जाइम होता है, जो हमारे घाव को ठीक करने में हमारी मदद करता है। शहद को हम अपने घावों पर लगाकर आराम पा सकते हैं।
गुण-दोषों का गुच्छा
डक्ट टेप
मच्छर पर टेप लगाने से यह उनको फ्रीज करने से भी ज्यादा प्रभावशाली होता है और यह सस्ता भी होता है।
खमीर संक्रमण
समुद्र का नमक
गर्म पानी में एक कप समुद्र का नमक डालें और उसे अपने शरीर पर डालें। इससे खाज और खुजली में आराम मिलता है।
ज़िट्स
चाय के पेड़ का तेल
5 प्रतिशत चाय के पेड़ का तेल जैल का तथा 5 प्रतिशत तेल बेंजोइल पेरॉक्साइड लोशन के रूप में काम करता है। इससे मुंहासे होने का खतरा रहता है।
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