It is considered very auspicious to place symbols like Swastik, Shubh-Labh, Om, or Lord Ganesha on the main gate. These symbols bring positive energy and happiness into the home.
lord ganesha

जानिए भगवान गणेश का वाहन क्यों है मूषक

आखिर इतने विशाल स्वरूप वाले गणेशजी ने मूषक को अपना वाहन क्यों बनाया? और क्यों गणेशजी का वाहन मूषक ही है? तो चलिए आज इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं कि मूषक कैसे भगवान गणेश का वाहन बना।

Mushak Vahan Story: हिंदू धर्म में हर मंगल कार्य को शुरू करने से पहले देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना अवश्य ही की जाती है। इसमें भी सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, क्योंकि उन्हें सबसे पहले पूजन का आशीर्वाद प्राप्त है। जब भी हम भगवान गणेशजी की पूजा करते हैं तो उनके साथ-साथ उनके वाहन मूषक जी को भी तिलक जरूर लगाते हैं। लेकिन क्या कभी आपके दिमाग में यह प्रश्न आता है कि आखिर इतने विशाल स्वरूप वाले गणेशजी ने मूषक को अपना वाहन क्यों बनाया? और क्यों गणेशजी का वाहन मूषक ही है? तो चलिए आज इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं कि मूषक कैसे भगवान गणेश का वाहन बना।

Mushak Vahan Story
How did the mouse become the vehicle of Lord Ganesha

पौराणिक कथा के अनुसार सुमेरु पर्वत पर सौभरि ऋषि का आश्रम हुआ करता था। यह आश्रम बहुत ही ज्यादा विशाल और पवित्र माना जाता था। यहाँ सौभरि ऋषि अपनी परम रूपवती और पतिव्रता पत्नी के साथ रहते थे। उनकी पत्नी का नाम मनोमयी था। वे वहां मानव कल्याण के लिए साधना और तपश्चर्या किया करते थे। एक दिन जब ऋषि सौभरि हवन के लिए लकड़ियां लाने वन की तरफ गए हुए थे और उनकी पत्नी मनोमयी आश्रम में अकेले गृहकार्य कर रही थी। तभी उस समय एक गंधर्व उनके आश्रम आया, उसका नाम कौंच था। उसने जब मनोमयी को देखा, तो वो उनकी रूप सौन्दर्य पर मोहित हो गया। वे मनोमयी की सुन्दरता देख कर अपनी मर्यादा ही भूल गया और उसे कुछ भी होश ना रहा। उसने व्याकुलता के कारण ऋषि पत्नी का हाथ पकड़ लिया।

उसके इस तरह के बर्ताव के कारण ऋषि पत्नी बहुत क्रोधित हो रही थीं, लेकिन गन्धर्व खुद पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा था और उनसे दुर्व्यवहार करने की कोशिश करता जा रहा था। उसके इस तरह के बर्ताव के कारण ऋषि पत्नी जोर-जोर से चिल्लाने लगीं। उनकी चिल्लाने की आवाज सुनकर सौभरि ऋषि तुरंत वहां आ गए। उन्होंने अपनी पत्नी से जब पूरा वृतांत सुना तब उन्होंने क्रोध में आकर गंधर्व को श्राप दिया कि तूने चोरों की तरह मेरी भार्या का हाथ पकड़ने का पाप किया है। अब तू मूषक बनकर धरती के नीचे ही अपना पूरा जीवन गुजारेगा और चोरी करके ही अपना पेट भरेगा।

Ganpati's vehicle
Saubhari Rishi had said that in Dwapar Yug, mouse will become Ganpati’s vehicle

सौभरि ऋषि से श्राप मिलने के बाद गंधर्व को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी इस भूल के लिए ऋषि से काफी क्षमा प्रार्थना की। उसने अपनी इस भूल के लिए उनसे माफी भी मांगी। लेकिन सौभरि ऋषि ने कहा कि मेरा श्राप कभी खाली नहीं जा सकता है, लेकिन जब द्वापर युग में भगवान गणेश का अवतार होगा, उस समय तू उनका वाहन बनेगा। इस युग में गणपति गजमुख रूप में प्रकट होंगे और इस संसार में तुझे भी भगवान गणेश के साथ-साथ  पूजा जाएगा और जब द्वापर युग में गणेशजी का अवतार हुआ तब उनके श्राप के कारण मूषक उनका वाहन बना।

ए अंकिता को मीडिया इंडस्ट्री में 9 वर्षों का अनुभव है। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की और खास तौर पर लाइफस्टाइल और एंटरटेनमेंट बीट में रुचि रखती हैं। लेखन के अलावा वेब सीरीज़ देखना, घूमना, संगीत सुनना और फोटोग्राफी...