ठंड का मतलब सिर्फ हवाओं में ठंडक और अपने गर्म कंबल बाहर निकालना ही नहीं होता,बल्कि इसके लिए खुद को पूरी तरह से तैयार करना भी होता है क्योंकि ठंड अपने साथ कई तरह की बिमारियों का खतरा भी लेकर आती है,जो आपके अथवा आपके बच्चे की परेशानी का सबब बन सकती है। इसलिए,इससे पहले कि बीमारी आपके दरवाजे तक पहुंचे,इससे पहले यह समझ लेना बेहद जरूरी है कि टॉन्सिल,गंभीर इयर इंफेक्शन अथवा ब्रोंकाइटिस से कैसे निपटें जोकि ठंड में काफी अधिक प्रभावी हो जाते हैं।

टॉन्सिल्स
मुंह के पिछले हिस्से में स्थित अंडाकार पैडेड टिश्यु टॉन्सिल्स कहलाते हैं और इनमें होने वाला इंफ्लेमेशन टॉन्सिलाइटिस कहलाता है। फिल्टर की तरह काम करने वाले टॉन्सिल्स इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को हमारी सांस नली में प्रवेश करने से रोकते हैं। बैक्टेरिया अथवा वायरल संक्रमण से होने वाले इंफेक्शन में गले में खरास,बुखार और कुछ निगलने में कठिनाई जैसे लक्षण सामने आते हैं।
क्या करें
यह समस्या बच्चों में बहुत आम होती है और कुछ उपाय इसमें काफी फायदेमंद साबित होते हैं। गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करने से आराम मिल सकता है। अगर स्थिति और गम्भीर होती है तो डॉक्टर से परामर्श लें ।

एक्यूट इयर इंफेक्शन
5साल से कम उम्र के बच्चों में कोल्ड,इयर इंफेक्शन सबसे आम होता है। ओटाइटिस मीडिया के नाम से जाना जाने वाला इयर इंफेक्शन कान के बीच वाले हिस्से में होता है और इसके लिए इंफ्लेमेशन जिम्मेदार होता है। बड़ों की तुलना में बच्चों का युस्टेचियन ट्यूब पतला होता है। यह ट्यूब गले के पिछले हिस्से कान के मध्य भाग को जोड़ता है,यही कारण है कि कोल्ड के बैक्टीरिया की वजह से कान के ट्यूब में भी सूजन हो जाती है। इसके लक्षणों में अकारण बुखार,सोने में परेशानी,भूख कम लगना अथवा कान से तरल बाहर आना आदि शामिल है।
क्या करें
ऐसी स्थिति में जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। बच्चे की उम्र के हिसाब से डॉक्टर उसके लिए इलाज का कोर्स डिजाइन करते हैं। भरपूर साफ-सफाई अपनाकर चलने से कोल्ड होने का खतरा कम किया जा सकता है। यद्यपि,बैक्टीरिया अपने पनपने का जरिया ढूंढ ही लेते हैं। ऐसे में बेहतर है कि बच्चों को कोल्ड के असर से बचाने के लिए घर के अंदर रखें और उनके भरपूर हाइड्रेशन का ख्याल रखें ।

ब्रोंकाइटिस
फेफड़ों में स्थित ब्रीदिंग ट्यूब में संक्रमण को ब्रोंकाइटिस के नाम से जानते हैं। वायरल संक्रमण की वजह से होने वाली इस समस्या के लक्षण कोल्ड के बाद ही आने शुरू होते हैं। इसके अन्य कारणों में एलर्जिक अथवा डस्ट और कुछ मामलों में अस्थमा शामिल होता है। शुरुआत में,सूखी खांसी हो सकती है जो आगे चलकर पीले-हरे बलगम वाली खांसी में बदल जाती है। इसकी वजह से नाक का रास्ता ब्लॉक हो जाता है और सांस लेने में तकलीफ होती है।
क्या करें
मदरहुड हॉस्पिटल,नोयडाकी कंसल्टेंट पीडियाट्रिक्स एवम नियोनेटोलॉजी,डॉ.अनुभव पटेल कहती हैं कि आमतौर पर स्थिति अपने आप बेहतर होने लगती है,लेकिन राहत के लिए कुछ घरेलू उपाय भी कारगर साबित हो सकते हैं। बहुत सारा गर्म तरल पदार्थ लें। ऐसा करने से गले को आराम मिलता है,इससे कफ बाहर आएगा और प्राकृतिक तरीके से गला साफ होगा। दादी मां के कारगर नुस्खों में से एक अदरक-शहद का मिक्स बेहद प्रभावी होता है। इसे गर्म पानी के साथ अथवा चाय के रूप में लिया जा सकता है। इन उपायों के अलावा,भाप लेने और सोने से पहले वॉर्म कम्प्रेशम से छाती में रुकावट कम हो सकती है। खांसी और बुखार की दवा लेने से भी राहत मिल सकती है।
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