Overview: "मैं पार्ट टाइम एक्टर हूं": स्मृति ईरानी
स्मृति ईरानी ने बताया कि वो "पार्ट टाइम एक्टर" और "फुल टाइम पॉलिटिशियन" हैं। उन्होंने कहा कि वो अभिनय और राजनीति दोनों को साथ निभाने में सहज हैं, भले ही कुछ लोगों को यह अजीब लगे। 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में वापसी के दौरान उन्होंने अपने इस संतुलन पर बात की।
Smriti Irani Reveals I Am a Part Time Actor: पूर्व केंद्रीय मंत्री और टीवी की जानी-मानी अभिनेत्री स्मृति ईरानी ने हाल ही में बताया है कि वो अपने अभिनय और राजनीतिक करियर को कैसे संभालती हैं। उन्होंने खुद को एक “फुल टाइम राजनेता और पार्ट टाइम एक्टर” बताया है।
अभिनय में वापसी और दोहरी पहचान
स्मृति ईरानी जल्द ही अपने मशहूर सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी‘ के दूसरे सीज़न में ‘तुलसी वीरानी’ के रूप में वापसी कर रही हैं। इसी सिलसिले में एक बातचीत में उन्होंने अपने करियर के इस संतुलन पर बात की:
दो अलग-अलग रोल: स्मृति ने साफ किया कि अब उनकी मुख्य पहचान एक राजनेता के तौर पर है और अभिनय उनके लिए एक तरह का “साइड प्रोजेक्ट” है। उन्होंने कहा, “मैं खुद को पूरी तरह से राजनेता मानती हूं और एक्टिंग मेरे लिए पार्ट टाइम का काम है। जैसे कई नेता कभी-कभी वकील, टीचर या पत्रकार भी होते हैं, वैसे ही मैं भी पार्ट टाइम एक्ट्रेस हूं।”
दोनों जिम्मेदारियों को निभाना: उन्होंने बताया कि उन्हें ये दोनों काम एक साथ करने में कोई मुश्किल नहीं आती, भले ही कुछ लोगों को ये थोड़ा अटपटा लगे। उनका ये बयान दिखाता है कि वो अपने दोनों क्षेत्रों को कितनी गंभीरता से लेती हैं।
‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ का महत्व
स्मृति ईरानी के लिए ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी‘ सिर्फ एक सीरियल नहीं, बल्कि उनके जीवन का एक बड़ा और अहम हिस्सा रहा है:
गंभीर मुद्दों पर चर्चा: स्मृति ने बताया कि 25 साल पहले भी यह सीरियल वैवाहिक बलात्कार (marital rape), इच्छामृत्यु और वयस्क शिक्षा (adult literacy) जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दों पर बात करता था, जबकि उस समय फिल्मों में भी इन विषयों पर ज्यादा चर्चा नहीं होती थी।
हर घर की कहानी: उन्होंने कहा कि यह सीरियल केवल एक टीवी शो नहीं था, बल्कि करोड़ों घरों की कहानी बन गया था और इसने लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई थी।
अभिनय से राजनीति तक का सफर
स्मृति ईरानी का सफर एक जानी-मानी अभिनेत्री से एक मजबूत राजनेता बनने तक का रहा है:
शुरुआत में संघर्ष: स्मृति ईरानी ने अपने करियर की शुरुआत में काफी संघर्ष देखा। उन्होंने एक समय में मैकडॉनल्ड्स में ₹1800 महीने की तनख्वाह पर भी काम किया।
टीवी की दुनिया में पहचान: ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी‘ में ‘तुलसी वीरानी’ के किरदार ने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया और वो टीवी की सबसे चहेती अभिनेत्रियों में से एक बन गईं।
राजनीति में कदम
2003 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जॉइन की और धीरे-धीरे राजनीति में अपनी जगह बनाई। उन्होंने केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले, जिनमें मानव संसाधन विकास, कपड़ा, सूचना एवं प्रसारण, महिला एवं बाल विकास और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय शामिल हैं।
अमेठी में ऐतिहासिक जीत: 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने राहुल गांधी जैसे कद्दावर नेता को अमेठी सीट से हराकर एक बड़ी जीत दर्ज की, जिसने उनकी राजनीतिक ताकत को और बढ़ा दिया।
2024 में हार: हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें अमेठी से कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा से हार का सामना करना पड़ा।
स्मृति ईरानी का ये नज़रिया दिखाता है कि वो अपनी दोनों पहचानों – एक अदाकारा और एक राजनेता – को कितना महत्व देती हैं और उन्हें एक साथ संतुलन में रखने में विश्वास रखती हैं।
