गर्मी का मौसम शरीर और त्वचा दोनों पर भारी पड़ता है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, शरीर को ठंडा, सुरक्षित और संक्रमण से मुक्त रखने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। यही बात त्वचा पर भी लागू होती है। इन सारी समस्याओं का एकमात्र उपाय है कि अपनी त्वचा को सूरज के सीधे संपर्क और संक्रमण से बचाएं और साथ ही कुछ नियमों का पालन करें।

समस्या- सनबर्न :-  गर्मियों की धूप बेहद तीखी होती है, जिससे त्वचा पर लाल चकत्ते व निशान उभर आते हैं और जलन महसूस होती है। ऐसा उन लोगों में ज्यादा होता है, जिनकी त्वचा संवेदनशील होती है। साधारण भाषा में कहें तो सूरज मुलायम और संवेदनशील त्वचा को जला देता है।
उपाय :- धूप के सीधे संपर्क में आने से बचें। अपने चेहरे, गर्दन और बाहों पर बाहर निकलने से 20 मिनट पहले कोई सनब्लॉक क्रीम अच्छी तरह से लगाएं। त्वचा की सुरक्षा बरकरार रहे इसके लिए हर 4 घंटे में सनस्क्रीन लगाएं। संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को दिन में शरीर को ढक कर रखना चाहिए। शाम को एलोवेरा जेल का फेस पैक लगाएं।

समस्या- डीहाइड्रेशन :- डीहाइड्रेशन का असर सिर्फ शरीर को ही नहीं बल्कि त्वचा को भी झेलना पड़ता है। पसीना आने से शरीर में पानी की कमी होती रहती है। इसकी पूर्ति के लिए अगर पर्याप्त मात्रा में लिक्विड न लिया जाए तो त्वचा रूखी, बेजान, इरिटेटेड और सनबर्न की चपेट में आने के अनुकूल बन जाती है।
उपाय :-  इससे बचाव के लिए दिनभर खूब सारा पानी पीते रहें। हमेशा अपने साथ पानी की एक बोतल रखें। गर्मियों में तरबूज जैसे फल शरीर और त्वचा के लिए अच्छे होते हैं क्योंकि इनमें खूब सारा पानी होता है। आप चाहें तो डीप हाइड्रेटिंग ट्रीटमेंट भी ले सकते हैं, जैसे-हाइड्रेटिंग इलेक्ट्रोपोरेशन थेरेपी, ऑक्सीजन थेरेपी और जुवेडर्म रिफाइन।

समस्या- मुहांसे :- पसीना हमारी त्वचा को धूल-मिट्टी और प्रदूषण के लिए चुंबक जैसा बना देता है, खासतौर से तब जब हम बाहर ज्यादा समय गुजारते हैं। गर्मी और गंदगी का यह मेल मुंहासों के पनपने के लिए काफी होता है। गंदगी से त्वचा के रोम छिद्र बंद हो जाते हैं और बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं।
उपाय :- मुंहासों की समस्या को कम करने के लिए दिन में कम से कम तीन बार एंटी बैक्टीरियल फेसवॉश से चेहरा धोएं। त्वचा के रोमछिद्र बंद न हों इसके लिए कोई अच्छा स्किन क्लींजर लगाएं। रात में चेहरे पर मुल्तानी मिट्टी या चंदन पाउडर का लेप लगाएं।

                                    
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
समस्या- गर्मियों से चकत्ते :- गर्मी के साथ पसीना आता है। कभी-कभी धूलमिट्टी रोमछिद्रों में घुसकर इसमें रुकावट डालते हैं, ऐसे में पसीना सही ढंग से नहीं निकल पाता है। जिससे त्वचा पर खुजली वाले चकत्ते, छाले या कील-मुंहासे हो जाते हैं।
उपाय :- दिन में दो बार नहाएं। नहाने के लिए कोई एंटीबैक्टीरियल साबुन या बाथ जैल इस्तेमाल करें। खुद को सूखा रखें। प्रभावित त्वचा पर बर्फ रगड़ें, इससे जलन कम होगी।
 
समस्या- बैक्टीरियल संक्रमण :- गर्मी का मौसम बहुत तरह के बैक्टीरिया और वायरस के लिए अनुकूल होता है। यहां तक कि बस की सीट या खिड़कियां, जिन्हें आप हाथ लगाते हैं, पर भी बैक्टीरिया जमे हो सकते हैं। यही हाथ अगर हम अपने चेहरे पर लगाते हैं तो संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।
उपाय :- अपने हाथों को बार-बार धोने और साफ रखने की कोशिश करें। अपने साथ हैंडवॉश रखें और प्रत्येक कुछ घंटों में हाथों को धोएं। अगर ऐसा करना संभव न हो तो कोई हैंड सैनिटाइजर इस्तेमाल करें।
 
समस्या- टैनिंग :-  जब हम सूरज की यूवी किरणों के संपर्क में आते हैं, तब त्वचा का मेलनिन एक सुरक्षात्मक कवर बनाता है। इन मेलेनिन की वजह से ही गहरे धब्बे उभरते हैं, या तो ये पूरे चेहरे पर एक समान  दिखाई देते हैं अथवा चकत्तों के रूप में नजर आते हैं। इस स्थिति को स्किन डार्केनिंग, टैनिंग अथवा हाइपर पिगमेंटेशन कहते हैं।
उपाय :- हर समय 30 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन लगाएं। आंखों के नीचे काले घेरे रोकने के लिए धूप का चश्मा जरूर लगाएं। टैनिंग का असर खत्म करने के लिए लेजर स्किन रीजुविनेशन, केमिकल पील्स अथवा माइक्रोडर्माऐब्रेजन जैसे प्रॉसीजर कराएं।
 

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