नये गुरुजी-आयुष्मान! जब विद्यालय में आये तो विद्यार्थियों में नया जोश आ गया था। परन्तु शीघ्र ही विद्यार्थियों एवं स्वयं गुरू जी का जोश ठंडा पड़ गया। क्योंकि गरूजी जो बताते थे, वह छात्रों को बिल्कल नया एवं अटपटा सा लगता। उधर गुरूजी भी सोचने पर मजबूर हो गये कि आखिर खोट कहाँ है? बच्चों […]
