मौसम में बदलाव लगातार जारी है। इसी बदलते मौसम में लोगों को सबसे ज्यादा गले में दर्द की शिकायत होती है। जिससे निजात पाने के लिए लोग अपने आप से ही उपचार करने लगते हैं। लेकिन गले में दर्द संक्रमण की वजह से होता है। जिसमें डॉक्टरी सलाह सबसे ज्यादा जरूरी होती है। कई लोगों में गले की दर्द शिकायत होती है। ये शिकायत टॉन्सिल्स के शुरूआती लक्षण होते हैं। अगर समय से इसका सही इलाज नहीं किया गया तो, बुखार तक होने की संभावना बढ़ जाती है।

क्या है टॉन्सिल्स (Tonsilitis)- 

हमारे गले के पिछले भाग के दोनों हिस्से टॉन्सिल्स कहलाते हैं। जब हमारा गला किसी तरह के इन्फेक्शन के संपर्क में आता है तो, इस हिस्से में सूजन आने लगती है। जिसके बाद भीषण दर्द होता है और कुछ भी खाने पीने और निगलने में कठिनाई होती है। हमें इन्फेक्शन हुआ है या नहीं, इसका पता इसके रंग से लगाया जा सकता है। जो सुर्ख लाल रंग का दिखता है और इसमें सफेद स्पॉट भी नजर आता है। अगर आपको टॉन्सिल्स है तो, समझ जाइए कि आपका शरीर अब संक्रमण की चपेट में है।तीन प्रकार हैं:

कम गंभीर(एक्यूट) टॉन्सिल्स (Acute)

ये लक्षण आमतौर पर 3 या 4 दिनों तक चलते हैं लेकिन 2 सप्ताह तक रह सकते हैं।

बार बार होने वाले (रिकरन्ट) टॉन्सिल्स (recurrent)

यह तब होता है जब आपको साल में कई बार टॉन्सिल्स हो जाता है।

गंभीर (क्रोनिक) टॉन्सिल्स (Chronic)

यह तब होता है जब आपको लंबे समय तक टॉन्सिल का संक्रमण होता है।

क्या हैं टॉन्सिल्स के लक्षण (Common Symptoms)

टॉन्सिल्स से जुड़े लक्षणों की बात करें तो, इसमें गले में सूजन हो जाती है। कभी कभी ये इतना गम्भीर हो जाता है कि सांस लेना भी कठिन हो जाता है। इसके अलावा क्या और लक्षण हैं आइये जानते हैं।

• गले में तेज दर्द होना।

• बुखार आना।

• टॉन्सिल्स का सुर्ख लाल होना।

• गले में काफी दर्द और छाले हो जाना।

• भूख ना लगना और सिर में दर्द होना।

• सांस में बदबू और कान में दर्द।

बच्चों में टॉन्सिल्स के लक्षण (Symptoms)

बड़ों के मुकाबले बच्चों टॉन्सिल्स के लक्षण काफी अलग होते हैं। ये लक्षण क्या हैं, चलिए जान लेते हैं।

• पेट खराब होना।

• बार-बात उलटी करना।

• पेट में दर्द बढना।

• खाने को निगलने में परेशानी होना।

क्या है वजह और जोखिम (Risk)-

वायरस और संक्रमण टॉन्सिल्स के कारण बनते हैं। एक सामान्य कारण स्ट्रेप्टोकोकस (स्ट्रेप) बैक्टीरिया है, जो गले के संक्रमण का कारण भी बन सकता है। अन्य सामान्य कारणों में शामिल हैं:

  • एडिनोवायरस(Adenoviruses)

  • इन्फ्लूएंजा वायरस(Influenza virus)

  • एपस्टीन बार वायरस (Epstein-Barr virus)

  • पैराइन्फ्लुएंजा वायरस(Parainfluenza viruses)

  • एंटरोवायरस(Enteroviruses)

  • दाद सिंप्लेक्स विषाणु(Herpes Simplex Virus)

इसमें कई तरह के वायरस होते हैंजो समान्य कारणों में शामिल है। बात अगर इससे जुड़े जोखिम की करें तो बड़े की तुलना में बच्चों को टॉन्सिल्स सबसे ज्यादा होता है। शोध के मुताबिक 5 से लगभग 15 साल की उम्र तक के बच्चों को संक्रमण फैलने की सबसे ज्यादा सम्भावना होती है। साथ ही बुजुर्गों में भी टॉन्सिल्स का खतरा ज्यादा होता है।

कैसे हो टॉन्सिल्स का निदान (Treatment)-

आपको अपने टॉन्सिलिटिस के कारण का पता लगाने के लिए परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है।जब भी आपको अपने गले में दर्द और भारी पन महसूस हो तो, बिना देर किया किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाएं।

रूई की बत्ती से गले की जांच (Swab)

आपका डॉक्टर स्ट्रेप बैक्टीरिया के लिए आपके गले से लार और कोशिकाओं का परीक्षण करेगा। वे आपके गले में अंदर की ओर रूई की बत्ती घुमाना थोड़ा असहज हो सकता है। लेकिन चोट नहीं पहुंचाएगा। परिणाम आमतौर पर 10 या 15 मिनट में तैयार हो जाते हैं।

ब्लड टेस्ट (Blood Test)

 à¤†à¤ªà¤•े चिकित्सक आपको ब्लड सेल काउंट टेस्ट करवाने के लिए बोल सकते हैं। जिसमें वह ब्लड सेल के अधिक या कम नंबर को देखकर पता लगाएंगे कि क्या वायरस या बैक्टीरिया की वजह से हो रही है समस्या।

लाल चकत्ते (Rashes)

आपका डॉक्टर स्कार्लेटिना की जाँच करेगा। जो कि गले में संक्रमण से दाने और लाली पैदा करते हैं।

टॉन्सिल और स्ट्रेप इनफेक्शन (Strep Infection)

अगर आपको स्ट्राइप बैक्टीरिया इंफेक्शन है और आपने इसका इलाज नहीं कराया तो आप की बीमारी आपके लिए घातक साबित हो सकते हैं जिसकी वजह से

रूमेटिक फीवर(Rheumatic fever)

स्कारलेट फीवर (Scarlet fever)या

साइनोसाइटिस (Sinusitis)अथवा

किडनी इन्फेक्शन जिससे कि ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस कहा जाता है हो सकता है।

मेडिकेशन (Medication)

आपका डॉक्टर सबसे पहले आपके टॉन्सिल की स्थिति को देखेगा और आपकी शारीर के साथ बुखार की भी जांच करेगा। आपको ब्लड जांच भी करवानी पड़ सकती है। जिसके बाद डॉक्टरी उपचार के बाद आप टॉन्सिल्स का निदान कर सकते हैं। आपके डॉक्टर आपको इंजेक्शन या दवाई देंगे। आपको दो से तीन तीन ठीक होने के लिए लगेंगे। लेकिन सबसे जरूरी यह है कि डॉक्टर आपको जो भी सलाह दे रहे हैं आप उसे फॉलो करें।

घरेलू उपचार भी आएगा काम (Remedies)

अगर आप टॉन्सिल्स से ग्रसित हैं और एंटीबायोटिक्स भी आपकी मदद नहीं कर रहे तो आप घरेलू उपचार भी आजमा सकते हैं। जिसकी मदद से आप अपने शरीर को टॉन्सिल्स से लड़ने के लिए तैयार कर सकते हैं।

• काम के साथ ढेर सारा आराम करें।

• गले में दर्द से राहत पाने के लिए गर्म पानी पिएं।

• ऑयली फ़ूड के साथ ठंडी चीजों का सेवन न करें।

• आप अपने कमरे में ह्यूमिडिफ़ायर का इस्तेमाल करें।

• गर्म पानी से गरारे करें।

आसान होगी रिकवरी (recovery)-

टॉन्सिल्स को लेकर आपने सजगता से इलाज कर लिया तो, इससे रिकवर होना भी आसान हो जाता है। लेकिन इसमें आपको किसी भी अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं है। ये सही होने में ज्यादा समय नहीं लेता। टॉन्सिल्स की रिकवरी आमतौर पर 8 से 10 दिन के बीच में हो जाती है। लेकिन उसके बाद आपको गले के साथ, कान और जबड़ों में कुछ समय तक दर्द रह सकता है। जो दवाओं के साथ धीरे-धीरे सही हो सकता है।

टॉन्सिल्स की रोकथाम तभी हो सकेगी जब आप अपने आसपास साफ़ सफाई रखेंगे। आप अपने हाथों को बार-बार हाथों को अच्छे से धोएं। आप अपने खाने के बर्तन और पेय के बर्तनों के साथ टूथ ब्रश को किसी से भी साझा न करें। साथ ही आप इनफेक्टेड व्यक्ति से भी दूरी बनाकर रखें, जिसे गले में खराश और टॉन्सिल्स की समस्या हो।

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