आजकल की भागती- दौड़ती दुनिया में अधिकांश लोग नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। बिना किसी तनाव के चैन से सोना किसे पसंद नहीं है। हर व्यक्ति एक अच्छी और स्वस्थ नींद चाहता है, पर ऐसे कितने लोग हैं जो अच्छी नींद ले पाते हैं। किसी के पास सोने के लिए टाइम नहीं है तो कोई टाइम होते हुए भी सो नहीं पाता। हम सभी कभी न कभी इस समस्या से रूबरू होते रहते हैं। किन्तु जब यह समस्या कई दिनों तक लगातार बनी रहे तो यह चिंताजनक है जिसका निवारण अत्यंत आवश्यक है।
अनिद्रा (नींद न आना) का मुख्य कारण तनाव है। अत्यधिक तनाव के चलते व्यक्ति की नींद सबसे ज्यादा प्रभावित होती है जो शारीरिक तथा मानसिक हैल्थ पर असर डालती है। जिसके कारण व्यक्ति में चिड़चिड़ापन, बैचेनी, कार्य क्षमता में कमी आदि देखने को मिलती है। यदि आप एक स्वस्थ तथा सुकूनभरी नींद चाहते हैं तो केवल एक साधारण से अभ्यास को अपनाकर अपनी नींद का सपना पूरा कर सकते हैं। आइये जानते हैं इस सरल और बेहद प्रभावकारी भ्रामरी प्राणायाम के बारे में –

भ्रामरी प्राणायाम
- रात में सोने के लिए जाने से पहले बिस्तर पर ही आराम से शांत मन से बैठें।
- अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए आँखें बंद कर लें।
- अपने दोनों हाथों की उँगलियों से अपनी आँखों को तथा दोनों अँगूठों से दोनों कानों को हल्के से बंद कर लें।
- लंबी गहरी श्वास लें फिर श्वास छोड़ते हुए भँवरे जैसी गुनगुनाहट की आवाज करते हुए लगातार गुंजन करें।
- ऐसा 5-10 बार दोहराएँ। अभ्यास हो जाने पर अपनी क्षमतानुसार इसकी संख्या बढ़ा सकते हैं।
भ्रामरी प्राणायाम से लाभ
इस प्राणायाम को करने से हमारे शरीर और मस्तिष्क में एक विशेष प्रकार की वाइव्रेशन उत्पन्न होती हैं, जिसका प्रभाव हमारे नर्वस सिस्टम पर पड़ता है जो तनाव को दूर करके दिमाग शांत करता है। इस प्राणायाम को करने से दिमाग के साथ – साथ शरीर भी रिलैक्स होता है। शरीर और दिमाग के रिलेक्स होने से नींद भी अच्छी आती है।
इन बातों का रखें खास ध्यान
- जिन लोगों को घुटने से संबन्धित कोई समस्या है या पैरों को मोड़कर बैठने में कोई परेशानी होती है वे पैरों को सीधा रखकर या फैलाकर बैठ सकते हैं।
- रीढ़ की हड्डी से संबन्धित समस्या होने पर या सीधा बैठने में दिक्कत होने पर कोई सपोर्ट या सहारा ले सकते हैं या अपने हिप्स के नीचे कुशन या तकिया लगाकर बैठ सकते हैं।
- अपनी आँखों और कानों को बंद करते वक्त उन पर बहुत ज्यादा प्रैशर नहीं डालना है। इनको बंद करने का उद्देश्य केवल बाहरी अवरोधों को रोकना है।
- गर्भवती महिलाएं भी इस प्राणायाम को कर सकती हैं। बस इतना ध्यान रखना है कि गुंजन करते समय बहुत ज्यादा प्रैशर न डालें।
