आज के समय में उम्र बढ़ने के साथ-साथ दिमाग से जुड़ी ये बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। उनमें से ये नाम अक्सर सुनने को मिलते हैं — डिमेंशिया, अल्ज़ाइमर और पार्किंसन। लोग इन तीनों को एक जैसा समझ लेते हैं, लेकिन ये अलग-अलग बीमारियाँ हैं। इनके लक्षण और असर अलग होते हैं।
डिमेंशिया दिमाग के कमजोर होने की स्थिति है। इसमें व्यक्ति को बातें याद रखने, सोचने और समझने में दिक्कत होती है। डिमेंशिया के कई कारण हो सकते हैं। इन्हीं में से एक कारण है अल्ज़ाइमर, जो डिमेंशिया का सबसे आम रूप है। इसमें धीरे-धीरे याददाश्त कमजोर होती जाती है।
पार्किंसन एक और दिमाग की बीमारी है, जो शरीर की हरकतों को प्रभावित करती है। इसमें हाथ-पैर कांपते हैं और चलने-फिरने में दिक्कत होती है। कुछ लोगों को आगे चलकर भूलने की बीमारी भी हो सकती है। इस लेख में हम तीनों बीमारियों का फर्क, लक्षण और देखभाल के तरीके जानेंगे।
डिमेंशिया क्या होता है?
डिमेंशिया का मतलब होता है दिमाग का कमजोर होना। इसमें आदमी को याद रखने, सोचने और फैसले लेने में परेशानी होती है। यह कोई एक बीमारी नही है, बल्कि दिमाग की कमजोरी के कई कारण हो सकते हैं। डिमेंशिया ज्यादातर उम्र बढ़ने पर होता है, लेकिन कभी-कभी चोट या बीमारी से भी हो सकता है। इसके लक्षणों में बातें भूल जाना, एक ही बात बार-बार पूछना, गुस्सा आना या चुप रह जाना शामिल हैं। समय के साथ यह बीमारी बढ़ती जाती है और मरीज को रोज के कामों में मदद की ज़रूरत पड़ने लगती है। अगर समय रहते इलाज और देखभाल मिल जाए, तो स्थिति को थोड़ा बेहतर किया जा सकता है।
अल्ज़ाइमर क्या है?
अल्ज़ाइमर डिमेंशिया का सबसे आम रूप है। यह एक दिमागी बीमारी है जिसमें धीरे-धीरे याददाश्त बहुत कमजोर हो जाती है। इस बीमारी में दिमाग की कोशिकाएं धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं। शुरुआत में आदमी छोटी-छोटी बातें भूलने लगता है, जैसे – चाबी कहाँ रखी, खाना खाया या नहीं। फिर समय के साथ अपने परिवार को पहचानना भी मुश्किल हो जाता है। अल्ज़ाइमर की वजह अभी तक पूरी तरह से नहीं पता चली है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है। इसका इलाज पूरी तरह संभव नहीं है, लेकिन दवाओं और सही देखभाल से बीमारी को कुछ हद तक रोका जा सकता है।
पार्किंसन क्या होता है?
पार्किंसन एक ऐसी बीमारी है जो दिमाग के उस हिस्से को प्रभावित करती है, जो शरीर की हरकतें कंट्रोल करता है। इस बीमारी में शरीर कांपता है, मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं, और आदमी धीरे चलता है। कुछ लोगों में चेहरे के हाव-भाव भी कम हो जाते हैं। पार्किंसन धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी है। कुछ मरीजों को बाद में याददाश्त की परेशानी भी हो सकती है। इस बीमारी में डोपामिन नाम का रसायन कम हो जाता है, जिससे दिमाग और शरीर का तालमेल बिगड़ जाता है। इसका इलाज दवाओं, व्यायाम और फिजियोथेरेपी से किया जाता है, जिससे मरीज की हालत थोड़ी सुधर सकती है।
तीनों बीमारियों में क्या फर्क है?
डिमेंशिया, अल्ज़ाइमर और पार्किंसन – ये तीनों दिमाग से जुड़ी बीमारियाँ हैं, लेकिन अलग-अलग होती हैं। डिमेंशिया एक हालत है जिसमें दिमाग ठीक से काम नहीं करता। अल्ज़ाइमर उसी डिमेंशिया का एक खास रूप है, जिसमें याददाश्त बहुत कमजोर हो जाती है। पार्किंसन में शरीर कांपता है और चलने-फिरने में दिक्कत होती है, लेकिन कुछ मरीजों को बाद में भूलने की बीमारी भी हो सकती है। फर्क समझना जरूरी है, ताकि सही इलाज हो सके। अगर शुरुआत में लक्षण पहचाने जाएं, तो इलाज और देखभाल से काफी मदद मिलती है।
इलाज और देखभाल कैसे करें?
इन तीनों बीमारियों का अब तक कोई पक्का इलाज नहीं है, लेकिन इलाज और ध्यान से मरीज की हालत सुधारी जा सकती है। डॉक्टर से सलाह लेकर दवाएं दी जाती हैं, जो लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं। इसके साथ ही मरीज को रोज़ की चीजें याद दिलाना, उन्हें प्यार और धैर्य देना बहुत जरूरी होता है। फिजियोथेरेपी, योग और सही खाना भी फायदेमंद होता है। परिवार का साथ और समझदारी बहुत जरूरी होती है। अगर समय रहते बीमारी की पहचान हो जाए तो मरीज की ज़िंदगी आसान बन सकती है।
