A small cable bus glides above a cityscape, symbolizing the innovative transport India plans to launch soon.
cable bus

Summary: भारत में शुरू होगा उड़ती बसों का दौर, जानिए रोपवे केबल बस प्रोजेक्ट की खास बातें

भारत में केबल बसों की शुरुआत ट्रैफिक और प्रदूषण की समस्याओं का समाधान बन सकती है। ये ज़ीरो एमिशन एयर कंडीशन्ड बसें यात्रियों को मेट्रो जैसी सुविधा और सफर में चाय जैसी खुशी देंगी।

परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने देश की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है। जल्द ही भारत के कई शहरों में ऐसी बसें दौड़ेंगी जो ज़मीन पर नहीं, बल्कि हवा में केबल के सहारे चलेंगी। यह रोपवे केबल बस प्रोजेक्ट न सिर्फ तकनीक का अनोखा नमूना होगा, बल्कि ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्या से भी राहत दिलाने वाला साबित हो सकता है। इसे क्लीन फ्यूचर मोबिलिटी की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। बीजेपी के एक्स हैंडल पर जारी किए गए एक वीडियो में गडकरी ने इस बारे में बात की है।

केबल बसें, जिन्हें रोपवे बसों या केबल कारों का परिवर्तित रूप माना जा सकता है, केबल पर हवा में चलने वाले बस जैसे डिब्बे होते हैं। इनका संचालन बैटरी से किया जाएगा, जिससे ये पूरी तरह ईको-फ्रेंडली और साइलेंट होंगी। इन बसों से कार्बन उत्सर्जन शून्य रहेगा, यानी ये ज़ीरो एमिशन वाहन होंगी। यात्रियों को मेट्रो जैसी सुविधा मिलेगी लेकिन एक नए अंदाज में।

गडकरी के मुताबिक, देश में 60 से ज्यादा रोपवे और केबल बस परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है, जबकि 360 और प्रस्ताव सरकार के पास लंबित हैं। इस परियोजना को सबसे पहले दिल्ली में लागू करने की योजना है और इस पर रिसर्च भी शुरू हो चुका है। वर्तमान में भारत के कई शहरों में मेट्रो कनेक्टिविटी सीमित है और सड़कों पर बढ़ते वाहनों के कारण बसों का संचालन भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। ऐसे में रोपवे बसें एक नया और असरदार विकल्प हो सकती हैं।

केबल बसों को न सिर्फ तकनीकी रूप से उन्नत बनाया जा रहा है, बल्कि यात्रियों के अनुभव को भी शानदार बनाने की योजना है। इन बसों में 135 सीटें होंगी और ये पूरी तरह एयर कंडीशन होंगी। खास बात यह है कि सफर के दौरान यात्रियों को चाय भी सर्व की जाएगी, यानी ये सफर केवल सुविधा नहीं, बल्कि एक अनुभव भी होगा।

इन बसों को बैटरी से चलाया जाएगा और विशेष तकनीक की मदद से इनकी बैटरी को केवल 30 सेकंड में फुल चार्ज किया जा सकेगा। इस तकनीक के लिए भारत सरकार को अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे देशों से 13 टेक्नोलॉजी प्रस्ताव मिले हैं। वहीं, हिताची और साइमेंस जैसी कंपनियां इस परियोजना को ज़मीन पर लाने की तैयारी में हैं।

गडकरी के मुताबिक, देश में 60 से ज्यादा रोपवे और केबल बस परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है, जबकि 360 और प्रस्ताव सरकार के पास लंबित हैं। इस परियोजना को सबसे पहले दिल्ली में लागू करने की योजना है और इस पर रिसर्च भी शुरू हो चुका है। वर्तमान में भारत के कई शहरों में मेट्रो कनेक्टिविटी सीमित है और सड़कों पर बढ़ते वाहनों के कारण बसों का संचालन भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। ऐसे में रोपवे बसें एक नया और असरदार विकल्प हो सकती हैं।

केबल बसों को न सिर्फ तकनीकी रूप से उन्नत बनाया जा रहा है, बल्कि यात्रियों के अनुभव को भी शानदार बनाने की योजना है। इन बसों में 135 सीटें होंगी और ये पूरी तरह एयर कंडीशन होंगी। खास बात यह है कि सफर के दौरान यात्रियों को चाय भी सर्व की जाएगी, यानी ये सफर केवल सुविधा नहीं, बल्कि एक अनुभव भी होगा।

इन बसों को बैटरी से चलाया जाएगा, और विशेष तकनीक की मदद से इनकी बैटरी को केवल 30 सेकंड में फुल चार्ज किया जा सकेगा। इस तकनीक के लिए भारत सरकार को अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे देशों से 13 टेक्नोलॉजी प्रस्ताव मिले हैं। वहीं, हिताची और साइमेंस जैसी कंपनियां इस परियोजना को ज़मीन पर लाने की तैयारी में हैं।

भारत में फ्यूचर मोबिलिटी की दिशा में यह एक बड़ी पहल है। यदि यह सफल होती है, तो आने वाले वर्षों में यह देश के अन्य शहरों के लिए भी मॉडल बन सकती है। यह परियोजना ‘अर्बन डेवलपमेंट एंड ट्रांसफॉर्मेशन मिशन’ के तहत लाई जा रही है, और इसे स्मार्ट सिटीज़ के इंफ्रास्ट्रक्चर में भी शामिल किया जा सकता है।

शहरों में ट्रैफिक और प्रदूषण की समस्या से जूझते नागरिकों के लिए यह एक नई उम्मीद की किरण है  जहां सफर आसान भी होगा, पर्यावरण के अनुकूल भी, और थोड़ा ‘प्याला चाय’ वाला सुखद अनुभव भी साथ लाएगा।

राधिका शर्मा को प्रिंट मीडिया, प्रूफ रीडिंग और अनुवाद कार्यों में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छी पकड़ रखती हैं। लेखन और पेंटिंग में गहरी रुचि है। लाइफस्टाइल, हेल्थ, कुकिंग, धर्म और महिला विषयों पर काम...