सुमिता का बेटा अब 14 साल का हो गया है। उसकी कई चीजें, बॉडी लैंग्वेज और व्यवहार को देखकर सुमिता उससे बात करना चाहती है लेकिन अभिनव है कि उसे अपनी मां से बात ही नहीं करनी! सुमिता यह सब देखकर परेशान है। उसने इस बारे में अपने हस्बैंड से भी बात की लेकिन उसके हस्बैंड शुरू से तनिक चुप्पे स्वभाव के रहे हैं तो बात नहीं बनी। सुमिता खुद चाहती है कि वह अभिनव से बात करे, उसे समझे और बताए कि इस उम्र में कई तरह के बदलाव लाजमी हैं लेकिन हर बार अभिनव किनारा काट लेता है। बेचारी सुमिता, उसे तो यही लगता है कि अगर बेटी रहती तो वह बेहतरी से उसे चीजें समझा पाती और वह भी अपनी मां के साथ खुलकर बात करती। कुछ ऐसा ही प्लॉट पिछले दिनों रिलीज हुई वेब सीरीज “आउट ऑफ लव सीजन 2” का भी था, जिसमें डॉक्टर मीरा कपूर अपने 15 साल के बेटे अभिषेक को कोशिश करके भी समझने में असमर्थ रहती है।

हमारे समाज की सोच का असर टीन बेटों पर

 

यह कहानी सिर्फ सुमिता की ही नहीं, बल्कि सुमिता जैसी कई मांओं की है, जो अपने बढ़ते बेटे के साथ बॉन्डिंग नहीं डेवलप कर पाती हैं। सच कहा जाए तो सिर्फ मां ही नहीं, अधिकतर बार पापा भी अपने किशोर होते बेटे को समझ नहीं पाते हैं। उनसे बात करने की हर कवायद बेकार हो जाती है क्योंकि यह उम्र ही ऐसी होती है। कहते हैं कि बेटे जल्दी बड़े हो जाते हैं, क्योंकि हर बार उन्हें यही कहा जाता है कि अरे तुम तो लड़के हो, तुम्हें रफ होना चाहिए! उन्हें यह बताया और सिखाया जाता है कि वे कुछ भी अकेले ही हैंडल कर सकते हैं। देखा जाए तो यह रफ वाली बातें बेटों के जेहन में इतनी अंदर तक प्रवेश कर जाती हैं कि वह शेयर करने से बचने लगते हैं। लेकिन हर उस रफ और टफ लड़के के पीछे “आउट ऑफ लव सीजन 2” के अभिषेक की तरह एक ऐसा बच्चा होता है, जो चाहता है कि उसके मां- पापा भी उसे समझें और उसकी केयर करें। मां से उम्मीदें थोड़ी ज्यादा होती हैं क्योंकि वह बचपन से ही बच्चों के साथ ज्यादा समय व्यतीत करती है।

क्यों रिजर्व होते हैं बेटे 

प्यूबर्टी और किशोरावस्था लड़के के मस्तिष्क और शरीर में कई बदलाव ले आते हैं, जो उसके व्यवहार में झलकने लगता है। अधिकतर टीन लड़के अपने आस- पास की दुनिया को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, फिर चाहे आधी रात घर से बाहर जाना हो या चुपके से किसी भी समय घर से बाहर निकल जाना। उनका व्यवहार कई दफा कंट्रोल के बाहर होता है। बिना किसी को परेशान की जाने वाली मस्ती सही है लेकिन यह सोचकर ही मां को डर लगने लगता है कि उसका बड़ा होता बेटा उसके कंट्रोल से बाहर जाकर खतरनाक एक्टिविटीज में शामिल है।

क्या कहते हैं रिसर्च और स्टडीज

 

लड़के कई बार बिना वजह के गुस्से में आकर लड़ लेते हैं। वे जोर से दरवाजा पटक देते हैं, जो उनके बढ़ते उम्र और आक्रामक होने की निशानी है। हालांकि, कई रिसच और स्टडीज कहते हैं कि जो टीन लड़के ज्यादा गुस्सैल होते हैं, उनके अंदर एन्जायटी, फेल होने का डर और असुरक्षा की भावना अंदर तक बनी रहती है।

अपनी बॉन्डिंग ऐसे करें डेवलप

 

लड़के अपने प्रियजनों का प्यार पाने की कोशिश करते हैं लेकिन अपनी फीलिंग्स नहीं जता पाते हैं। उनके अंदर का इगो उन्हें सॉफ्ट एक्ट करने से रोकता है, जो समाज ही उन्हें सिखाता है। इन सबके बावजूद इन स्थितियों से मैच्योर तरीके से निपटने के लिए कई रास्ते हैं। पेरेंट्स को इस बारे में अच्छे से पता होता है लेकिन कभी ना कभी कोई न कोई कमी रह ही जाती है। इसलिए यहां कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं, जो आपको आपके टीन बेटे को बिना हर्ट किए उनके साथ बॉन्डिंग बनाने में मदद करेंगे।

अपने बेटे को ना करें अपमानित

आपका बेटा चाहे 5 साल का है या 17 साल का, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वह हमेशा आपका बच्चा ही रहेगा और यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप उसे सही रास्ते पर लेकर आएं। हो सकता है कि उन्होंने कुछ गलत किया हो आप उन्हें उसकी सजा देना चाहती हों ताकि उन्हें अपनी गलती समझ में आए। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप उसे नीचा दिखाएं। बजाय इसके उसके साथ शान्ति से बैठकर अपने दिल की बात उससे करें, उसे अच्छी तरह से समझाएं।

कई इमोशंस एक साथ

आप शायद इस बात को महसूस न कर पाएं लेकिन सच यही है कि एक बढ़ रहे लड़के के अंदर कई इमोशंस एक साथ चल रहे होते हैं। अगर उन्हें लगता है कि वे स्टूपिड हैं या मूर्ख हैं क्योंकि वे फलां काम नहीं कर पाएं तो एक मां के तौर पर आप उसे समझाएं कि वह रोजाना बड़ा हो रहा है और ऐसे में ऐसा होना लाजमी है। टीन लड़के दुनिया को अलग नजरों से देखते हैं और उन्हें लगता है कि वे हर क्षेत्र में सुपीरियर हैं। ऐसे में अगर वे कहीं कम पड़ जाते हैं उन्हें दुख हो सकता है, वे छला हुआ या मूर्ख महसूस कर सकते हैं। उन्हें बताएं कि ऐसा होता है और यह सब एक प्रक्रिया है।

पीछे पड़ना छोड़ दें

सच खा जाए तो हर समय अपने बेटे के अंदर कोई न कोई कमी निकालते रहना, उसके पीछे पड़े रहना  उन्हें चिड़चिड़ा बना सकता है। हो सकता है कि एक मां के तौर पर आप उसके स्वभाव से चिढ़ गई हों लेकिन कमियां निकालना और उसके पीछे पड़े रहना आपको छोड़ना होगा। आपके ऐसे व्यवहार से वह आपसे दूर जाने लगेगा और आपकी कमी निकालने का उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि वह आपकी बात सुनना छोड़ देगा।

सुनाएं मेधावी पुरुषों की कहानियां

हमारे समाज में मेधावी और बुद्धिमान पुरुषों की कमी नहीं है। कइयों ने पहले भी अपने विचारों और कामों से दुनिया को बदला है। मुश्किल हालात से गुजरने वाले उनके जीवन की कहानियां और उदाहरण उन्हें प्रभावित करेंगे। आप चाहें तो अपने टीन बेटे को उसका अपना हीरो दे सकती हैं, यह आपके पापा, आपके ससुर या कोई अन्य व्यक्ति भी हो सकते हैं। इस तरह से उसका झुकाव बेहतरीन उदाहरणों की ओर होगा और वह उनके आदर्शों और विचारों को अपनी लाइफ में शामिल करने की कोशिश करेगा।

बुलाएं उसके दोस्तों को

टीन बेटे बिना अपने दोस्तों के कुछ भी नहीं! इस समय उन्हें अपने दोस्तों का साथ बहुत अच्छा लगता है। कुछ दोस्त तो जीवन भर के लिए रह जाते हैं। इसलिए, यह प्राकृतिक है कि वह अपने दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिताना पसंद करता है। अपने बेटे का दोस्तों के साथ समय बिताने के समय को कम करना उन पर निगेटिव असर डाल सकता है। इसलिए, उसके दोस्तों के साथ आप अच्छा व्यवहार कीजिए, उन्हें घर बुलाएं ताकि आपका टीन बेटा भी आपके साथ ज्यादा कंफर्ट महसूस कर सके।

वे जैसे हैं, वैसे प्यार करें

हर टीन लड़का चाहता है कि उसे खूब प्यार और केयर मिले। इस समय वह असुरक्षित महसूस कर सकता है। हमें अपने बेटों को समझना होगा और उन्हें प्यार करना होगा। उन्हें शांत होकर सुनें और तभी अपनी सलाह दें। यह उनके लिए सबसे अच्छा समय रहता है, जब उनकी मां उन्हें बिना जज किए उन्हें सुन रही होती है।

 

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