मौनी राय 

आजकल ‘नागिन 2’ में एक बार फिर नागिन के किरदार में व्यस्त हुई मौनी रॉय बताती हैं, “मुझे बचपन से ही दीवाली का बड़ा क्रेज रहा है। मेरी कोशिश रहती है कि दीवाली के समय या तो मेरे पैरेंटस मेरे पास आ जाए या मैं उनके पास चली जाऊं। दीवाली पर मुझे घर सजाना, अपने दोस्तों को गिफ्ट देना, माॅं के हाथ की मिठाइयां खाना, फुलझड़ियां और अनार छोड़ना तथा सज-संवरकर परिवार के साथ शहर की रौनक देखने जाना व दोस्तों के साथ एंजॉय करना बहुत पसंद है।”

 

 

 

 

 

 

इस साल अपने दीवाली प्लान्स के बारे में बात करते हुए मौनी बताती हैं, “मैं खूब धमाल मचाने वाली हूं दीपावली पर।”

दिव्यांका त्रिपाठी दहिया

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 हाल ही में शादी के गठबंधन में बंधी दिव्यांका बताती हैं, “चूंकि शादी के बाद यह मेरी पहली दीपावली है, तो एक नई-नवेली दुल्हन की तरह इसे मनाने का मेरा उत्साह भी चरम पर है। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि दीपावली के समय मैं विवेक के साथ मुंबई में रहूंगी या चंडीगढ़ अपने ससुराल में दीपावली मनाऊंगी। मुझे दीपावली परंपरागत तरीके से ही मनाना पसंद है, रंगोली, फ्लावर डेकोरेशन, घर की सजावट, परिवार के सभी सदस्यों के साथ बैठकर लक्ष्मी-गणेश पूजन, शगुन के तौर पर थोड़ी-सी अातिशबाजी और घर की बनी मिठाइयां ।”

अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो से मशहूर हुई  राजपूत राजपूत कहती हैं कि  “दीपावली मेरा फेवरेट त्योहार है। चूंकि इस समय टीवी पर मेरा शो ‘जय संतोषी मां ‘ चल रहा है,  तो इस बार मैं दीपावली पर अपने घर नहीं जा पाऊंगी, इसलिए मैंने अपनी सिस्टर और कजिन सिस्टर को मुम्बई ही बुला लिया है ताकि हम सब मिलकर खूब मस्ती कर सकें। दीपावली का मतलब ही है खूब सारी शाॅपिंग, मस्ती, त्योहार की धूम धड़ाम, मिठाइयां, उपहार, पटाखों की गूंज।”

इनके अलावा टीवी की दुनिया में अपनी पहचान बना चुके कई दूसरे कलाकार भी दीवाली पूरे उत्साह से मनाते हैं जैसे ‘सावधान इंडिया’ से जुड़े अभिनेता अजय आर्या। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 अजय कहते हैं, “दीपावली के पहले हम अपने फ्लैट की साफ़- सफाई करते हैं। मैं इसदिन शूटिंग नहीं करता। शाम को लक्ष्मी- गणेश की पूजा करने के बाद मैं विशेष तौर पर हमारे एरिया में रहने वाले गरीब बच्चों को मिठाइयां बांटने जाता हूं ताकि वो भी त्यौहार की थोड़ी खुशियां मना सके।फिर घर पर आनेवाले मेहमानों और दोस्तों से मिलता हूं। मेट्रो सिटी में त्यौहार के दिन ही ऐसे होते हैं, जब हम एक-दूसरे से मिल सकते हैं। वरना किसी के पास तो टाइम ही नहीं होता किसी से मिलने का। शगुन के नाम पर पटाखे और अनार जलाता हूँ बस। शोर- शराबे वाले पटाखे पसंद नहीं मुझे।”

गौतम ब्रज श्रीवास्तव

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अगर दीपावली के आसपास शूटिंग न हो तो मैं घर जाना पसंद करता हूं। मुझे घर को बिजली के बल्बों से लाइटिंग करना, मिट्टी के दीयों से रोशनी करना और अरोमा कैंडल जलाना पसंद है। इस बार कुछ अच्छे तरीके से मनाने की सोची है दीपावली बाकायदा पूजा-पाठ करके, दोस्तों के साथ गेट-टुुगेदर करके। मैं दीपावली की रात कार्ड जरूर खेलता हूॅं, लेकिन दोस्तों के साथ सिर्फ टाइम-पास करने के लिए । दीपावली पर मैने अपने घर के आस-पास रहने वाले गरीब बच्चों को मिठाइयां, चाॅकलेट और कपड़े देने की सोची है। मुझे शोर-शराबों वाले पटाखे नहीं पसंद, तो मैं पटाखें नहीं जलाता।

गगन गुप्ता
दीपावली 5 दिनों का त्यौहार है तो पहले दिन यानी धनतेरस के दिन हम गोल्ड, मेटल या सिल्वर का कोई सामान खरीदते हैं ताकि घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे। दीवाली के दिन सुबह से ही घर का माहौल खुशगवार रहता है,मेहमान आते-जाते रहते हैं। शाम को लक्ष्मी- गणेश की पूजा होती है, जहाँ हम घी के दिए जलाते हैं।बाकी हम पूरे घर को मिट्टी के दिए में सरसों के तेल से प्रकाशित करते हैं।नए कपड़े पहनते हैं, शगुन के लिए फुलझड़ियां जलाते हैं, अच्छा खाना खाते हैं।दीवाली पर मैं अधिकतर 250 ग्राम से 1 किलो तक की मिठाइयों के डब्बे बनवाता हूँ और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और उन गरीब लोगों को बांटता हूँ,जिनके लिए दीवाली का कोई मतलब नहीं होता।अनाथाश्रम में जाकर बांटने वाले कपड़े मैं अपनी बेटी के साथ सेल में जाकर खरीदता हूँ। रात में मैं सपरिवार मुम्बई की लाइटिंग देखने जाता हूँ। मड आइलैंड, गेटवे ऑफ़ इंडिया जाते हैं।शगुन के तौर पर कार्ड्स भी खेलता हूँ,ज्यादा नहीं 500-1000 तक।

 

 

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