दांतों के घिसने को न करें नजरअंदाज: Tooth Wear Effects
Tooth Wear Effects

Tooth Wear Effects: दांत हमारी मुस्कान का अहम हिस्सा होते हैं और हमारी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। लेकिन यह कटु सत्य है कि समुचित ध्यान रखने के बावजूद दांतों में कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं जिससे कई बार हमारा साथ भी छोड़ देते हैं। दांतों का घिसना ऐसी ही बीमारी है जिसे पहले बढ़ती उम्र के लोगों की समस्या मानी जाती थी, लेकिन वर्तमान में यह बीमारी छोटे-बड़े सभी में देखने को मिलती है।

दांत घिसना एक प्रकार की बीमारी है जिसमें कई लोग गुस्से या तनाव में दांत घिसते हैं। धीरे-धीरे यह उनकी आदत सी बन जाती है और दिन-रात इसमें आनंद प्राप्त करने लगते हैं। लेकिन उनकी यह आदत भविष्य में दांतो की बीमारी का रूप ले लेती है। दांत घिसकर छोटे हो जाते हैं और उनमें सेंसिटिविटी शुरू हो जाती है।

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क्या हैं लक्षण

  • दांतों में निशान पड़ना, सामने के दांतों के किनारे चौकोर, पारदर्शी और टूटने लगते हैं। पिछले दांतों की चबाने वाली सतहें चिकने, अवतल गड्ढे पड़ने लगते हैं।
  • दांत की सतह घिस जाने के कारण दांत चमकदार और चिकने दिखाई देते हैं।
  • बाहरी एनेमल के पतले होने और गहरे रंग की डेंटाइन दिखने के कारण दांत पीले दिखाई देने लगते हैं।
  • दांतों में दर्द और संवेदनशीलता बढ़ जाती है यानी ठंडी, गर्म या मीठे भोजन और पेय पदार्थों का सेवन करने पर असहनीय दर्द होता है।

क्या है कारण

Reason of Tooth Wear
Reason of Tooth Wear
  • बढ़ती उम्र के साथ कैल्शियम की कमी की वजह से दांतों के ऊपरी लेयर यानी एनेमल प्राकृतिक तौर पर घिसना।
  • कुछ लोग खासकर बच्चों का आदतन दिन-रात दांत भींचना या पीसना।
  • डाइट में एसिडयुक्त या कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक्स पीना। या फिर एसिडिक या साइट्रिक प्रकृति वाले फलों का ज्यादा सेवन करना। इनके एसिड से दांतों का एनेमल धीरे-धीरें मुलायम हो जाता है और दांत घिसने लगते हैं।हार्ड ब्रशिंग करना या दांत ठीक तरह साफ न करना। यानी दांतों को साफ करने के लिए टूथपेस्ट का ज्यादा इस्तेमाल करना। दांतों पर दवाब डालते हुए जोर-जोर से ब्रश करना और जरूरत से ज्यादा समय तक ब्रश करना।
  • तंबाकू, पान-गुटका चबाने की आदत होना।
  • गैस्ट्रिक या सिस्टेमिक डिजीज होना जिसकी वजह से पेट में एसिड बनता है और वह दांतों के एनेमल को खराब करता है।

क्या है उपचार

सबसे जरूरी है कि यह चेक करें कि कहीं आपको रात में सोेते समय दांत पीसने की आदत तो नहीं है। इससे बचने के लिए आपको दांतों पर नाइट गार्ड का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे दांत पीसने के बावजूद आपके दांत एक-दूसरे से टकराएंगे नहीं और दांत घिसने की समस्या कम होगी। अगर दांत थोड़ी-थोड़ी जगह से घिसे हैं यानी दांत पूरा न घिस कर उसके एक हिस्से में गड्ढा-सा बन जाता है। ऐसे दांतों की फिलिंग करके घिसने को कम किया जा सकता है। इससे दांतों की सेंसेटिविटी कम होती है। अगर दांतों का एनेमल पूरा घिस चुके हैं और छोटे हो गए हैं, तब दांतों पर कैपिंग लगाई जाती है। इसमें दांत के ऊपरी हिस्से और काॅर्नर को थोड़ा घिस कर छोटा किया जाता है। उसके ऊपर कैप चढ़ा दी जाती है।

ये कैप मैटल, सिरेमिक, पीएफएम जैसी चीजों से बनी होती है। व्यक्ति डाॅक्टर के परामर्श और अपनी पसंद के हिसाब से कैप लगवा सकता है। घिसे दांतों के लिए वेनियरिंग भी की जाती है। इसमें दांत के सामने की लेयर को थोड़ा-सा काटकर वेनियर्स की लेयरिंग की जाती है जो दांतों के कलर की होती है और घिसे दांत ठीक हो जाते हैं। दांतों की कंपोजिट फिलिंग भी की जाती है। यह एक तरह की वेनियरिंग ही होती है। अगर व्यक्ति के दांत बहुत ज्यादा घिस चुके होते हैं और वहां दर्द हो रहा होता है। ऐसी स्थिति में रूट कैनाल ट्रीटमेंट की जाती है।

कैसे करें बचाव

Precaution
Precaution

सभी दांतों का घिसाव बहुकारकीय होने की संभावना हैए जबकि इसे पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है, इसे काफी हद तक धीमा किया जा सकता है।

  • ओरल हाइजीन का ध्यान रखें। ब्रश करने के सही तरीके का इस्तेमाल करें। ब्रश करते समय ज्यादा दवाब डालकर ब्रश न करें।
  • साॅफ्ट ब्रिस्टल्स वाले ब्रश का इस्तेमाल करें ताकि दांतों को नुकसान न हो।
  • ज्यादा टुथपेस्ट का इस्तेमाल न करें। एक मटर के दाने के बराबर ही पेस्ट लें।
  • हर तीन महीने के बाद ब्रश बदल देना चाहिए ताकि खराब हुए ब्रिस्टल्स से दांत जल्दी घिसने लगते हैं।
  • दांतों का उपयोग वस्तुओं को पकड़ने या पकड़ने के उपकरण के रूप में न करें।
  • संतुलित आहार लें, ऐसे खाद्य पदार्थ जो लार पीएच को अधिक तेज़ी से बेअसर करके बफर के रूप में कार्य करते हैं (उदाहरण के लिए डेयरी उत्पादों में कैसिइन नामक प्रोटीन होता है जो दांतों को एसिड से बचाता है।
  • अम्लीय और शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों की मात्रा कम करें। स्नैकिंग को सीमित करने का प्रयास करें ताकि अम्लीय खाद्य पदार्थ और पेय केवल भोजन के समय ही हों।
  • उच्च स्तर की अम्लता वाले कार्बोनेटेड पेय और फलों के रस पीने की आवृत्ति कम करना दांतों के क्षरण को रोकने की कुंजी है। अम्लीय पेय और खाद्य पदार्थों का सेवन करने के तुरंत बाद (कम से कम 30 मिनट) टूथब्रश करने से बचना चाहिए क्योंकि एसिड दांत के इनेमल को नरम कर देता है जिससे इसे ब्रश करने से नुकसान होने की आशंका होती है।
  • दिन भर में खूब पानी पिएं। खासकर अगर व्यायाम कर रहे हों और कैफीन युक्त पेय पदार्थों से बचें क्योंकि कैफीन निर्जलीकरण का कारण बनता है।
  • एसिटिक या गैस्ट्रो रिफ्लेक्स की समस्या है, तो जरूरी है कि उसका पूरा उपचार करके दूर करें।
  • यथासंभव तंबाकू-गुटके का सेवन कम करें।
  • समय-समय पर डेंटिस्ट से संपर्क करें। किसी भी तरह की समस्या हो तो उसका समुचित उपचार कराएं।

(डाॅ दीपक त्यागी, डेंटिस्ट, दिल्ली)