Female Director: बॉलीवुड में अभी भी एक्ट्रेस को एक्टर के बराबर शाइनिंग अमाउंट नहीं मिलता। ऐसे में किसी महिला फिल्म डायरेक्टर को बॉलीवुड में फिल्म करने में किन दिक्कतों का सामना करना होता होगा, इनका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता। इस कारण ही तो हिंदी सिनेमा में लंबे समय तक पुरूष डायरेक्टर्स का वर्चस्व रहा है। अगर बात सत्तर और अस्सी के दशक की जाए तो उस समय गिनती की ही महिला डायरेक्टर थीं जिसमें सिमी ग्रेवाल, सई परांजपे और अरुणा ही शामिल रही हैं।
लेकिन धीरे-धीरे समाज बदल रहा और 100 सालों के भीतर बॉलीवुड में भी काफी ट्रेंड बदला। अब यहां महिला निर्देशक भी काम कर रही हैं जिनमें से कुछ ने तो सफलता के झंडे भी गाड़े हैं। एकता कपूर को तो पद्मश्री अवॉर्ड भी मिल गया है। इसकी शुरुआत फातिमा बेगम, शोभना समर्थ, जद्दनबाई, टीपी राजालक्ष्मी ऐसी निर्देशकों ने की। इन्होंने बॉलीवुड के उस दौर में फिल्मों को डायरेक्ट किया था जब महिलाओं का फिल्मों की दुनिया में कदम रखना भी खराब माना जाता था। अब इस कमान को संभाला है एकता कपूर, जोया अख्तर, फरहान खान, कोंकणा सेन और नंदिता दास जैसी डायरेक्टर्स ने।
एकता कपूर

सफल महिला डायरेक्टर की लिस्ट की शुरुआत अगर एकता कपूर से नहीं की गई तो लिस्ट बन ही नहीं सकती। अब तक की सबसे सफल फिल्म डायरेक्टर जिन्होंने ये साबित किया कि डायरेक्शन के लिए महिला-पुरुष होना मायने नहीं रखता। बल्कि यह मायने रखता है कि आपमें कितनी क्रिएटिविटी और टैलेंट है।
इन्हें टीवी इंडस्ट्री की क्वीन भी कहा जाता है। कई सारी सफल सीरियल्स डायरेक्ट करने के बाद इन्होंने फिल्मों को डायरेक्ट करना शुरू किया जिसमें रागिनी एमएमएस, द डर्टी पिक्चर, ड्रीम गर्ल, लैला मजनू जैसी कई सारी फिल्में शामिल हैं। द डर्टी पिक्चर ने तो विद्या बालन का करियर बॉलीवुड में स्थापित किया है। इनके अलावा और कई सारे एक्टर्स को भी एकता कपूर ने मौका दिया है जिनमें अंकिता लोखंडे, स्वर्गीय सुशांत सिंह राजपूत, अनिता हंसदानी, साक्षी तंवर आदि शामिल हैं। डायरेक्टर एकता कपूर के टैलेंट का लोहा मानते हुए ही इस साल इन्हें पद्मश्री अवॉर्ड भी प्रदान किया गया है जो देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। एकता कपूर प्रोड्यूशर और सफल बिजनेसवूमेन है। इसके साथ ही एकता सिंगल मदर भी है। एकता सेरोगेसी के जरिये मां बनी है और जब वह मां बनी थीं तो इस पर काफी चर्चा भी हुई थी। एकता की इन्हीं सारे फैसलों की वजह से कहा जाता है कि वह जो करती हैं अलग करती हैं और बेस्ट करती हैं, इसलिए एकता कपूर मतलब सफलता की गारंटी।
जोया अख्तर

‘गली ब्वॉय’ 2019 की सबसे सुपरहिट फिल्म थी जिसने ऑस्कर में एंट्री पाई थी। इसे डायरेक्ट किया था द ग्रेट जोया अख्तर ने।
जोया ऐसी फिल्म डायरेक्ट है जो सक्सेसफुल फिल्मों का दूसरा नाम मानी जाती है। दिल चाहता है, हनीमून ट्रेव्लस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा… आदि कई सुपरहिट फिल्में हैं जिसे जोया ने डायरेक्ट किया है। इसलिए बड़े स्टार्स इनके साथ काम करने के लिए बिना स्क्रिप्ट पढ़े ही हां बोल देते हैं। इनकी फिल्मों की खासियत है कि इनकी फिल्में पूरी तरह से कमर्शियल होती है और कई सारे सब्जेक्ट्स को लेकर चलती है। जैसे ‘दिल चाहता है’ में तीन मौज मस्ती करने वाले युवाओं की कहानी थी जिनके इंटरेस्ट अलग होते हुए भी पक्के दोस्त थे। इसी तरह से ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ ने युवाओं को सिखाया कि यह जिंदगी अभी है इसे अभी जिएं। बाद की चिंता ना करें
वहीं ‘गली ब्वॉय’ ने तो सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए। इसने कई सारे फिल्मफेयर और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते।
अब जोया ने ‘मेड इन हेवेन’ शो से ओटीटी प्लेटफॉर्म में कदम रखा है। इनके साथ इस प्रोजेक्ट में रीमा कागती, नित्या मेहरा और अलंकृता श्रीवास्तव जैसी बड़ी और टैलेंटेड फिल्म मेकर भी जुड़ी हैं। ‘मेड इन हेवेन’ शो शादी के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करेंगी।
फराह खान

‘मैं हूं ना’… से फिल्म डायरेक्शन के क्षेत्र में कदम रखा। इससे पहले ये बॉलीवुड में कोरियोग्राफर थीं और इसी से इन्होंने अपनी पहचान बनाई। इनके कोरियोग्राफ किए गए गाने काफी सफल हुए हैं। लेकिन फिर बाद में इन्होंने शाहरुख खान को मुख्य भूमिका में लेकर ‘मैं हूं ना’ डायरेक्ट की जब उस साल की सबसे सफल फिल्म थी। जिसके बाद इन्होंने शाहरुख के ही साथ ‘ओम शांति ओम’ बनाई। यह भी उस साल की सबसे सफल फिल्म थी और इसने दीपिका पोदुकोण जैसी सफल और सुंदर ऐक्ट्रेस की खोज की। इस दो फिल्मों ने फराह खान को सफल डायरेक्ट में शामिल कर दिया।
मेघना गुलजार

जब भी मेघना गुलजार का नाम लिया जाता है तो सबसे पहले ‘राजी’ फिल्म जुबान पर आती है। मेघना, गुलजार और राखी की बेटी है और इनकी कोशिश होती है कि इनकी हर फिल्म से इनके माता-पिता का नाम रौशन हो। ये कहती भी हैं- ‘मेरी मां ने निजी और प्रोफेशनल जिंदगी बहुत ही गरिमा से जी है। मैं भी रोजाना यही कोशिश करती हूं। ‘ 2020 में इनकी फिल्म छपाक आई थी जिसे क्रिटिक्स की काफी वाहवाही मिली थी। इसे तो अब एसिड विक्टिम्स की फाइल डॉक्यूमेंट्री में भी जगह मिल गई है जो लोगों को एसिड अटैक के बारे में जागरूक करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इनकी फिल्म ‘तलवार’ भी मशहूर हत्यकांड की सच्ची घटना पर आधारित थी।
नंदिता दास

अंत में बात करते हैं नंदिता दास की जिनकी डायरेक्ट की हुई अब तक की लास्ट फिल्म ‘मंटो’ है जिसे क्रिटिक्स ने काफी सराहा था और कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते थे। नंदिता ऐसी डायरेक्टर है जिन्होंने एक्टिंग के बाद इस क्षेत्र में कदम रखा। इनकी फिल्मों की खासियत है कि ये केवल आर्ट मूवी बनाती हैं।
नंदिता शुरू से ही पढ़ाई में तेज रही हैं और उन्हें पेंटिंग का शौक है। कॉलेज के दौरान ही इन्होंने नुक्कड़ नाटक कर एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा। आज नंदिता दास की गिनती उन अभिनेत्रियों में होती हैं, जिन्होंने अपनी एक्टिंग के दम पर लोहा मनवाया है। इन्होंने अब तक 10 अलग-अलग भाषाओं (हिन्दी, अंग्रेजी, उडिया, मलयालम, तमिल, तेलुगू, बंगाली, उर्दू, कन्नड और मराठी) में फिल्में की हैं। नंदिता ने हमेशा लीक से हटकर फिल्में कीं।
कई फिल्म करने के बाद नंदिता ने डायरेक्शन के क्षेत्र में कदम रखा। कारण अपने पसंद की मूवी नहीं मिलना था। जिस वक्त नंदिता ने डायरेक्टर के क्षेत्र में कदम रखा, उस वक्त बॉलीवुड में महिला डायरेक्टर अपवाद थीं जो किसी ना किसी फिल्मी डायरेक्टर बैकग्राउंड से जुड़ी हुईं थीं। ऐसे में डायरेक्शन के क्षेत्र में नंदिता को काम करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सबसे पहली मुश्किलें तो बड़े स्टार को साइन करने में हुईं। जल्दी कोई स्टार इनके साथ काम करने के लिए तैयार नहीं होते। क्योंकि वो हमेशा आर्ट मूवी या विषय आधारित मूवी ही बनातीं थीं। ऐसे में कोई स्टार रिस्क लेने के लिए तैयार नहीं होता। इस कारण नंदिता ने लो बजट एक्टर्स के साथ फिल्में बनाना शुरू कीं। इन फिल्मों में शुमार है- मंटो, फिराक, लिसन टू हर।
कई भाषाओं में फिल्में कर चुकी नंदिता साल 2014 में येल वर्ल्ड फैलो रह चुकी हैं।