Summary: राजेश का शो में आना होता बड़ा आश्चर्य
वे भारतीय सिनेमा के पहले असली “सुपरस्टार” थे। वो सितारा थे जिसकी एक झलक देखने लोग थिएटरों के बाहर उमड़ पड़ते थे। वो बिग बॉस में आते तो कमाल हो जाता...
Rajesh Khanna Bigg Boss Offer: आज जब सलमान ख़ान का बिग बॉस 19 दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं, ऐसे में एक पुरानी याद फिर ताजा हो गई। बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना से जुड़ी यह याद उनके ज़माने की नफ़ासत, ज़ुबान की नजाकत और मज़ेदार ठसक को बखूबी दिखाती है। कई साल पहले की बात है जब रियलिटी टीवी का दौर उतना बड़ा नहीं हुआ था। उस वक्त खबर आई थी कि राजेश खन्ना को बिग बॉस का हिस्सा बनने के लिए प्रति एपिसोड 3.5 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया है। यह खुलासा उनकी करीबी रहीं अनीता अडवाणी ने किया था, जिन्होंने बाद में दावा किया था कि वे दोनों “प्राइवेटली शादीशुदा” थे।
मिड-डे को दिए एक पुराने इंटरव्यू में अनीता ने बताया, “उन्हें बहुत बड़ी रकम ऑफर की जा रही थी। शो की टीम उन्हें मनाने दिल्ली तक गई थी। वो सोच रहे थे कि करें या नहीं।” अनीता कहती हैं कि एक रात राजेश खन्ना ने उन्हें चौंका दिया। उन्होंने कहा, “अगर मैं बिग बॉस में जाऊं, तो शायद मैं एक बेहतर इंसान बन जाऊं।” अनीता बताती हैं, “मैं तो हैरान रह गई! मैंने कहा- ‘नहीं काका जी, आपकी तो अपनी अलग शख्सियत है, आप वहां सूट नहीं करेंगे। वहां तो लोग बर्तन भी मांजते हैं।’”
फिर राजेश खन्ना ने मुस्कुराते हुए अपनी मशहूर लाइन कही – “अच्छा, मुझसे भी मंजवाएँगे?” अनीता ने जवाब दिया, “हां… और खाना भी ठीक से नहीं मिलता।” इस पर काका हंसते हुए बोले – “क्या हम वहां शरणार्थी हैं?” यह मज़ाकिया बातचीत पूरी तरह राजेश खन्ना के अंदाज में थी। बुद्धिमत्ता, आत्म-जागरूकता और अपने ही नाम पर हंसने का सलीका… उनका खूब आता था। एक ऐसा इंसान जो शोहरत के शिखर पर पहुंच चुका था, टीआरपी के लिए घर में बंद रहना शायद इसकी सोच से परे था।
अनीता की है सलमान के परिवार की करीबी

कई साल बाद, राजेश खन्ना के निधन के बाद, अनीता अडवाणी ने बिग बॉस सीजन 7 में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा, “मैंने बहुत कुछ कहा था, लेकिन ज़्यादातर हिस्सा एडिट कर दिया गया।” जब उनसे पूछा गया कि क्या वे सलमान खान के करीब हैं तो उन्होंने कहा, “सलमान का परिवार मेरे परिवार जैसा है, मैं अब भी उनसे मिलती रहती हूं।”
उनकी विरासत अनछुई है…
राजेश खन्ना का निधन 18 जुलाई 2012 को हुआ। वे भारतीय सिनेमा के पहले असली “सुपरस्टार” थे। वो सितारा थे जिसकी एक झलक देखने लोग थिएटरों के बाहर उमड़ पड़ते थे। उनकी 150 से अधिक फिल्मों में आनंद, अराधना, अमर प्रेम, कटी पतंग और हाथी मेरे साथी जैसी क्लासिक फिल्में शामिल हैं। उन्होंने जो विरासत छोड़ी, उसे आज तक कोई पूरी तरह नहीं छू पाया। उनका अमर डायलॉग, “बाबू मोशाय, ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं।” आज भी यही याद दिलाता है कि ज़िंदगी की असली खूबसूरती उसके मायने में है, उसकी लंबाई में नहीं।
