श्रद्धा कपूर की एक और फिल्म बागी 3 बहुत जल्द ही यानी कि 6 मार्च को रिलीज़ होने वाली है। इसी फिल्म के सिलसिले में हमारे मुंबई ब्यूरो चीफ प्रवीन चंद्रा ने उनसे ख़ास बातचीत की, पेश हैं उस बातचीत के कुछ अंश –
“बागी 3′ को लेकर आप कितनी उत्साहित हैं?
“बागी 2′ के बाद दर्शकों की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं। जिस तरह का एक्शन “बागी 1′ में था, उससे बेहतरीन “2′ में हुआ, जबकि “बागी 3′ को लेकर प्रेशर और ज्यादा हो गया है। ट्रेलर को कमाल का रिस्पॉन्स मिला है, ऐसे में नवर्सनेस भी हो रही है। हमारी हमेशा ख्वाहिश होती है कि फ़िल्म रिलीज़ हो तो दर्शकों को लगे कि वे जितनी एक्सपेक्टेशन कर रहे थे, उससे ज्यादा देखने को मिला।
आपने टाइगर के साथ बागी में काम किया है| दोबारा बाग़ी 3 में काम करने का अनुभव कैसा रहा ?
मुझे लगता हैं, टाइगर को एकदम नॉर्मल , कूल रहने की आदत हैं। सच में, मैं उनके बारे में यह कहना चाहूंगी कि , जिस तरह मैंने उन्हें इस फिल्म में देखा है उनकी मेहनत देखी है। उनकी मेहनत मैंने पहले बागी में भी देखी थी, पर अगर इस फिल्म की बात करें तो जो यह मेहनत हमें बड़े परदे पर दिख रही है असल में भी उन्होंने उतनी ही मेहनत की हैं। माइनस डिग्री तापमान में बिना शर्ट के लाइव एक्शन करना। बतौर एक हीरो, आप उनका हार्ड वर्क देख सकते हैं। जहां पर लाईव एक्शन हो रहा हैं, कोई चीटिंग की गुंजाईश ही नहीं हैं। खुद सीन कर रहे हैं, मुझे नहीं लगता कोई और ऐसे करता होगा, या कर पाएगा । उनके इन एफर्ट के चलते जिस तरह का बदलाव वह ला रहे है, वह बहुत बड़ा है। जो मकाम उन्होंने बाहर सेट किया है, वो कुछ और ही हैं। उनका विज़न जिसे हम लार्जर देन लाइफ कह सकते हैं, उससे वह जिस तरह से वास्तव में करते हैं बड़े प्यार से करते हैं, सहजता से करते हैं। मैं सोचती हूँ, केवल मैं ही नहीं हर किसी को उनके साथ काम करना अच्छा लगता है। क्योंकि उनका व्यवहार हर किसी से बहुत ही शांत रहता है। वो मस्ती भी करते हैं, लेकिन उनका जो लक्ष्य है वह स्पष्ट रहता है।
फ़िल्म में आपका क्या कैरेक्टर है? ट्रेलर में गालियां देती हुई दिख रही हैं।
(हंसती हैं) कैरेक्टर तो बहुत मज़ेदार है। मैं गुस्सैल लड़की बनी हूं, जो मनचाहा ना होने पर गालियों की बौछार कर देती है। “छिछोरे’ के बाद इस तरह की मस्ती भरी फ़िल्म में काम करना मेरे लिए ज़रूरी हो गया था। “छिछोरे’ में मैं मां बनी थी। मां होने का अनुभव कैसा होता है, ये जानने के लिए मैंने कजिन सिस्टर देविका से कई बार बातचीत की। मुझे ये विचार ही डरा रहा था कि ऑनस्क्रीन बेटा जान देने की कोशिश करता है। ऐसे इंटेंस कैरेक्टर का कलाकार पर बहुत असर पड़ता है। मुझे उससे बाहर निकलना था। जब “बागी 3′ मिली तो मैंने सोचा कि भारी माहौल से अलग, कुछ मजा करते हैं। शुरुआत में गालियों का फ्लो पकड़ना मुश्किल था, लेकिन धीरे-धीरे सब सुलझ गया। इसका सारा क्रेडिट अहमद सर को जाता है।
वैसे, रियल लाइफ में पहली बार गाली कब दी थी?
काफी कम उम्र में! स्कूल में गाली सुनी और बाद में घर पर दोहरा दी। मम्मी ने पूछा कि कहां से सीखी तो सब सच-सच बता दिया।
आपने “साहो’ में एक्शन किया और “बागी’ भी इसी जॉनर की फ़िल्म है। क्या आगे वुमेन ओरिएंटेड एक्शन फ़िल्म करने वाली हैं?
“बागी’ में तो ज़ुबान से ही एक्शन कर रही हूं। वैसे, किसी लड़की का एक्शन करना अच्छा आइडिया है, बशर्ते ऐसी स्क्रिप्ट हो, जिसका असर पड़े। लड़कियां एक्शन करें तो ये एक तरह से वुमेन एंपावरमेंट ही है।
जब कभी आउटडोर शूटिंग के लिए जाती हैं तो घूमने-फिरने का मौका मिलता है?
हम सब सर्बिया गए थे, लेकिन कहीं घूमने नहीं जा सके, क्योंकि टेंपरेचर काफी कम था। ठंड के बीच पोज बनाना कितना मुश्किल होता है, मुझसे पूछिए। दर्शकों को “दस बहाने’ गाना ग्लैमरस लग रहा है, लेकिन मुझे बहुत मुश्किल हुई थी। “स्ट्रीट डांसर’ की शूटिंग के वक्त लंदन में भी ऐसी ही ठंड थी! सर्बिया शेड्यूल में मैंने तो फिर भी किसी तरह ठंड बर्दाश्त कर ली, लेकिन टाइगर श्रॉ़फ की हिम्मत देखने लायक थी। उन्होंने मुश्किल कंडीशन में ज़बर्दस्त एक्शन सीन किए। वैसे, एक तरह से ठंडी जगह पर जाना ठीक भी है, क्योंकि मुंबई में सर्दी नहीं पड़ती और विदेश जाने पर गर्म कपड़े इस्तेमाल हो जाते हैं।
अब तक जितने कैरेक्टर्स निभाए हैं, उनमें से खुद को किसके सबसे ज्यादा करीब पाती हैं?
“सिया’ जिस तरह अपनी भड़ास निकालती है, वो तरीका मुझे पसंद है। ये तो नहीं कहूंगी कि किसी सिचुएशन को डील करने का सही तरीका है, लेकिन हम सबके मन में गुस्सा होता ही है। एक इंसान के रूप में “ओके जानू’ की “तारा’ अच्छी लगती है, क्योंकि उसकी थिंकिंग मॉडर्न है, करियर में वो आगे बढ़ना चहती है, जबकि कल्चरल वैल्यूज़ का भी ध्यान रखती है।
श्रद्धा कपूर बनने का फॉर्मूला क्या है?
अपने दिल की बात सुनें और आसपास के लोगों, परिवार और दोस्तो को खुश रखें। श्रद्धा कपूर ऐसी ही है।
हाल में ही बॉलीवुड में आपके दस साल पूरे हुए हैं। आने वाले दस वर्षों में और क्या करना चाहेंगी?
जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि ऐसी फ़िल्मों में काम करना है, जो समाज में बदलाव ला सकें। मैंने “स्त्री’ और “छिछोरे’ में अभिनय किया। उनमें सामाजिक मुद्दों पर बात की गई थी। आगे ऐसा सिनेमा ज़रूर करना है, जिसमें एलजीबीटी राइट्स, महिलाओं, पर्यावरण और पशुओं से जुड़े मुद्दे उठाए जाएं।
रितेश देशमुख के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
रितेश बेहद प्यारे और अद्भुत इंसान हैं। “एक विलेन’ में हमारे कैरेक्टर्स के रिश्ते अलग थे। उस फ़िल्म में तो उन्होंने मेरा कत्ल कर दिया था, लेकिन “बागी 3′ में समीकरण एकदम अलग हैं। यहां वे मुझे बचाते हैं।
रणबीर कपूर के साथ फ़िल्म की क्या तैयारी है?
फिलहाल, उसके बारे में कुछ कहना जल्दी होगी। मुझे यूं भी लव रंजन की “प्यार का पंचनामा’ काफी पसंद है। जो फ़िल्म उन्होंने मुझे ऑफर की है, उसकी कहानी काफी इंट्रेस्टिंग है।
ऐसा कुछ है, जिसके ख़िलाफ़ बगावत करने का इरादा है?
हर बुरी चीज़ के ख़िलाफ़ खड़ी होती हूं। पिछले दिनों मैंने आरे फारेस्ट के मुद्दे पर आवाज़ उठाई थी। वैसे ही, जब ज़रूरी हो, बागी बनते रहना है।
