मसाज को लेकर ज़्यादातर लोगों का मानना यह है कि मसाज सिर्फ सर्दियों में ही ज़्यादा लाभ पहुंचाती है और गर्मियों में तो इसकी कल्पना करना तक मुश्किल है। कहां झुलसाती गर्मियां और उस पर तेल का चिपचिपापन! सच तो यह है मसाज थैरेपी स्वस्थ रहने का एक ऐसा जरिया है, जो हर मौसम में लाभ पहुंचाता है, क्योंकि मसाज आधारित है टच थैरेपी, यानी स्पर्श चिकित्सा पर।
अब अगर हम गर्मियों की ही बात करें तो ज्यादातर लोगों का इम्यून सिस्टम अंदर से इतना कमजोर हो चुका है कि वे जरा-सी गर्मी भी सहन नहीं कर पाते। इस मौसम में वे कई तरह की तकलीफें झेलते रहते हैं, जैसे- बेचैनी-सी महसूस होते रहना, नींद न आना, भूख न लगना, लगातार थकान बनी रहना, सिरदर्द और कब्ज रहना वगैरह।
अब जब शरीर अंदर से ऐसी समस्याओं से जूझ रहा हो तो क्या चेहरे पर रौनक दिखेगी? जवाब आप खुद जानते हैं।
गर्मियों में है और जरूरी
मसाज की ज़रूरत गर्मियों में और ज़्यादा इसलिए भी हो जाती है, क्योंकि ऋतु परिवर्तन के समय शरीर में मौजूद विकारों को अगर ठीक न किया जाए तो यह गर्मियों के दौरान कई समस्याओं को बढ़ा सकता है। इसके अलावा गर्मियों में हमारे शरीर की ऊर्जा पसीने और बाहरी वातावरण के ताप से काफी कमजोर हो जाती है। मसाज से इसमें भी राहत मिलती है और ऊर्जा बढ़ती है। मसाज से न सिर्फ शरीर को गहराई तक आराम मिलता है, बल्कि संवेदनाएं भी जागृत होती हैं। तेज रक्त संचार से शरीर में मौजूद विषाणु पसीने और मूत्र रूप में बाहर आ जाते हैं। इसके अलावा शरीर का अतिरिक्त ताप भी कम होता है, जिससे पित्त नहीं बनता। याद रहे, यह गर्मियों में ज्यादातर लोगों की अनेक परेशानियों का कारण होता है। इसलिए इसमें दोहरा फायदा पहुंचाता है। अंदर से रक्त संचार तेज करके सभी विषैले तत्त्व शरीर से बाहर निकल जाते हैं और बाहर से शरीर की मृत त्वचा भी साफ़ होती है, जिससे शरीर की चमक और नैसर्गिकता बढ़ती है।
जरूरी है सही तरीका
- मसाज थैरेपी से जुड़े फायदे तो बहुत हैं, मगर यह सार्थक तभी है, जब इसे सही तरीके से किया जाए। इसके लिए जरूरी है कुछ सावधानियां-
- गर्मियों में मसाज करने के लिए सबसे पहले जिस जगह मसाज करनी हो, उस जगह के तापमान पर ध्यान दें। मसाज एयरकंडीशंड कमरे में बिल्कुल न कराएं। कमरे का तापमान सामान्य होना चाहिए, पानी न तो काफी ठंडा और न ही गर्म!
- यह बहुत जरूरी बात है कि जिस भी व्यक्ति की मसाज की जा रही है, उसकी शारीरिक स्थिति का अच्छी तरह पता हो, यानी उसके वात, पित्त, कफ में से कोई असंतुलित तो नहीं है। हार्ट या ब्लडप्रेशर संबंधी कोई समस्या या रीढ़ की हड्डी से जुड़ा कोई रोग न हो। गर्भावस्था के दौरान भी मसाज नहीं दी जाती।
- मसाज हमेशा हल्के हाथों और सही प्रेशर ह्रश्ववाइंट्स पर दबाव डालते हुए ही की जानी चाहिए और स्पर्श सहलाने जैसा होना चाहिए। इसलिए विशेषज्ञ से मसाज कराना फ़ायदेमंद रहता है।
- मसाज के लिए प्रयोग होने वाला तेल या क्रीम हमेशा व्यक्ति के शरीर की प्रवृति व मौसम के अनुसार ही प्रयोग होनी चाहिए।
- मसाज के बाद स्टीम बाथ और शावर (विशेषज्ञ के निर्देशानुसार) ली जा सकती है।
- मसाज के बाद कुछ देर आराम जरूर करें और तुरंत ही तेज धूप या तेज हवा में निकलें। अगर ऐसा करना ही पड़े तो शरीर पर पहले सनस्क्रीन लोशन वगैरह ज़रूर लगा लें।
- पानी ज्यादा से ज्यादा पिएं, जिससे मसाज से निकलने वाले विषैले तत्त्व तेज़ी से शरीर से बाहर निकल सकें।
(साभार – साधना पथ)
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