Smriti Irani Children: ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ भारतीय टेलीविजन के इतिहास के सबसे लोकप्रिय और प्रतिष्ठित धारावाहिकों में से एक है। इस शो में सविता वीरानी का यादगार किरदार निभाने वाली अभिनेत्री अपरा मेहता ने हाल ही में अपने सह-कलाकारों के साथ अपने गहरे बंधन और सेट पर बिताए गए पलों को याद किया है। उन्होंने विशेष रूप से स्मृति ईरानी और उनके बच्चों के जन्म के दौरान सेट पर मौजूद रहने की बात कही है।
सेट पर एक परिवार की तरह रिश्ता
अपरा मेहता ने बताया कि ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ के सेट पर सभी कलाकार और क्रू एक परिवार की तरह रहते थे। उन्होंने कहा कि आमतौर पर अलग-अलग कमरों में रहने के बजाय, 15 महिला कलाकार एक ही कमरे में बैठती थीं, एक-दूसरे के करीब रहती थीं। वे एक-दूसरे के जीवन में इतनी शामिल थीं कि हर सुख-दुख में साथ रहती थीं।
उन्होंने साझा किया कि शो के कलाकार एक-दूसरे के इतने करीब थे कि वे किसी भी विषय पर बात कर सकते थे। उनके बीच कोई भी ऐसी बात नहीं थी जिस पर चर्चा न हुई हो। यह बंधन 25 सालों से चला आ रहा है और यह कोई मज़ाक नहीं है। वे ऐसे दोस्त हैं जो आधी रात में भी किसी की मदद के लिए तैयार रहते हैं।
स्मृति ईरानी के बच्चों का जन्म और सेट पर वापसी
अपरा मेहता ने स्मृति ईरानी के साथ अपने गहरे संबंध का खुलासा करते हुए बताया कि स्मृति के दोनों बच्चों का जन्म उनकी आंखों के सामने हुआ। उन्होंने कहा, “स्मृति के दोनों बच्चों का जन्म हम सबके सामने हुआ।”
उन्होंने यह भी बताया कि स्मृति ईरानी अपने बच्चों के जन्म से एक दिन पहले तक शूटिंग करती थीं और जन्म के चौथे दिन ही काम पर लौट आती थीं। यह दर्शाता है कि उस समय टेलीविजन इंडस्ट्री में काम करने के लिए कितना समर्पण और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती थी।
‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ 2 की वापसी
इन दिनों ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ के दूसरे सीज़न की वापसी की खबरें भी चर्चा में हैं। बताया जा रहा है कि यह शो एक नए अंदाज में वापसी कर रहा है और स्मृति ईरानी व अमर उपाध्याय एक बार फिर अपने प्रतिष्ठित किरदार ‘तुलसी’ और ‘मिहिर’ के रूप में नजर आ सकते हैं। अपरा मेहता ने भी इस खबर पर अपनी खुशी जाहिर की है और इसे शो को श्रद्धांजलि देने का सबसे अच्छा तरीका बताया है। उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि यह शो 25 साल पूरे होने पर वापस आ रहा है, हालांकि उनका किरदार सविता वीरानी मूल शो में मर चुका था।
यह सब यादें और नई खबरें उन दिनों की याद दिलाती हैं जब ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ भारतीय परिवारों का एक अभिन्न अंग था।
