शेखीखोर मुर्गा-एक गांव था। उस गांव के पिछले हिस्से में एक मुर्गा रहता था। वह हमेशा अपनी बात को ही सच मानता था। मुर्गा रोज सुबह में बहुत जल्द उठ जाता था। कुकड कुक, कुक कुक रे… ऐसी बांग लगाता था। सुबह होती, सूरज उगता, फूल खिलते, पंछी भी चहकने लगते और गांव के लोग […]
