Thappad Kahani: शशांक ने मां से कहा-“सौरभ की बहू को समझा दो कि अपने शरीर को अच्छी तरह से ढंक कर निकला करे। जवान और खुला शरीर बूढ़ी आंखों में भी गलत भावना भर देता है।” इतना कहकर शशांक बाहर चला गया, परंतु मां का चेहरा तन गया। उसने तिरछी निगाहों से स्नेहा की ओर […]
Author Archives: प्रियंका पाठक
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दूर न जाओ—गृहलक्ष्मी की कहानियां
गृहलक्ष्मी की कहानियां-शादी के बाद संजीव जब नई नवेली दुल्हन को लेकर घर पहुंचा तो चारों ओर खुशी और उल्लास का माहौल था। हर कोई दुल्हन का चांद सा मुखड़ा देखने के लिए उत्सुक था। बच्चे तो अभी से दुल्हन से बातें करने के लिए बेचैन हुए जा रहे थे। संजीव भी उतावला था।जयमाल के […]
